कुछ महिलाओं में पीरियड के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का असर इम्यून सिस्टम पर ही नहीं, बल्कि और वायुमार्ग (एयरवेज) के कामों पर भी पड़ता है। ये वायुमार्ग में सूजन और सेंसिटिविटी को बढ़ा सकते हैं। पीरियड्स का अस्थमा के लक्षणों पर क्या असर पड़ता है? इस बारे में हमेंमणिपाल हॉस्पिटल गोवा की एसोसिएट कंसल्टेंट- ओेबीजी, डॉक्टर किंजल अवधूत कोठारी और कंसल्टेंट और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, Dr. John Muchahary बता रहे हैं।
एक्सपर्ट का कहना है, ''कुछ महिलाओं में पीरियड्स से पहले या इसके बाद अस्थमा के लक्षण बिगड़ने लगते हैं। इस कंडीशन को पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा (PMA) कहा जाता है। यह तब होता है, जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल पीरियड्स से ठीक पहले कम हो जाता है, जिससे वायुमार्ग में सूजन बढ़ जाती है और अस्थमा की दवाओं की असर का कम हो जाता है। कुछ महिलाओं में पीरियड्स के दौरान फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और सूजन बढ़ सकती है, जिससे अस्थमा के लक्षण जैसे कि सांस फूलना, खांसी और सीने में जकड़न बढ़ सकते हैं।''
पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा के कारण
हालांकि, पीएमए के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में बदलाव के कारण हो सकता है। कई महिलाओं में पीएमए के लक्षणों को मैनेज करने के लिए डॉक्टर अस्थमा के ट्रीटमेंट में बदलाव या हार्मोन-बेस ट्रीटमेंट करवाने के लिए कहते हैं।
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पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा के लक्षण
महिलाओं में अस्थमा के लक्षण मेंस्ट्रुअल साइकिल के विभिन्न स्टेज में अलग होते हैं। अस्थमा का यह रूप पीरियड्स से पहले और खासकर ल्यूटल स्टेज के दौरान खराब होते हैं।
- घरघराहट
- सीने में जकड़न
- सोने में परेशानी
- सांस लेने में कठिनाई
- खांसी
अस्थमा के लक्षणों की गंभीरता महिला की उम्र और हार्मोन्स के आधार पर अलग होते हैं।
पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा का खतरा
पीएमए का प्रभाव अस्थमा से परेशान उन महिलाओं पर सबसे ज्यादा होता है, जिनमें निम्न लक्षण पाए जाते हैं-
- बढ़ती उम्र
- ज्यादा वजन
- कुछ दवाओं के प्रति सेंसिटिविटी
- अस्थमा
- पीरियड में ऐंठन
- प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस)
- अनियमित पीरियड
- पीरियड में ज्यादा ब्लीडिंग
पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा में डॉक्टर से कब संपर्क करें?
- दिल की धड़कन का तेज होना
- चक्कर आना
- बेहोशी या कमजोरी महसूस होना
- लंबे समय खांसी होना
- सामान्य गतिविधियां करने में परेशानी होना
- सांस लेते या छोड़ते समय घरघराहट होना
- सीने में जकड़न, जो दवा के बावजूद बदतर हो जाए
पेरिमेनस्ट्रुअल अस्थमा में सावधानियां
- अस्थमा की दवाइयों समय पर लेना।
- अस्थमा को बढ़ाने वाले या एलर्जी पैदा करने वाले कारकों से दूर रहना।
- पीरियड के दौरान दर्द को दूर करने वाली दवाओं का इस्तेमाल करने से बचें।
पीरियड्स के दौरान अस्थमा के लक्षण बढ़ने से महिलाओं को अपनी दवाओं में बदलने की जरूरत होती है। यदि आपको पीरियड्स के दौरान अस्थमा के लक्षणों में बदलाव दिखाई देता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। वे लक्षणों को मैनेज करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
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Image Credit: Shutterstock.com
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