कहीं आपके हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह फैटी लीवर तो नहीं? जानें

आजकल लोग हाई कोलेस्ट्रॉल और नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या से काफी ज्यादा परेशान रहते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये दोनों समस्या एक दूसरे से जुड़ी हुई है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं, दोनों के बीच छिपा हुआ कनेक्शन
  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2025-06-12, 17:21 IST
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भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोगों की लाइफस्टाइल इतनी खराब हो गई है,कि हर कोई किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है। हाई कोलेस्ट्रॉल और फैटी लिवर की समस्या आम हो गई है। अक्सर हम इन बीमारियों को अलग अलग देखते हैं और दोनों का ही इलाज अलग अलग होता है। लेकिन क्या आपको मालूम है की दोनों के बीच गहरा संबंध है। जी हां, आपने सही पढ़ा। अगर आपको फैटी लिवर की समस्या है, तो यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है, और बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल फैटी लिवर को और बिगाड़ सकता है, जिससे दिल और लिवर दोनों पर खतरा मंडरा सकता है। आइए इस छिपे हुए संबंध को विस्तार से समझते हैं। Dr Abhishek Deepak, Consultant, Gastroenterologist, Sharda Care Health City, greater Noida इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।

कहीं आपके हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह फैटी लीवर तो नहीं?

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एक्सपर्ट बताते हैं कि हमारा लिवर कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को संश्लेषित करता है और रक्त प्रवाह इसे साफ करता है। लेकिन, जब लिवर फैटी हो जाता है, तो कोलेस्ट्रॉल को प्रोसेस करने और रेगुलेट करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है।

इस असंतुलन के कारण लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है, उसका स्तर बढ़ जाता है। वहीं एचडीएल कोलेस्ट्रॉल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है। फैटी लिवर से पीड़ित लोगों में अक्सर इस तरह के लिपिड प्रोफाइल में बदलाव देखे जाते हैं।

NAFLD EXPERT QUOTES

वहीं कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर फैटी लिवर रोग के बढ़ने में योगदान कर सकता है। खासकर ऑक्सीडाइज्ड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लिवर में सूजन को बढ़ावा देता है। यह सूजन नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस के विकास को बढ़ावा देती है, जो फैटी लिवर रोग का एक गंभीर रूप है। इसमें लिवर में सूजन और क्षति होती है, जिससे लिवर की कार्यप्रणाली गंभीर रूप से प्रभावित होती है। और आखिर में फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

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एक्सपर्ट बताते हैं कि लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिक कारक हैं,जो कोलेस्ट्रॉल और फैटी लिवर रोग में योगदान करते हैं।

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  • मोटापा और अधिक वजन।
  • सैचुरेटेड फैट्स का सेवन।
  • व्यायाम की कमी।
  • इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 डायबिटीज।

कैसे करें इसकी रोकथाम

  • आहार में बदलाव- फलों और सब्जियों का सेवन करें।
  • साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन लें।
  • प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम करें।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें।


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Image Credit- Freepik

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