प्रेग्नेंसी के 9 महीने किसी भी महिला के लिए बदलावों से भरे होते हैं। इस दौरान, महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं। हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से कई बार कुछ हेल्थ कंडीशन्स भी महिलाओं को घेर लेती हैं। ऐसे में अपना खास ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। इस समय पर अगर आपको किसी भी हेल्थ कंडीशन के लक्षण नजर आएं, तो बिना देरी के उस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। जेस्टेशनल डायबिटीज महिलाओं को प्रेग्नेंसी के वक्त परेशान करती है। इसका असर, होने वाली मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की सेहत पर होता है। इसलिए, इसके बारे में सही जानकारी होना और इससे बचने के लिए सही कदम उठाना जरूरी है। एक्सपर्ट का कहना है कि आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दूसरे या तीसरे ट्राइमेस्टर में होती है। कई बार यह डिलीवरी के बाद भी होती है। अगर आप 35 की उम्र के बाद मां बन रही हैं, तो आपको इसका ज्यादा खतरा हो सकता है। किन महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा हो सकता है, इस बारे में एक्सपर्ट से समझते हैं। यह जानकारी, Dr. Baxi Sushma दे रही हैं। वह, Oasis Fertility में Clinical Head और Fertility Specialist हैं।
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जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर सिजेरियन डिलीवरी के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसका असर मां और बच्चे दोनों की सेगत पर होता है। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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