ब्रेस्टफीडिंग से कम होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, जानिए एक्सपर्ट की राय

जहां नवजात शिशु के लिए मां का दूध किसी अमृत से कम नहीं होता, वहीं एक्सपर्ट की मानें तो ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाएं भी कई गंभीर बीमारियों से बची रहती हैं। 

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मां का दूध नवजात शिशु के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे को जरूरी पोषण मिलता है और बच्चे की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी विकसित होती है। मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार होता है और बच्चे के विकास के लिए बेहद जरूरी होता है। इसमें ऐसे एंटीबॉडीज मौजूद होते हैं जो बच्चे को इंफेक्शन और बीमारियों से बचाते हैं। ब्रेस्टफीडिंग(स्तनपान) सिर्फ शिशु के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

एक्सपर्ट की मानें तो इससे ब्रेस्ट कैंसर(स्तन कैंसर) का खतरा कम होता है। आज के इस आर्टिकल में डॉक्टर कंचन कौर से जानते हैं कि किस तरह ब्रेस्टफीडिंग, ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करती है। डॉक्टर कंचन कौर, मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम के कैंसर इंस्टीट्यूट के ब्रेस्ट सर्जरी विभाग में सीनियर डायरेक्टर हैं।

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर कितना कॉमन है ?

ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेस्ट टिश्यूज में बनने वाला एक टाइप का कैंसर है। जब ब्रेस्ट सेल्स इकट्ठा होकर एक ट्यूमर बना लेती हैं तो ये ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं और पुरुषों दोनों में हो सकता है लेकिन महिलाओं में ये ज्यादा कॉमन है। 2020 में दुनियाभर में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के लगभग 2.3 मिलियन मामले सामने आए थे। ब्रेस्टफीडिंग, ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करती है।

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ब्रेस्टफीडिंग से कैसे कम होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?

ब्रेस्टफीडिंग कई तरीकों से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करती है। सबसे पहले तो ब्रेस्टफीडिंग से होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से, डिलीवरी के बाद मेंस्ट्रुअल साइकिल की वापिसी में देर होती है। महिलाओं में पीरियड्स, स्तन की कोशिकाओं को उत्तेजित करते हैं। जिससे असमान्य कोशिकाओं का विकास हो सकता है जो बाद में ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकती हैं।

दूसरा कारण ये है कि ब्रेस्टफीडिंग, ब्रेस्ट टिश्यूज को कैंसर के प्रति कम संवेदनशील बनाती है। स्तन से दूध निकलने के दौरान, ब्रेस्ट टिश्यूज सिकुड़ते हैं। इस दौरान फैट सेल्स, दूध उत्पादित करने वाली सेल्स को रिप्लेस करती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान कोई भी ऐसी असामान्य कोशिका जो कि मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान विकसित हुई हो, वो खत्म हो जाती है और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।

इसके अलावा स्तनपान करवाने से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन भी कम होता है। एस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन है जो ब्रेस्ट टिश्यू की ग्रोथ को बढ़ाता है और एस्ट्रोजन लेवल ज्यादा होने का सीधा संबध ब्रेस्ट कैंसर के बढ़े हुए खतरे से है। एस्ट्रोजन लेवल को कम करके, ब्रेस्टफीडिंग, ब्रेस्ट टिश्यूज में कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकन में मदद कर सकती है।

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क्या कहती है रिसर्च?

ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है, ये बात कई रिसर्च में भी सामने आई है। एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर कोई महिला 6 महीने तक अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाती है तो उसमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, ब्रेस्टफीडिंग ना करवाने वाली महिला की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत तक कम होता है। वहीं एक और रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक साल या उससे अधिक समय तक ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा लगभग 20 प्रतिशत तक कम होता है।

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अन्‍य स्वास्थ्य लाभ

  • पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रिस्क कम होता है।
  • टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है।
  • बोन डेन्सिटी में सुधार होता है।

अगर ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट्स में बता सकती हैं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे।

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