शरीर के इन 3 अंगों को कमजोर बना सकता है तनाव और गुस्‍सा, एक्‍सपर्ट से जानें

क्‍या आप जानती हैं कि शरीर के कई ऐसे अंग हैं, जिन पर तनाव और गुस्‍से जैसी भावनाओं का बुरा असर होता है, लेकिन हम अक्सर इन्‍हें महसूस करने से कतराते हैं या व्यक्त नहीं कर पाते हैं। 
Which emotions affect which body parts

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन गया है, जिससे लगभग हर कोई किसी न किसी रूप में जूझ रहा है। चाहे ऑफिस के काम का प्रेशर हो या घर की अनगिनत जिम्मेदारियों का बोझ, ये परिस्थितियां हमें चिंता की ओर धकेल देती हैं और हम तनावग्रस्त महसूस करने लगते हैं।

तनाव में हम अक्सर कई काम एक साथ और जल्दबाजी में निपटाने की कोशिश करते हैं, जिससे गुस्सा, चिड़चिड़ाहट और बेचैनी जैसी नकारात्मक भावनाएं हमें घेरने लगती हैं। इसका सीधा असर हमारी कार्यक्षमता पर पड़ता है और किसी भी काम पर ठीक से फोकस न कर पाना भी एक चुनौती बन जाता है।

यदि तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। वहीं, थोड़े समय के तनाव से भी शरीर के कई हिस्सों में दर्द और जकड़न हो सकती है। दरअसल, शरीर के कुछ विशेष हिस्सों में महसूस होने वाला यह दर्द और अकड़न शरीर द्वारा दिया जा रहा जरूरी संकेत है कि हमें तनाव के लेवल को पहचानकर उसे तुरंत कंट्रोल करने की जरूरत है।

तनाव हमारे शरीर के किन खास अंगों को प्रभावित करता है और इन संकेतों को कैसे समझा जाए? इस बारे में हमें फेमस हार्मोन कोच पूर्णिमा पेरी बता रही हैं। हार्मोन कोच पूर्णिमा पेरी बताती हैं कि हम अक्सर यह मान लेते हैं कि भावनाएं सिर्फ मानसिक होती हैं – एक क्षणिक विचार, एक बुरा दिन या कुछ ऐसा जिसे हम डायरी में लिखकर या किसी तरह झटककर खुद से दूर कर सकते हैं। लेकिन, भावनाएं सिर्फ हमारे मन में नहीं रहती हैं, वे हमारे शरीर में भी अपना घर बना लेती हैं। वे शरीर के उन हिस्सों में बस जाती हैं, जहां तक हमारे शब्द भी नहीं पहुंच पाते हैं।

पूर्णिमा जी अपने अनुभव शेयर करते हुए कहती हैं, ''सालों तक, मुझे लगता था कि मुझे सिर्फ ब्‍लोटिंग की समस्या है या मैं बस थका हुआ महसूस करती हूं या मेरा मूड ठीक नहीं है। लेकिन, असल में जो बोझ मैं उठा रही थी... वह थीं अनकही, अनसुलझी भावनाएं।" इस आर्टिकल में शरीर के 3 ऐसे अंग बताए गए हैं, जो चुपचाप उन भावनाओं से प्रभावित होते हैं, जिन्हें हम अक्सर महसूस करने से कतराते हैं या व्यक्त नहीं कर पाते हैं।

लिवर – दबी हुई नाराजगी और गुस्से का भंडार

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यह बात जानकर शायद आपको आश्चर्य होगा, जब हम बाहर से तो मुस्कुराते रहते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर बहुत ज्‍यादा गुस्‍सा, नाराजगी या असंतोष महसूस करते हैं, तब ये भावनाएं कहीं गायब नहीं होती हैं। वे धीरे-धीरे जमा होती जाती हैं। आपका लिवर न सिर्फ शरीर के टॉक्सिन्स को साफ करता है, बल्कि इस अनकहे मानसिक तनाव को भी साफ करता है। इससे आप बिना किसी स्पष्ट कारण के शरीर में भारीपन, सुस्ती या कभी-कभी बहुत ज्‍यादा प्रतिक्रियावादी भी महसूस कर सकती हैं।

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आंत (पेट)– आपका दूसरा ब्रेन

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क्या आपने कभी घबराहट या चिंता के समय पेट में अजीब सी हलचल (जैसे तितलियां उड़ रही हों) महसूस की है? या दिल टूटने पर आपको भी भूख नहीं लगती है? यह असल में आपकी आंत है, जो आपके ब्रेन से भी पहले इन भावनाओं पर प्रतिक्रिया करती है। लंबे समय से चली आ रही ब्‍लोटिंग की समस्या, अपच या पाचन क्रिया का अनियमित होना – ये अक्सर सिर्फ गलत खानपान का नतीजा नहीं है। ये वे भावनात्मक संकेत हैं, जिन्हें आपका शरीर आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।

थायराइड – सच्चाई को सहेजने वाला

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पूर्णिमा, इसे अपना बहुत ही पर्सनल अनुभव बताती हैं। वे कहती हैं, "हर बार जब मैंने घर में या रिश्तों में शांति बनाए रखने के लिए अपनी बात नहीं कहीं या खुद को चुप करा लिया, तब मैंने इसका असर अपने गले में महसूस किया। एक अजीब सा कसाव, गले में अटकन या गांठ जैसा महसूस होना और एक ऐसी थकान, जिसका कोई कारण समझ नहीं आता था।" थायराइड ग्‍लैंड संवाद, अभिव्यक्ति और अपनी सच्चाई को कहने जैसी भावनाओं से गहराई से जुड़ा होता है। जब हम अपनी बातों और सच्ची भावनाओं को दबा लेते हैं या निगल जाते हैं, तब हमारा शरीर इसका हिसाब रखता है।

जब हम यह समझने लगते हैं कि हमारा शरीर हमसे क्या कहने की कोशिश कर रहा है, तब सब कुछ बदलने लगता है। तब हम केवल लक्षणों का ऊपरी तौर पर इलाज नहीं करते हैं, बल्कि उन गहरी भावनात्मक वजहों को ठीक करने लगते हैं, जो इन समस्याओं की जड़ में होती हैं।

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आपका शरीर सिर्फ उन्हीं बातों को प्रतिबिंबित करता है, जो आपकी आत्मा आपसे धीरे-धीरे कहने की कोशिश करती है।

अगर आपको काफी समय से ऐसा महसूस हो रहा है कि आपके शरीर में कुछ ठीक नहीं है, लेकिन ब्‍लड टेस्‍ट जैसी मेडिकल रिपोर्ट्स में सब कुछ नॉर्मल आता है, तो हो सकता है कि यह भावनात्मक जुड़ाव ही वह "मिसिंग लिंक" हो जिसे आप ढूंढ रही हैं।

अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: Shutterstock & Freepik

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