खुद को स्वस्थ रखने के लिए हम सभी कई तरीके अपनाते हैं। इसमें योग को विशेष महत्व दिया गया है। प्राचीन समय से ही योगी व ऋषि-मुनि योगाभ्यास करते आए है। इसके जरिए व्यक्ति को अपने मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य बनाने में मदद मिलती है। योगाभ्यास जब सही तरीके से किया जाता है तो इससे न केवल आपको बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। इतना ही नहीं, इससे व्यक्ति खुद को बेहतर तरीके से जान व समझ पाता है।
जहां कुछ लोगों के लिए योग एक आध्यात्मिक अभ्यास है, दूसरों के लिए यह अपने शरीर और मन को स्वस्थ रखने का एक तरीका है और कुछ लोगों के लिए योग सिर्फ़ जीवन जीने का एक तरीका है। जबकि योग बहुत प्राचीन है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ है। जिसके कारण इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह की धारणाएं भी बन गई हैं। योग के संबंध में लोग कई भ्रांतियों को सच मानते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको योग से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
मिथक 1- योगाभ्यास करने के लिए आपको फ्लेक्सिबल होना चाहिए
सच्चाई- चूंकि योगा सेशन के दौरान हम कई तरह के आसनों का अभ्यास करते हैं, इसलिए अधिकतर लोगों की यह मान्यता होती है कि योगाभ्यास करने के लिए बॉडी का फ्लेक्सिबल होना जरूरी है। जबकि वास्तव में यह एक भ्रम ही है। जब आप नियमित रूप से योग करते हैं तो समय के साथ आपका शरीर खुद ब खुद अधिक फ्लेक्सिबल होता चला जाता है। ऐसे कई योगासन हैं, जिन्हें आप शुरुआत में बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं। इसलिए, आप अपनी शारीरिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए योगाभ्यास कर सकते हैं।
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मिथक 2- योग केवल महिलाओं के लिए है
सच्चाई- यह योग को लेकर आम मिथ है। अमूमन लोगों की यह धारणा होती है कि योग केवल महिलाओं के लिए है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। योगाभ्यास बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, महिलाओं से लेकर पुरुषों तक, कोई भी आसानी से कर सकता है। आज भी दुनियाभर में कई पुरुष योगाभ्यास करते हैं और उसका शारीरिक व मानसिक लाभ उठाते हैं।
मिथक 3- योग बहुत आसान है और यह वास्तव में कोई वर्कआउट नहीं है
सच्चाई- ऐसे भी कई लोग हैं, जो ये मानते हैं कि योग वास्तव में शरीर को रिलैक्स करने के लिए है। यह बहुत ही आसान है और इसलिए इससे फुल बॉडी वर्कआउट नहीं होता है। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। योग को आप कई तरह की वैरिएशन के साथ कर सकते हैं। यह काफी चैलेंजिंग हो सकता है। योग के दौरान आप ऐसे कई अभ्यास कर सकते हैं, जो आपके पूरे शरीर की कसरत कर सकते हैं। अगर आप खुद के साथ चैलेंजिंग होना चाहते हैं तो ऐसे में अष्टांग या पावर योग किया जा सकता है।
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मिथक 4- प्रेग्नेंसी और पीरियड्स में महिलाओं को योग नहीं करना चाहिए
सच्चाई- आमतौर पर, आपने लोगों को यह कहते सुना होगा कि प्रेग्नेंसी या पीरियड्स में महिलाओं को योग नहीं करना चाहिए। इससे उनकी कॉम्पलीकेशन बढ़ जाएगी। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। ऐसे कई योगासन हैं, जो प्रेग्नेंसी और पीरियड्स में होने वाली समस्याओं को कम करने या दूर करने में मदद करते हैं। हालांकि, इस दौरान किसी भी महिला को खुद से योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप किसी योग विशेषज्ञ की देख-रेख में ही इसे करें। अगर आप ऐसा करती हैं तो इससे आपके पीरियड्स रेगुलर होते हैं और दर्द भी अपेक्षाकृत कम होता है। इसी तरह, योग डिलीवरी प्रोसेस को भी अधिक आसान बना सकता है।
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Image Credit- freepik
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