हम भारतीयों के लिए ज्वेलरी हमारे शृंगार का एक जरूरी हिस्सा है। हालांकि इसे कई बार स्टेट्स और दौलत से भी आंका जाता है। शृंगार से कहीं ज्यादा ये हमारी जड़ों का गौरवपूर्ण इतिहास दर्शाते हैं। भारतीय आभूषण, अद्वितीय कलात्मकता का एक ऐसा वसीयतनामा हैं, जो विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों और आकारों में वर्षों से ढलते आ रहे हैं।
इसी तरह 'हाथफूल' भी एक ऐसा ही आभूषण है, जिसका बहुत ही समृद्ध इतिहास है। इसे हाथ पंजा या हाथ कमल भी कहा जाता है और यह एक कलाई पर बांधने वाला ब्रेसलेट होता है। यह हमारी पांच उंगलियों से जुड़ता है और बेहद खूबसूरत लगता है। इस शादी के दौरान दुल्हनें अपने हाथों पर सजाती हैं और इसका भी एक खास महत्व है। क्या आपको पता है कि इसे पहनने की शुरुआत कहां से हुई थी? आज इस लेख में चलिए आपको इसके इतिहास और इसे स्टाइल करने के टिप्स भी बताएं।
क्या है हाथफूल?
हाथ फूल कलाई पर बांधने वाला एक ब्रेसलेट है जो सर्कुलर मेडालियन से जुड़ा होता है। यह आगे पांच उंगलियों में पहना जाता है। पहली उंगली में अर्सी जुड़ती है, जिसे मिरर रिंग कहते हैं। अर्सी रिंग परंपरागत रूप से अंगूठे पर पहनी जाती थी। इन्हें पहनने की परंपरा मुगल दरबार में अपने प्रतिबिंबों को देखने के लिए शुरू की गई थी।
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कहां से आया हाथफूल?
ऐसा माना जाता है कि मुगल शासनकाल के दौरान फारस के माध्यम से हाथफूल भारत पहुंचा और इसके साथ ही काकेशिया, रूस, अरब देशों और यहां तक कि चीन में भी महिलाओं के बीच लोकप्रिय हो गया।
सबसे पहले मुगल रानियों ने हाथफूल पहनना शुरू किया था, लेकिन इस जेवर की लोकप्रियता का श्रेय उन दरबारियों को जाता है जिन्होंने राजपूत और नवाब साम्राज्यों में आभूषणों के उपयोग को आगे बढ़ाया। जिप्सियों और खानाबदोशों के बीच इसके डिजाइन में एक बड़ा बदलाव आया। कीमती पत्थरों की जगह धातु और मिक्स्ड धातुओं का भी इस्तेमाल किया जाने लगा। मुस्लिम, हिंदू और सिख महिलाओं इसे अपनी पसंद के अनुसार पहना और प्रत्येक समुदाय ने इसके कई नए वर्जन भी तैयार किए।
सोलह शृंगार का अहम हिस्सा बना हाथफूल
आज एक भारतीय दुल्हन इसे जेवर को अपने सोलह शृंगार का अहम हिस्सा मानती है। अपने हाथों को सजाने की यह ऐतिहासिक प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है। हाथ फूल की इतनी प्रमुखता भारतीय संस्कृति को दर्शाता है और इसमें निभाई गई महिलाओं की भूमिका के साथ इसकी प्रासंगिकता बताता है। चूंकि हमारे हाथ प्रार्थना या अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माने जाता हैं और आमतौर पर हथेली पर सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाले पारंपरिक डिजाइनों से ढके होते हैं। इसलिए हाथ फूल जैसे गहने पहनना इन्हीं कॉन्सेप्ट्स का विस्तार है (टेम्पल ज्वेलरी का इतिहास)।
नए जमाने का नया हाथ फूल
आज इसके मटेरियल और डिजाइन में भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। इसके यूनिक वर्जन सिर्फ दुल्हनों द्वारा नहीं बल्कि फैशन की दुनिया में आम महिलाओं द्वारा भी पहने जाते हैं। एक ऐसा फारसी आभूषण जिसके बारे में शायद लोग जानते भी नहीं थे, आज एक कंटेम्परेरी मेकओवर से गुजर रहा है और पसंद किया जा रहा है।
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कैसे करें इसे स्टाइल?
भरे हुए डिजाइन्स से लेकर हल्के वर्जन भी इसके आने लगे हैं। आप इसे एथनिक आउटफिट्स के साथ आसानी से कैरी कर सकती हैं।
इसके सिंपल डिजाइन्स जो बहुत ज्यादा भारी नहीं होते, उन्हें लहंगे के साथ पहना जा सकता है। वहीं, शरारा या गरारा के साथ भी मिडल फिंगर वाली रिंग के साथ जुड़े हुए एक हल्के ब्रेसलेट को आप पहन सकती हैं। इनके मिनिमल डिजाइन्स को साड़ियों के साथ भी कैरी किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इन्हें आप बोहो लुक पाने के लिए भी कैरी कर सकती हैं। मेटल और मिक्स्ड धातुओं से बने हाथफूल ड्रेसेस या कैजुअल अटायर में पहने जा सकते हैं (पासा ज्वेलरी के बारे में जानें)।
हाथफूल के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हमें उम्मीद है कि भारतीय ज्वलेरी के इस महत्वपूर्ण पीस के बारे में जानकर आपको अच्छा लगेगा। इस लेख को लाइक और शेयर करें और ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए विजिट करें हरजिंदगी।
Image Credit: Herzindagi and Amazon
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