आज के समय में अधिकतर लोग अपने बढ़ते वजन के कारण परेशान हैं और उसे कम करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। लेकिन वेट लॉस करने का सही तरीका ना पता होने के कारण अक्सर लोग अपने गोल्स से भटक जाते है। जब वज़न घटाने की बात आती है, तो लोग अक्सर सोचते हैं कि क्या यह वाकई मायने रखता है कि वे कब खाते हैं, या यह सिर्फ़ इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितनी कैलोरी लेते हैं?
जहां कुछ लोग अपने कैलोरी काउंट पर एक कड़ी नजर बनाए रखना चाहते हैं, वहीं कुछ लोग इंटरमिंटेंट फास्टिंग जैसे तरीकों को अपनाते हैं, जिससे वे अपने खाने के समय को बेहद आसानी से प्रतिबंधित कर सकें। हो सकता है कि आप भी इन दिनों अपनी वेट लॉस जर्नी पर हों और एक सही अप्रोच की तलाश में हों। हालांकि, इन दोनों ही तरीकों को वेट लॉस के लिए अच्छा माना गया है, लेकिन इसमें से किसे फॉलो किया जाए, इसे लेकर अक्सर लोगों के मन में संशय रहता है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको बता रही हैं कि वेट लॉस के लिए खाने के समय या कैलोरी काउंट में से क्या ज्यादा कारगर है-
वेट लॉस के लिए कैलोरी काउंटिंग को काफी अहम् माना गया है। हर व्यक्ति की अपनी दैनिक कैलोरी की जरूरत अलग-अलग हो सकती है। ऐसे में कम या ज्यादा कैलोरी लेना आपके वजन पर सीधा असर डाल सकता है। आप जितनी कैलोरी का सेवन करते हैं, उससे ज़्यादा कैलोरी बर्न करने की ज़रूरत होती है। अगर आप दिन में 2,000 कैलोरी खाते हैं, लेकिन सिर्फ़ 1,800 जलाते हैं, तो आपका वजन बढ़ेगा। अगर आप 1,500 खाते हैं और 1,800 जलाते हैं, तो आपका वजन कम होगा।
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कैलोरी काउंटिंग के दौरान आप अपने खाने को लेकर अधिक फ्लेक्सिबल हो सकते हैं। मसलन, आपको बस अपने कैलोरी काउंट को बनाए रखना होता है।
अगर आप अपने खाने के सेवन पर नज़र रखते हैं और उस पर लगातार बने रहते हैं, तो ऐसे में यह आपके लिए काफी अच्छा है।
कैलोरी काउंटिंग कभी भी इस बात पर फोकस नहीं करता है कि आप क्या खाते हैं। आप तकनीकी रूप से 1,500 कैलोरी जंक फ़ूड खा सकते हैं और फिर भी वजन कम कर सकते हैं, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए आदर्श नहीं है। साथ ही, यह मेटाबॉलिज्म, हार्मोन या एनर्जी लेवल पर ध्यान नहीं देता है।
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वहीं, कुछ लोग कैलोरी काउंट के अलावा इस बात पर फोकस करते हैं कि वे कब खाते हैं। यही वजह है कि इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग को पूरी दुनिया में लोग फॉलो करना पसंद कर रहे हैं। इसमें लोग एक फिक्स विंडो में खाना खाते हैं, जबकि बाकी समय फास्टिंग करते हैं।
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अगर आप एक खास रूटीन को फॉलो करके वजन कम करना चाहती हैं तो ऐसे में मील टाइमिंग पर फोकस का सकती हैं। हालांकि, इसमें भी आपको अपने कैलोरी काउंट पर कुछ हद तक ध्यान अवश्य देना होगा। वहीं, अगर आप फ्लेक्सिबलिटी चाहती हैं तो ऐसे में कैलोरी काउंटिंग अच्छा उपाय है। लेकिन कम कैलोरी का सेवन करते समय भी आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप क्या खा रहे हैं, जिससे आपको पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें।
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