जिन लोगों को भी वेट लॉस करना होता है उनके लिए पहली सलाह यही होती है कि एक बार में बहुत सारा खाना खाने की जगह आप थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। इसमें दो समस्याएं होती हैं। पहली तो यह कि लोग ऐसा कर नहीं पाते और दूसरी यह कि हर दो घंटे में खाने के लिए कुछ हेल्दी नहीं मिल पाता है। हर दो घंटे में खाने वाला रूल इतना ज्यादा लोकप्रिय है कि लोग अपने आप ही इसे फॉलो करना शुरू कर देते हैं। बिना डाइटीशियन से कंसल्ट किए अगर ऐसा कुछ होता है, तो यकीनन परेशानी बढ़ती है।
मिस इंडिया कंटेस्टेंट्स को ट्रेनिंग देने वाली एक्सपर्ट डायटीशियन अंजली मुखर्जी ने इंस्टाग्राम पर इससे जुड़ी जानकारी शेयर की है। अंजली लगभग 20 सालों से इसी फील्ड में काम कर रही हैं और वो डाइट टिप्स एक्सपर्ट भी हैं।
अंजली के मुताबिक, यह कॉमन धारणा सभी के लिए सही नहीं है। किसी के लिए यह नियम फायदेमंद साबित हो सकता है और किसी के लिए यह नुकसानदेह भी हो सकता है।
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हर दो घंटे में कुछ खाने से डाइजेशन में होगी समस्या
अंजली के मुताबिक, यह रूल सिर्फ उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा जिनका मेटाबॉलिज्म पहले से ही बहुत तेज है। जिन्हें डाइजेशन से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या से दो चार नहीं होना पड़ता। अगर कोई और इसे करने की कोशिश करता है, तो उसे डाइजेस्टिव समस्याएं हो जाएंगी। उन्हें ऐसा महसूस होगा कि उन्हें अपच हो रही है।
ग्लोबल लाइफस्टाइल कोच Luke Coutinho ने भी अपने फेसबुक लाइव सेशन में इसी बारे में बात की है। उनका मानना है कि अगर सभी इस तरह की चीज करने की कोशिश करेंगे, तो कुछ लोगों को गैस्ट्रिक समस्याएं भी हो सकती हैं और यह काफी ज्यादा परेशानी पैदा कर सकता है।
हर दो घंटे में कुछ खाने के फायदे?
सबसे पहले यह बता देते हैं कि आखिर क्यों हर दो घंटे में खाने के लिए कहा जाता है और यह नियम इतना ज्यादा चर्चित क्यों है?
करीना कपूर की न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर की पोस्ट के मुताबिक, अगर आप हर दो घंटे में कुछ खाते हैं, तो एक बार में कंज्यूम की गई कैलोरीज बहुत कम होती हैं। हां, ध्यान रखने वाली बात यह है कि आपको बहुत सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
हर दो घंटे में खाने से आप अपने पेट को इस तरह से ट्रेन करते हैं कि वह ज्यादा भूखा ना रहे और एक बार में ओवरईटिंग की समस्या ना हो। एक बार में बहुत सारा खाना खाने से होता यह है कि हम बिना सोचे-समझे अपनी डाइट से ज्यादा खा लेते हैं जिसकी वजह से वजन बढ़ता है। जितनी बार आपका शरीर खाना डाइजेस्ट करने के प्रोसेस में जाता है उतनी बार शरीर में कैलोरी बर्निंग होती है। नतीजा यह कि एनर्जी फैट में तब्दील नहीं हो पाती।
वेटलॉस के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में खाने की इस ट्रिक को सही माना गया है, लेकिन यहां भी सवाल वही कि क्या सबके लिए यह सही है?
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हर दो घंटे में खाना सबके लिए नहीं होता सही
अगर आप बार-बार अपनी डाइट में बदलाव करेंगे, तो आपको डाइजेशन में समस्या होगी। अंजली के मुताबिक, जिन लोगों को गट डिसबायोसिस (gut dysbiosis) जैसी आंतों की दिक्कत होती है, जिनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा ज्यादा होती है, जिनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होती है, ऐसे लोग जो प्री डायबिटिक हैं, ऐसे लोग जो फिजिकली एक्टिव नहीं होते हैं यहां तक कि जिन्हें प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होता है उन्हें भी इस नियम से दूर रहना चाहिए।
अंजली का कहना है कि इस तरह की स्थिति में पेट संबंधित समस्याएं ज्यादा बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें रोजाना खाना पचाने में बहुत समस्या हो जाएगी।
ऐसे केस में इंसुलिन रिस्पॉन्स भी बदलेगा और आपका वजन बढ़ेगा। सिर्फ इतना ही नहीं, गैस्ट्रिक समस्याओं से स्ट्रोक आदि की दिक्कत भी हो सकती है।
यही कारण है कि इस तरह का कोई भी बदलाव डाइट में करने से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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