भारत की पहचान है गाय और भैस के दूध से बना शुद्ध घी। दादी-नानी के पास जाओ तो यह सुख कई बच्चों ने उठाया होगा। घर के खाने के साथ घर पर ही बना मक्खन और घी चुपड़-चुपड़ के रोटियों या पराठों में लगा दिया जाता था। इसे शरीर के लिए पौष्टिक माना जाता था और आज भी इसे हेल्दी फैट्स में शामिल किया जाता है।
घी बनाना भी आसान होता है। इसे मलाई को धीमी आंच पर पकाकर निकाला जाता है। घी बनाने में डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल होता है मगर कभी भी एनिमल फैट का इस्तेमाल नहीं होता।
हालांकि, अभी कुछ दिन पहले तिरुपति बालाजी से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी में यह बात सामने आई कि वहां बनने वाले लड्डू के लिए जो घी इस्तेमाल होता था, उसमें एनिमल फैट पाया गया है। इसके बाद से ही, लोगों के बीच रोष है कि इतने पवित्र स्थान में जहां लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं, इतनी बड़ी गलती वहां कैसे हो सकती है।
अब तिरुपति के स्पोक्समैन अनम वेंकट रमण रेड्डी ने एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू के दौरान बताया कि भगवान वेंकटेश्वर के लड्डू प्रसाद के लिए हर साल करीब 5,000 टन घी की जरूरत होती है। इतनी बड़ी मात्रा में शुद्ध घी जुटाना मुश्किल है। यह वाकई हैरान करने वाली बात है कि घी के बढ़ते दामों के बाद भी मंदिर को घी पहुंचाने वाली कंपनी कैसे इतना शुद्ध घी पहुंचा रही थी।
हालांकि, जांच में पता चला कि वह लंबे समय से प्रसाद के लिए नकली घी बेच रही थी। यह तो तिरुपति का मामला है, लेकिन बाजार में भी नकली घी की कमी नहीं है। हेल्थ के अच्छा फैट समझकर जिस घी को हम घर ला रहे हैं, वो भी नकली हो सकता है। घर वाला घी नॉन-वेजिटेरियन तो नहीं, यह चेक करने के लिए इन तरीकों को आजमाएं।
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1. लेबल को ध्यान से पढ़ें
आपका घी वेजिटेरियन है या नहीं यह देखने के लिए लेबल को ढंग से पढ़कर चेक करें। सभी ब्रैंड्स अपने इंग्रीडिएंट्स को लेबल पर लिस्ट करते है। आप लेबल पढ़कर भी एनिमल ओरिजिन का पता लगा सकते हैं।
जिलेटिन: अगर घी के लेबल में जिलेटिन का जिक्र है, तो आपको उसका उपयोग नहीं करना चाहिए। यह मांसाहारी इंग्रीड़िएंट की ओर इशारा करता था। जिलेटिन में एनिमल बोन्स का इस्तेमाल होता है।
E471 (फैटी एसिड के मोनो और डाइग्लिसराइड्स): यह एडिटिव एनिमल या प्लांट से प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए घी को हमेशा वेरिफाई करके ही उपयोग करें। अगर आप लेबल में मक्खन या दूध फैट को लिस्टेड देखते हैं, तो घी संभवतः शाकाहारी है।
2. ग्रीन सिंबल देखें
कई देशों में, विशेष रूप से भारत में, खाद्य उत्पादों को विशिष्ट प्रतीकों के साथ लेबल किया जाता है जो यह दर्शाता है कि वे वेज हैं या नॉन-वेज। अगर आप पैकेजिंग के ऊपर ग्रीन सिंबल देखते हैं, तो वह प्रोडक्ट वेज है, जबकि लाल सिंबल नॉन-वेज आइटम को दर्शाता है। साथ ही, सिंबल चेक करने के बाद भी इंग्रीडिएंट लिस्ट पर एक नजर जरूर डालें।
3. घी को गर्म करके चेक करें
गाय या भैंस के दूध से बना शुद्ध घी आमतौर पर शाकाहारी होता है, क्योंकि यह एक डेयरी उत्पाद है। शुद्धता जांचने के लिए, आप घी को घर पर पिघलाकर उसकी जांच कर सकते हैं।
इसके लिए एक चम्मच घी को एक पैन में गर्म करें। घी पिघलते ही यदि वह साफ दिखता है, तो घी शुद्ध है, लेकिन अगर घी पिघलते ही अलग लेयर्स में सेपरेट हो रहा है या उसमें कोई रेसिड्यू है, तो आपका घी नकली हो सकता है।
4. स्टार्च टेस्ट करके जांच करें
आप घर पर स्टार्च करके असली और नकली घी की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आपको आयोडीन की आवश्यकता होगी। आयोडीन की मदद से घी की मिलावट बहुत स्पष्ट रूप से सामने आ जाती है।
अगर आप अलग-अलग ब्रैंड्स के घी इस्तेमाल कर रहे हैं, तो किसी भी ब्रैंड के घी की शुद्धता को चेक करने के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए एक चम्मच घी को एक कटोरे में डालें। घी में आयोडीन की 3-4 बूंद डालें और अच्छी तरह से घी को मिलाएं। अगर घी का रंग बदलता है और यह बदलकर बैंगनी हो जाता है, तो समझिए कि घी में मिलावट की गई है।
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5. शुगर टेस्ट करके देखें
यदि आपके पास आयोडीन नहीं है, तो आप चीनी की मदद से भी घी की शुद्धता को जांच सकते हैं। इससे पता लग सकता है कि आपके घी में वेजिटेबल ऑयल है या नहीं।
थोड़ी मात्रा में घी पिघलाएं और उसे ट्रांसपेरेंट बोतल में डालें। घी में एक चुटकी चीनी मिलाएं। बोतल को बंद करें और कुछ सेकंड के लिए जोर से हिलाएं। इसे लगभग पांच मिनट तक बिना हिलाए रहने दें। अगर बोतल के निचले हिस्से पर लाल रंग दिखाई देता है, तो यह घी में वनस्पति तेल की मौजूदगी का संकेत हो सकता है, जो यह दर्शाता है कि यह शुद्ध नहीं है।
अब आप भी इन तरीकों से घर में घी की शुद्धता को चेक कर सकते हैं। अगर आपने इसके अलावा भी कोई टेस्ट करके मिलावटी सामग्री का पता लगाया है, तो अपने अनुभव और वह ट्रिक हमारे साथ ही शेयर करें।
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Image Credit: Freepik
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