भारत में स्नैक्स का बहुत बोल बाला है और लगभग हर प्रांत में अलग तरह के स्नैक्स मिलते हैं। इन्हीं में से हैं सेव और भुजिया जो लगभग पूरे उत्तर और मध्य भारत में प्रसिद्ध हैं। । ये अलग-अलग तरह से खाए जाते हैं और टी-टाइम स्नैक्स की बात करें तब तो इन्हें ज्यादा ही पसंद किया जाता है। कई जगहों पर सेव को खाने के साथ खाया जाता है और कई जगहों पर सेव की सब्जी भी बनाई जाती है।
आप सभी के मन में कभी न कभी सेव को लेकर एक ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर सेव कैसे हमारे स्नैक्स का हिस्सा बना और कैसे रतलामी हमारे टी टाइम को अमेजिंग बनाना शुरू कर दिया। आइए आपके इस सवाल का जवाब देते हैं और आपको बताते है कि कैसे ये चटपटा स्नैक्स भारत में आया और क्या है इसकी कहानी।
रतलामी सिर्फ सेव का नहीं बल्कि मध्य प्रदेश का एक मशहूर जिला है। इस शहर की स्थापना लगभग 200 साल पहले हुई थी, लेकिन तब इसका नाम रत्नापुरी था। यहां की फेमस चीज है सेव, जिसे हर घर खाया जाता है।
यहां की शादी, समारोह और हर थाली में सेव परोसे जाते हैं। इसलिए इसे रतलामी सेव के नाम से जाना जाता है। इसे लौंग सेव और इंदौरी सेव भी कहा जाता है।
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रतलामी सेव की खोज का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। कहा जाता है कि इसका इतिहास लगभग 200 साल पुराना है। यह सेव तब भारत आई जब 19वीं सदी मुगल शाही परिवार आया था। कहा जाता है कि तब मुगलों को सेवई खाने की इच्छा हुई और सेवइयां गेहूं से बनती है।
पर उस वक्त रतलाम में गेहूं नहीं पाया जाता था। ऐसे में बेसन, बाजरा और जौ को ही खाया जाता था। इसलिए बादशाह ने बेसन की सेव को बनाया और स्नैक्स के तौर पर खाना शुरू किया।
बेसन से सेवई बनाने के लिए मुगलों ने आदिवासियों से कहा था। आदिवासियों ने भाली की मदद से बेसन की सेव बनाई और बादशाह को सर्व कीं। इस तरह रतलामी सेव की पहली वैरायटी तैयार हुई, पर तब इसे भीलड़ी सेव कहा जाता था। पर आज यह सेव रतलाम की फेमस नमकीन है, जिसे रतलामी सेव के नाम से जाना जाता है। (बेसन से बनाएं ये टेस्टी स्नैक्स)
सेव एक लोकप्रिय भारतीय स्नैक फूड है। इसमें चने के आटे के पेस्ट से नूडल्स बनाए जाते हैं और फिर तेल में डीप फ्राई किया जाता है। इसमें कई तरह से स्वाद का तड़का लगाया जाता है जैसे अजवाइन, हींग और जीरा।
फिर ऊपर से स्पाइसी मसाला तैयार किया जाता है। पर भुजिया में तीखापन ज्यादा नहीं होता और सेव तीखे और फीके दोनों बनाए जा सकते हैं।
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बीकानेरी भुजिया का इतिहास 1877 में माना जाता है जब महाराजा श्री डुंगर सिंह ने बीकानेर में पहला भुजिया का बैच बनवाया था। इसलिए ही बीकानेरी भुजिया नाम प्रसिद्ध भी हुआ था। भुजिया हमेशा राजस्थान से रही है और सेव की अलग-अलग वेराइटी का श्रेय मध्य प्रदेश को जाता है।
तो ये थी स्पाइसी सेव की दिलचस्प कहानी, उम्मीद है इसकी कहानी सुनकर आपके मुंह में भी पानी जरूर आ गया होगा, तो देर किस बात की आप भी आज ही लीजिए स्वादिष्ट सेव का स्वाद और अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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