भारत में ऐसा कोई शहर नहीं होगा, जहां गोलगप्पे न बनाए और बेचे जाते हों। हां, क्षेत्र बदलने के साथ-साथ इनके नाम जरूर बदल सकते हैं, लेकिन इनके प्रति हम भारतीयों की भावनाएं बिल्कुल नहीं बदल सकती। गोलगप्पे एक ऐसा स्ट्रीट फूड है, जो आपको हर पार्टी और शादी में दिखेगा। आप गोलगप्पे खाते बड़े चाव से हैं, लेकिन क्या इसकी हिस्ट्री के बारे में कुछ भी जानते हैं ?
गोलगप्पे कब और कैसे बने होंगे, इस बारे में कभी आपने सोचा है?अगर नहीं, तो आज आप गोलगप्पों के रोचक इतिहास के बारे में जानने के लिए तैयार हो जाइए। यह भी जानिए कि गोलगप्पों का संबंध मगध और महाभारत से है।
गोलगप्पे की उत्पत्ति की कहानी
गोलगप्पे की उत्पत्ति के पीछे दो कहानियां बहुत ज्यादा प्रचलित हैं, जिनमें से एक ऐतिहासिक है तो एक पौराणिक है। ऐतिहासिक कहानी इसे मगध से जोड़ती है और पौराणिक कहानी के पीछे इसका संबंध महाभारत से दिखता है।
पौराणिक कहानी के अनुसार द्रौपदी ने बनाए थे गोलगप्पे
पौराणिक कथा के अनुसार, जब द्रौपदी पांडवों से शादी कर घर आईं, तो उन्हें उनकी सास कुंती ने एक काम पकड़ा दिया। पांडव चूंकि वनवास में थे, तो इसलिए उनके पास कम ही संसाधन थे और उन्हें उसी के सहारे गुजर-बसर करना था। कुंती यह परखना चाहती थीं कि द्रौपदी घर-बार संभालने में कितनी कुशल हैं, इसलिए उन्होंने द्रौपदी (द्रौपदी के 8 नाम कौन से थे, जानें) को कुछ बची हुई सब्जियां और एक पूरी बनाने के लिए थोड़ा गेहूं का आटा दिया और टास्क दिया कि वह कुछ ऐसा बनाएं, जो उनके सभी पुत्रों की भूख को संतुष्ट करे। द्रौपदी ने ऐसा कुछ बनाने का सोचा और तब उन्हें पानी पुरी या गोलगप्पे बनाने का आइडिया आया। ऐसा माना जाता है कि नई-नवेली दुल्हन द्रौपदी ने गोलगप्पे बनाकर पेश किए तो कुंती बहुत खुश हुईं और द्रौपदी को आशीर्वाद दिया।
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ऐतिहासिक कहानी के अनुसार मगध में बने थे गोलगप्पे
ऐसा माना जाता है कि 'फुल्की', जो गोलगप्पों का दूसरा नाम है, पहली बार मगध में बनाई गई थी। हालांकि, इसका आविष्कार करने वाला इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है। हो सकता है कि इसमें उपयोग की जाने वाली सामग्री बहुत अलग हो, लेकिन दावा यही किया जाता है कि इसे मगध में बनाया गया था। अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो देखा जा सकता है कि गोलगप्पे की दो महत्वपूर्ण सामग्री आलू और मिर्च, दोनों 300-400 साल पहले भारत आ गए थे, तो शायद यह भी सच हो। इसी कारण बिहार में इसे फुलकी कहा जाता है और आलू का चटपटा मसाला बनाकर उसमें भरकर खाया जाता है।
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अलग-अलग नामों से जाना जाता है गोलगप्पा
गोलगप्पे का नाम भारत के विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर भिन्न होता है। हरियाणा में इसे 'पानी पताशी' के नाम से जाना जाता है। मध्य प्रदेश में 'फुलकी', उत्तर प्रदेश में 'पानी के बताशे' या 'पड़के'; असम में 'फुस्का' या 'पुस्का', ओडिशा के कुछ हिस्सों में 'गुप-चुप' और बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में 'फुचका' नाम से जाना जाता है। इसके साथ अलग-अलग तरह गोलगप्पे का पानी (ऐसे बनाएं गोलगप्पे का मीठा पानी), चटनी, मसाला आदि भी शहर के साथ बदलता रहता है।
अब गोलगप्पे चाहे द्रौपदी ने बनाए या मगध में बनाए गए इसके बारे में दावा नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह जिसका भी आइडिया था, बहुत खूब था।
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