आज का दौर ऐसा है कि जब हमें बर्फ चाहिए, तो बस फ्रिज का दरवाजा खोलते ही ठंडी-ठंडी बर्फ आसानी से मिल जाती है। लेकिन एक समय था जब न तो फ्रिज था और न ही बर्फ बनाने की कोई मशीन। इसके बावजूद लोग बर्फ का लुत्फ उठाते थे और इसे लंबे समय तक बचाकर रखते भी थे।
हालांकि, पहाड़ी इलाकों से बर्फ लाना और इस्तेमाल करना एक अलग बात हो सकती है। मगर अहम सवाल यह है कि यह बर्फ आखिर आती कहां से थी? पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर विदेशों तक, बर्फ को लाने और संरक्षित करने के कई रोचक तरीके अपनाए जाते थे। कभी यह ऊंटों और घोड़ों पर लादी जाती थी, तो कभी भूमिगत गुफाओं में रखी जाती थी।
खासतौर पर राजाओं, नवाबों और अमीर व्यापारियों के लिए बर्फ किसी कीमती वस्तु से कम नहीं थी। आइए जानते हैं, बिना मशीन के भारत में बर्फ कैसे पहुंचती थी और इसे सुरक्षित रखने के लिए कौन-कौन से अनोखे उपाय किए जाते थे।
कहां से आई बर्फ?
बर्फ का इस्तेमाल कई सालों से किया जा रहा है, लेकिन कहा जाता है सबसे पहले इसका इस्तेमाल फ्रांस में किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि 1835 में वैज्ञानिक एड्रिन जीन-पियरे थिलोरियर ने पहली बार बर्फ को बनाया था।
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इसे बनाने के लिए उन्होंने Co2 का इस्तेमाल किया था यानी तरल कार्बन डाई आक्साइड को एक कांच के बर्तन में डाला था। इसके बाद बर्तन में ड्राई आइस ही रह गई थी बाकी Co2 वाष्पित हो गई थी। ड्राई आइस का आविष्कार बर्फ के उपयोग में एक क्रांतिकारी कदम था।
कब आई बर्फ जमाने वाली मशीन?
पहले किसी भी तरह से बर्फ को जमा लिया जाता था, लेकिन क्या आपको पता है कि पहली बार आइस मेकिंग मशीन का इस्तेमाल कब किया गया था? अगर आपको नहीं पता तो बता दें बर्फ जमाने वाली मशीन का आविष्कार 19वीं शताब्दी में हुआ। इससे बर्फ जमाना काफी आसान हो गया था।
बर्फ और मुगल का संबंध
मुगलकाल में बर्फ किसी विलासिता से कम नहीं थी। शाही परिवार, खासकर बादशाह और उमराव, ठंडी चीजों का बहुत शौक रखते थे। चूंकि उस समय बर्फ बनाने की मशीन नहीं थीं, इसलिए इसे खास इंतजाम के तहत पहाड़ों से लाया जाता था और संरक्षित किया जाता था।
मुगलों के लिए बर्फ कश्मीर, हिमालय और अफगानिस्तान से लाई जाती थी। वहीं, गर्मी के मौसम में घोड़ों, ऊंटों और हाथियों पर बर्फ ढोई जाती थी और इसे जल्दी से दरबारों तक पहुंचाया जाता था। मुगलों के समय बर्फ का एक हिस्सा अफगानिस्तान और ईरान से भी मंगाया जाता था।
कोलकाता में बना देश का पहला आइस हाउस
कोलकाता जिसे पहले कलकत्ता कहा जाता था। यहां भारत का पहला शहर था, जहां आइस हाउस का निर्माण किया गया था। यह दौर ब्रिटिश शासन का था, जब आइस हाउस 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित किया गया था।
फ्रिज ने घर-घर पहुंचाया बर्फ
हालांकि, अब तो बर्फ मिलना बहुत ही आसान हो गया है और इसे आसान फ्रिज ने बनाया है। एक समय था जब बर्फ पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, खासकर गर्मी में। पहाड़ों से बर्फ लानी जाती थी। फिर खास स्टोर हाउस में इसे संरक्षित किया जाता था, लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान ने तरक्की की, फ्रिज का आविष्कार हुआ।
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बर्फ का सेवन आम लोगों के लिए आसान हो गया। पहले बर्फ केवल शाही महलों और अमीरों के लिए ही होती थी, लेकिन फ्रिज के आविष्कार ने इसे हर घर में उपलब्ध कर दिया। अब किसी को भी गर्मी में ठंडे पेय या बर्फ की जरूरत हो, तो वह आसानी से बर्फ बना सकता है।
यह आइस का इतिहास था, उम्मीद है कि आपको समझ में आ गया होगा। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
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