दिवाली आते ही घर पारंपरिक रूप से तैयारी शुरू हो जाती है। दिवाली का मेन्यू हमेशा खास होता है। मिठाइयां, नमकीन, स्नैक्स और तमाम डिशेज बनाई जाती हैं। इन पारंपरिक चीजों में खील और बताशे का एक विशेष स्थान है। इसे प्रसाद में चढ़ाकर फिर दोस्तों और परिवार को बांटा जाता है।
खील और बताशे में, बताशा शुद्धता और मिठास का प्रतीक है और खील के साथ मिलकर यह आशीर्वाद का प्रतीक है। हालांकि, अक्सर खील और बताशे में मिलावट की जाती है। आज हम आपको बताएंगे कि असली और नकली की पहचान कैसे करनी चाहिए।
असली खील की पहचान उसके हल्केपन, शुद्धता और स्वाद से की जा सकती है। चलिए जानें कि आप असली खील की पहचान कैसे कर सकते हैं:
असली खील आम तौर पर सफेद या ऑफ-व्हाइट होती है, जिसमें मुलायम, फूली हुई बनावट होती है। अगर आपको इसमें पीलापन या भूरापन नजर आता है, तो यह काफी पुराना हो सकता है। ऐसी खील से बचें जो अप्राकृतिक रूप से चमकी हुई या बहुत सफेद दिखाई देती है, क्योंकि इसमें ब्लीचिंग एजेंट हो सकते हैं।
ताजी खील हल्की और कुरकुरी होती है। अगर संभव हो तो खरीदने से पहले थोड़ा-सा सैंपल हाथ में लेकर देखें। बासी खील का स्वाद थोड़ा कड़वा हो सकता है या कुरकुरी होने की बजाय च्युई हो सकती है, जो दर्शाता है कि इसने नमी सोख ली है। इसलिए इस तरह की खील बिल्कुल न खरीदें।
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असली खील में आपको गंध नहीं मिलेगी। अगर आपको कोई बासी, खट्टी या असामान्य गंध आती है, तो खील पुरानी हो सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि इसे ठीक से स्टोर नहीं किया किया होगा, जिसकी वजह से इसकी गुणवत्ता और स्वाद खराब हो जाता है।
कुछ लोग खील को स्टोर करने के लिए या उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल करते हैं। असली खील में किसी तरह की अतिरिक्त कोटिंग या केमिकल पार्टिकल्स नहीं होनी चाहिए। इसलिए खील खरीदते समय उस पर गौर करना न भूलें।
बताशा देखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन असली बताशा की बनावट और स्वाद भी अलग होता है। उसमें जाल जैसी बनावट होती है, इसलिए नकली बताशा खरीदने से बचना चाहिए-
असली बताशा आमतौर पर डिस्क के आकार का होता है और ओपेक सफेद रंग का दिखाई देता है। वे आकार में थोड़े असमान होते हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक चीनी से बने होते हैं जो क्रिस्टलाइज होकर एक जैसे शेप में नहीं बनते। अगर आपको एकदम गोल, सफेद या बहुत ज्यादा स्मूथ बताशा दिखता है, तो उसमें केमिकल हो सकता है। ऐसा बताशा बिल्कुल न खरीदें।
जब आप बताशा काटते हैं, तो यह हल्का महसूस होना चाहिए और मुंह में आसानी से घुल जाना चाहिए। असली बताशा अपनी हाई शुगर कॉन्टेंट के कारण बिना कोई अवशेष छोड़े जल्दी से टूट जाएगा। अगर बताशा घना या कठोर लगता है, तो इसमें कॉर्नस्टार्च जैसे एडिटिव्स हो सकते हैं, जिसका इस्तेमाल अक्सर सस्ते बताशा को ज्यादा गाढ़ा बनाने के लिए किया जाता है।
असली बताशा मीठा होता है, लेकिन इसका स्वाद बिना क्लीयर होना चाहिए। केमिकल-बेस्ड या खराब बताशा बहुत मीठा या केमिकल स्वाद छोड़ सकता है, जो कम क्वालिटी वाली चीनी या एडिटिव्स की मौजूदगी का संकेत देता है।
क्वालिटी वाले बताशा में केवल चीनी और पानी होता है। कुछ निर्माता रंग या स्वाद मिला सकते हैं, जो पारंपरिक नुस्खे से अलग है। पैकेज्ड बताशा खरीदते समय हमेशा सामग्री के लिए लेबल की जांच करें और अतिरिक्त स्वाद, रंग या प्रिजर्वेटिव वाले बताशा से बचें।
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अब इन टिप्स को आप भी ध्यान में रखें और अच्छी क्वालिटी की खील और बताशा खरीदें। हमें उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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