कहते हैं मुरब्बा सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है और यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यही वजह है कि सर्दियों और गर्मियों में मुरब्बों को भारतीय घरों में खाने के साथ या बाद में खूब खाया-खिलाया जाता है। मुरब्बा पॉलीफेनोल्स, विटामिन सी, विटामिन ए, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन जैसे पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। वैसे तो इसे ज्यादातर लोग सर्दियों में खाते हैं, लेकिन गर्मियों में खासतौर से बेल का मुरब्बा खाया जाता है, क्योंकि यह शरीर को ठंडक पहुंचाता है।
अगर पूछा जाए कि मुरब्बा क्या है तो बहुत ही सरल भाषा में कहा जा सकता है कि फलों चीनी और कुछ स्पाइसेस में लंबे समय तक के लिए छोड़कर मुरब्बा तैयार होता है। इसकी तुलना विदेशों में मिलने वाले जैम और मार्मलेड से करें तो गलत नहीं होगा।
इसके साथ ही अगर आपसे यह कहा जाए कि मुरब्बा भारतीय किचन में कोई विदेशी ही लाया था तो क्या कहेंगे? जी हां, अगर इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए, तो कई जगहों पर यह बताया गया है कि पुर्तगाल और सेंट्रल एशिया के माध्यम से मुरब्बा भारतीय घरों तक पहुंचा। इसकी दिलचस्प कहानी के बारे में आइए विस्तार से जानें।
जैम के विपरीत, मुरब्बा बनाने के लिए फल में पानी में डालकर कुछ देर उबाला जाता है और फिर इसमें चीनी डाली जाती है और इलायची और केसर के साथ इसे सेट होने के लिए छोड़ दिया जाता है। जैम या जेली को विशेष टेक्सचर देने के लिए फलों के गूदे और छिलके को अलग किया जाता है, लेकिन मुरब्बा बनाते वक्त ऐसा नहीं करते हैं।
कुछ विद्वानों का मानना है कि मुरब्बा को अरबी, फारसी, उज्बेकी भाषा में भी प्रयोग किया जाता रहा है और सभी जगह इसका अर्थ एक ही हुआ- 'मीठे संरक्षित फल'। जब खूबानी, आलूबुखारा, नाशपाती सरीखे फल कोई 500-600 साल पहले मध्य एशिया से भारत पहुंचे, तो मुरब्बे की सौगात वही अपने साथ लाए। कुछ लोग इसका श्रेय आर्मीनियाई लोगों को देते हैं तो कुछ ईरानियों या तुर्कों को।
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ऐसा माना जाता है कि पुर्तगालियों ने बंगाल को मुरब्बा बनाना सिखाया, जिसकी तर्ज पर आगे चलकर Birbhum-Er Morabba/ सुरी मुरब्बा विश्व प्रसिद्ध हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण सबसे पहले राजनगर में किया गया था। सिउरी/सुरी में, मुरब्बा कच्ची सब्जियों और फलों से बनाया जाता रहा है, जिन्हें चाशनी में डुबोया जाता था। सिउरी की यह मिठाई उस क्षेत्र की शान है और लोग इसे खूब पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, दूर-दूर से पर्यटक इन व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए आते हैं।
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कुछ लोगों का कहना यह भी है कि इसे पुर्तगाली नहीं बल्कि एक भारतीय ने ही दुनियाभर से मिलाया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 18वीं शताब्दी के मध्य में, हरिप्रसाद डे दिल्ली गए और वे उत्तर भारत की एक आम मिठाई पेठा (कैसे बनता है पेठा, जानें) से बहुत प्रभावित हुए, जो आगरा में बहुत प्रसिद्ध है। उन्होंने एक मिठाई की दुकान के मालिकों से इसे बनाने का तरीका सीखा और बंगाल वापस आने के बाद मुरब्बा पेश किया।
कुछ विद्वानों का मानना है कि मुरब्बा संभवत: मध्य एशिया से भारतीय रसोई तक आए। मध्य एशिया में मुरब्बा कई अलग-अलग रूप में क्षेत्रीय पाक संस्कृतियों का हिस्सा हैं। जॉर्जियाई भोजन में मुरब्बे को ट्रेडिशनल डेजर्ट के रूप में खाया जाता है। अजरबैजान में, हर टी टाइम टेबल का हिस्सा मुरब्बा या जैम होते हैं। ओटोमन्स के भोजन में मुरब्बे के लिए खास जगह है और शाही तुर्की रसोई में रब और मुरब्बे के लिए एक अलग और खास सेक्शन होता है। इतना ही नहीं उनका स्टाइल, अन्य पश्चिमी शैली के जैम, मार्मलेड और मुरब्बे की तुलना में अधिक मोटा होता है।
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दरअसल जिस शहर या राज्य में जो चीज पसंद की जाती है, लोग उसे मुरब्बे के तौर पर बना लेते हैं। आंवले का मुरब्बा बहुत आम है। इसके अलावा नींबू का मुरब्बा भी बहुत पसंद किया जाता है। बेल का मुरब्बा खासतौर से गर्मियों मे खाया जाता है। इसके अलावा, सेब, हरड़, चेरी, मिक्स फ्रूट, आलम, गाजर, पाइनएप्पल, आम, गुलाब, बिलिम्बी, आंवला-गुड़, संतरा, आलूबुखारा, मूली, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी, अदरक-गुड़ का मुरब्बा भी बहुत लोकप्रिय है।
सेहत के लिए फायदेमंद मुरब्बे को आपको भी जरूर चखना चाहिए। मुरब्बे के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं। यदि यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें। इसी तरह पकवानों के रोचक किस्से पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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