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क्या आपको पता है चौराहे पर लगे घोड़े के 1 या 2 पैर हवा में होने का मतलब?

कहीं न कहीं आपको चौराहे पर घोड़े का लगा हुआ स्टैच्यू देखने को जरूर मिला होगा, इसमें कभी किसी हॉर्स के दोनों पैर हवा में तो किसी का एक पैर। अब ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसका मतलब क्या है। अगर नहीं, तो नीचे जानें इसका अर्थ-
Editorial
Updated:- 2025-11-03, 17:25 IST

History Of Equestrian Statues: चौराहों और पब्लिक प्लेस पर अक्सर वीर योद्धाओं की प्रतिमाएं या स्टैच्यू देखने को मिल जाती हैं। उनमें से एक है घोड़ों की प्रतिमा। अब ऐसे में अगर आपने गौर किया हो, तो घोड़ों की बनावट से लेकर उनके खड़े और बैठने की आकृति में फर्क होता है। इसमें कभी किसी घोड़े का एक पैर हवा में तो कभी दोनों पैर वहीं कभी घोड़ा सामान्य तरीके से खड़ा होता है बता दें कि ये प्रतिमाएं न सिर्फ कलाकृतियां बल्कि इनमें उस योद्धा की मृत्यु और जीवन के बारे में गहरा इतिहास छिपा होता है। इस लेख में आज हम आपको इन घोड़ों के खड़े होने के पीछे के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं, कि उसका सही अर्थ या मतलब क्या है?

घोड़े का एक पैर हवा में होने मतलब

equestrian statue symbolism

अगर किसी चौराहे पर घोड़े का केवल एक पैर हवा में होने वाला स्टैच्यू लगा है, तो इसका मतलब यह है कि वह योद्धा या सेनापति युद्ध में घायल होने के कारण या जंग से जुड़ी चोटों के कारण मरा था। यह आकार दर्शाता है कि योद्धा ने साहस के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन अंततः अपनी चोटों के कारण उसकी मृत्यु हुई।

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घोड़े के दोनों पैर हवा में होने का मतलब

horse statue meaning

अगर आपको किसी चौराहे पर मूर्ति में घोड़े के दोनों पैर हवा में दिखाई दें, तो इसका अर्थ यह है कि यह सबसे दुखद स्थिति को दर्शाती है। वह योद्धा या सेनापति युद्ध के मैदान में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था। यह मुद्रा उस योद्धा की अंतिम बलिदान और बहादुरी को सबसे बड़े सम्मान के साथ याद करने के लिए बनाई जाती है।

घोड़े के सभी पैर जमीन पर होने का मतलब

horse situation meaning

इन दोनों आकार के अलावा, अगर आपको घोड़ा जमीन पर यानी चारों पैरों पर सामान्य तरीके से खड़ा नजर आ रहा है, तो इसका अर्थ यह है कि वह योद्धा या नेता स्वाभाविक कारणों से या किसी गैर-युद्ध संबंधी बीमारी के कारण मरा था। यह मुद्रा दर्शाती है कि योद्धा ने लंबी सेवा दी, लेकिन उसकी मृत्यु लड़ाई के मैदान में नहीं हुई।

चौराहे पर घोड़ों की मूर्तियां लगाने की परंपरा कब और कहां से शुरू हुई?

घुड़सवार मूर्तियों को चौराहे पर लगाने की परंपरा की परंपरा प्राचीन ग्रीस और विशेष रूप से प्राचीन रोम में मिलती हैं, जहां लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही सैन्य नेताओं और सम्राटों की शक्ति, अधिकार और सैन्य सफलताओं को दिखाने के लिए ऐसी कांस्य की मूर्तियां बनाई जाती थी।

इसका उद्देश्य योद्धा के शौर्य और पद को स्थायी रूप से स्थापित करना था। आज भी बची हुई सबसे प्रसिद्ध प्राचीन रोमन घुड़सवार प्रतिमा सम्राट मार्कस ऑरेलियस की है, जो रोम में स्थित है और लगभग 175 ईस्वी की है।

19वीं शताब्दी के आसपास प्रतीकात्मक कोड लोकप्रिय हुआ, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका में गृहयुद्ध के स्मारकों के आसपास हुई थी।

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Image Credit- Freepik, shutterstock

 


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