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गर्म पत्थर पर बनाई जाती थी ब्रेड, जानें फिर कैसे बनने लगा केक?

केक एक फेवरेट डेजर्ट है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे पहली बार कब और किसने बनाया? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2022-06-16, 19:33 IST

बर्थडे और एनिवर्सरी में केक काटना एक प्रथा हो गई है। आप न न करते हुए भी इसका एक टुकड़ा अपनी प्लेट पर रख देते हैं। आज तरह-तरह के फ्लेवर्स, थीम और स्टाइल के केक बेकरी शॉप्स में उपलब्ध हैं मगर क्या आपको पता है कि केक बनाने का ख्याल सबसे पहले किसे आया होगा? केक की उत्पत्ति भी इसी की तरह कलरफुल और रोमांच से भरी हुई है।

अगर भारत की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि इसे पहले दक्षिण भारत के एक छोटे से शहर में बनाया गया था। भारत की पहली पहली बेकरी भी वहीं स्थापित हुई। लेकिन केक और बिस्किट तो पश्चिमी दुनिया से आए, तो फिर भारत में पहली बेकरी का सफर कैसे शुरू हुआ? ऐसा क्या हुआ कि केक भारत की समृद्ध पाक परंपरा का हिस्सा बन गया? भारतीयों ने केक के लिए स्वाद कैसे विकसित किया? अपने सवालों के जवाब अगर आप पाना चाहें तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

सबसे पहले किसने बनाया केक?

who made cake first

अब इतिहासकारों की मानें तो केक का आइडिया सबसे पहले मिस्र के लोगों को आया था है। हालांकि वे लोग केक को केक की तरह नहीं बनाते थे। इसे ब्रेड और शहद से तैयार किया जाता था और यह एक राउंड फ्लैट शेप में बनता था जिसे पत्थरों पर सेका जाता था।

इसके बाद ग्रीक्स चीजकेक लेकर आए और ऐसा माना जाता है कि फ्रूट केक जिन्हें आज चाय के साथ खूब खाया जाता है, उसे बनाने का आइडिया रोमन्स को आया था।

इतिहासकार यह मानते हैं कि केक में यीस्ट डालने की शुरुआत भी रोमन्स ने ही की थी। उसके बाद 16वीं शताब्दी में इतालवियों ने कुछ नए प्रयोग किए। उन्होंने इस केक के बैटर में अंडे डालने शुरू किए। केक लाइट और फ्लफी तो बनने लगे लेकिन यह काफी वक्त जाया करता था। तभी बेकिंग पाउडर और सोडा केक बैटर में डालकर तैयार करें। ऐसा माना जाता है कि इस राउंड फ्लैट केक का विकसित वर्जन असल में 1800 में आया।

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आखिर भारत में कैसे आया केक?

cake history in india

भारत कई वर्षों तक एक यूरोपीय उपनिवेश था। इसिलए भारत में केक का आगमन तो होना तय था। भारत में आने और रहने वाले यूरोपीय लोगों की वजह से केक ने भारत में अपने पैर जमाने शुरू किए। अब यह तो आपको पता ही होगा कि पुर्तगाली, डच, ब्रिटिश और फ्रांसीसी लोगों ने भारत में बेक्ड गुड्स की शुरुआत की।

हालांकि ओवन में केक बनाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि उस समय ओवन बहुत महंगे हुआ करते थे। उस दौरान बड़े ओवन हुआ करते थे, जिन्हें गर्म करने के लिए लकड़ियों की जरूरत होती थी। भारत में बेक्ड खाद्य पदार्थों को पसंद करने वाले यूरोपियन्स के बावजूद यहां कोई बेकरी नहीं हुआ करती थी। भारत में पहली बेकरी कोलकाता में थी, लेकिन यह विशेष रूप से ब्रिटिश ग्राहकों के लिए तैयार की गई थी (बॉर्बन बिस्किट केक रेसिपी)।

भारत की पहली बेकरी की शुरुआत कैसे हुई?

royal bakery first bakery in india

साल था 1883 और भारत में ब्रिटिशर्स का राज था। थालास्सेरी के मम्बली बापू ने रॉयल बिस्किट फैक्ट्री की स्थापना केरल में की। बापू बेकरी गुड्स बनाना जानते थे। रॉयल बिस्किट फैक्ट्री ने भारत की पहली बेकरी में 40 ब्रेड, बिस्कुट और बन बनाना शुरू किया और जल्द ही, बापूट्टी और उनकी बेकरी काफी प्रसिद्ध हो गई। बापू ब्रेड और बिस्किट बनाना तो जानते थे लेकिन केक बनाने की साइंस उन्हें खास पता नहीं थी।

एक रोज एक ब्रिटिश प्लांटर बापू के पास एक रिच प्लम केक लेकर आया, जिसे वह खास इंग्लैंड से लाया था। उसे पता था कि बापू ऐसा केक बना सकेंगे, तो उसने बापू को केक बनाने का बेसिक प्रोसेस बताने के साथ कुछ सामग्रियों के बारे में बताया।

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बापू केक बनाने के लिए तैयार हो गए और इसके साथ उन्होंने इसमें अपने कुछ नए प्रयोग भी किए। कोको, किश्मिश, खजूर के साथ बापू ने इसमें एक लोकल ब्रू का इस्तेमाल किया और साथ में दो स्पेशल सामग्री- काजू और केला भी डाला। जब केक तैयार हुआ तो ब्रिटिश प्लांटर को इतना पसंद आया कि उसने दर्जनों प्लम केक तुरंत ऑर्डर कर लिए। बस एक प्लम केक ने ऐसे इतिहास रच दिया।

भारत में बेकिंग रातों-रात ही चलने नहीं लगा, बल्कि यह धीरे-धीरे होने वाली एक प्रक्रिया थी। इसके लिए विशिष्ट भारतीय जुगाड़ की आवश्यकता थी, जहां लोगों ने बिना ओवन के बेक करने के विभिन्न तरीकों का पता लगाया। प्लम केक के बाद नए सिरे से प्रयोगों को किया गया। कई सामग्रियों को जोड़ा गया और कई सामग्रियों को हटाया गया और फिर इस तरह से केक भारत में आया (स्पंजी और सॉफ्ट केक बनाने के टिप्स)।

तो फिर आपको केक का यह रोचक इतिहास जानकर कैसा लगा? क्या आपने कभी सोचा था कि केक की शुरुआत कैसे हुई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit : Freepik

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