क्या आप जानते हैं स्वाद से भरे मोमोज़ की शुरुआत कहां से हुई थी

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में कई जगहों पर बेहद लोकप्रिय व्यंजन के रूप में प्रसिद्ध मोमोज़ की शुरुआत कहां से हुई थी। 

Samvida Tiwari
momos food history

मोमोज़ का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना एक आम बात है और चटपटी चटनी सामने आ जाए तो मज़ा ही दोगुना हो जाता है। आपमें से न जाने कितने लोगों की पसंदीदा डिश में से एक हैं मोमोज़। भारत ही नहीं बल्कि आस-पास की अन्य जगहों में खाने के स्वाद की बात आती है तो लजीज़ मोमोज़ सामने आते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भला स्वाद से भरे इन मोमोज़ की शुरूआत कहां से हुई होगी? आखिर कब यहस्वादिष्ट व्यंजन, फ़ूड की दुनिया से निकलकर खाने की प्लेट का अहम् हिस्सा बन गया ? आखिर पहली बार इस स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद किसने चखा और किस देश से ये भारत में आया? अगर आपके मन में भी ऐसे ख्याल आते हैं तो चलिए इन सवालों के जवाब जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।

मोमोज़ का मतलब क्या है

momos meaning

ऐसा माना जाता कि तिब्बत से निकलकर मोमोज सबसे पहले नेपाल गए तो उन्हें बनाने की विधि और सामग्री थोड़ा अलग हो गई। मोमोज का अर्थ है- भाप में बनी तिब्बती डिश, जो कि मांस और सब्जियों को मिलाकर तैयार की जाती है। नेपाल में मोमोज सबसे पहले काठमांडू में मिलने शुरू हुए थे। प्राचीन समय में मोमो काठमांडू घाटी और नेवार समुदाय के बीच प्रसिद्ध था। ऐसा माना जाता है कि नेवार व्यापारियों ने अपने व्यापार के दौरान तिब्बत के इन पकौड़ों को अपनाया और स्थानीय शैली में इस पकवान को एक नया रूप दिया और इस तरह मोमोज़ की शुरुआत हुई। तिब्बत के स्थानीय लोग इसे मोमोचा कहते थे। नेवाड़ी में 'मा नेउ' का अर्थ है उबला हुआ खाना और सबसे पहले इस तरह से पकवान को मोमोचा नाम दिया गया। मोमो एक तरह की नेपाली पकौड़ी है जिसे नेपाल में फिर से बनाया गया था। बाद में, यह व्यंजन पूरे नेपाल और पड़ोसी देश जैसे भारत में भी इतना लोकप्रिय हो गया कि इसके स्वाद को पूरी दुनिया में जाना जाने लगा।

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मोमोज़ क्यों हुए लोकप्रिय

momos popularity

मोमो के नेपाल के साथ पूरी दुनिया में इतने लोकप्रिय होने का कारण स्वाद, सामर्थ्य, उपलब्धता और लचीलापन है। मोमोज की विभिन्न किस्में हैं और आप कई तरह से मोमो अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं। आप अपनी पसंद की फिलिंग के साथ मोमोज बना सकते हैं आप इसे अपने स्वाद के साथ समायोजित कर सकते हैं और यही इसे इतना लोकप्रिय बनाता है। प्रारंभ में, नेवार समुदाय भैंस के मांस से भरे मोमो खाते थे, जिसे बफ मोमो के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर लोग भैंस का मांस नहीं खाते हैं, इसलिए उन्होंने शाकाहारी लोगों के लिए वेजिटेबल मोमोजऔर मांसाहारी के लिए चिकन मोमो बनाया। फिर, लोगों ने इसके साथ कई प्रयोग करने शुरू कर दिए और सी मोमो, साधको मोमोज, फ्राइड मोमोज, ओपन मोमोज, तंदूरी मोमोज, चॉकलेट मोमो, बनाना मोमोज आदि का जन्म हुआ। सबसे ज्यादा मज़े की बात ये है कि आप इस व्यंजन में अपने स्वाद के हिसाब से कुछ भी भर सकते हैं और वह स्वादिष्ट होता है।

मोमोज़ की शुरुआत भारत में कैसे हुई

momos origin

जब भारत में मोमोज़ की बात होती है तब सबसे ज्यादा सिक्किम में ये प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि भारत के सिक्किम में मोमोज, भूटिया, लेपचा और नेपाली समुदायों की वजह से पहुंचा, जिनके आहार का मुख्य हिस्सा मोमोज हुआ करता था। भारत में इसकी शुरुआत की बात की जाए तो 1960 के दशक में बहुत भारी संख्या में तिब्बतियों ने अपने देश से पलायन किया, जिसकी वजह से उनका यह स्वादिष्ट व्यंजन भारत के सिक्किम, मेघालय, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और कलिमपोंग के पहाड़ी शहरों से होते हुए दिल्ली तक पहुंच गया। दिल्ली के कोने -कोने में अब मोमोज़ के स्टॉल देखने को मिलते हैं और स्वाद से भरपूर होने की वजह से यह हर एक उम्र के लोगों को पसंद आता है।

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कीमत है किफायती

इसके अलावा इसकी लोकप्रियता का एक और कारण इसकी कीमत है। चाहे वह फैंसी फाइव स्टार होटल हो या स्ट्रीट स्टॉल, आप हर जगह मोमो पा सकते हैं और यह सस्ता है। शुरुआत में यह 10 रुपये प्रति प्लेट हुआ करता था और अब इसकी कीमत बढ़ने के बाद भी किसी आम आदमी के खर्चे की सीमा के अंदर ही है।(घर पर ऐसे बनाएं मोमोज)

तो ये तो थी मोमोज़ की कहानी और इसके स्वाद ने इस भोजन को हमारे बीच कब इतना लोकप्रिय बना दिया पता ही नहीं चला।

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Image Credit: Freepik

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