अगर अपने काम और करियर के चलते आप भी अपनी मां से दूर हैं तो मां शब्द सुनकर ही आप इमोशनल हो जाते होंगे। ऐसा ही कुछ ‘सिटी लाइट्स’, ‘नानू की जानू’ और वेब सीरीज़ ‘बोस’ में नज़र आईं पत्रलेखा के साथ भी होता है। पत्रलेखा ने हमारे साथ बातचीत करते हुए बताया कि वैसे तो उन्हें अपनी मां की याद रोज़ आती है मगर जब वो बहुत ज्यादा भूखीं होती हैं तो अपनी मां को बहुत ज्यादा मिस करती हैं। पत्रलेखा ने बताया कि उनकी मां कमाल का खाना बनाती हैं और वो आए दिन उनके हाथ का बना खाना मिस करती है।
फूडी तो हूं मगर, मां के हाथ की खिचड़ी भी पसंद है
पत्रलेखा ने कहा कि इस साल 13 मई को सभी मदर्स डे मनाने वाले हैं और यह दिन मेरे लिए भी बहुत ख़ास है। मुझे याद है कि मेरी बहन और मैं मिलकर मां के लिए कप-केक्स बनाया करते थे। और जब से हमें पता चला कि मां के लिए ऐसा कोई ख़ास दिन भी होता है तब से हम हर साल कुछ स्पेशल करते थे। मैं शुरू से ही काफी फूडी हूं और मेरी बहन के साथ में कई रेस्तरां को एक्सप्लोर कर चुकी हूं मगर मां के हाथ के बने खाने का स्वाद मुझे कही नहीं मिला। आज काम के चलते उनसे दूर रहना पड़ रहा है मगर मुझे मेरे मां के हाथ की खिचड़ी भी बहुत पसंद है।
मां की Specialty है बंगाली फ़ूड
पत्रलेखा ने कहा कि मुझे चाट बहुत पसंद हैं, यहाँ मुंबई में भी चाट की कई वैराइटी है। इसके अलावा मैं बंगाली हूं इसलिए मुझे फिश और मटन काफी पसंद है। बंगाली फ़ूड बनाना मेरी मां की स्पेशलिटी है। वो पता नहीं इसमें ऐसा क्या डालती हैं मगर मुझे फिश का वो स्वाद कहीं और नहीं मिलता। मैं खुद खाना बनाना नहीं जानतीं मगर स्वाद को अच्छी तरह पहचानती हूं।
पत्रलेखा और राजकुमार के रिलेशनशिप के बारे में कौन नहीं जानता, हां यह बात अलग है कि दोनों इसे लोगों के सामने स्वीकारते नहीं हैं। जब पत्रलेखा से पूछा गया कि कहा जाता है कि आदमी के दिल का रास्ता पेट से होकर गुज़रता है, और वो तो खाना बनाना जानती नहीं है? ऐसे में पत्रलेखा ने जवाब में कहा कि यह कहावत पुरानी हो चुकी है नई बात यह है कि आप बस अपने पार्टनर के दोस्त बनने की कोशिश करें, वह आपसे कहीं दूर नहीं जाएगा।
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