बचपन से लेकर बड़े होने तक हम सभी ने एक बार नहीं बल्कि हजारों बार ट्रेन में सफ़र किया होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक शहर से दूसरे शहर में जाने के लिए कई माध्यम हो सकते हैं, लेकिन ट्रेन से सफ़र करने का एक अलग ही मज़ा होता है। भारत में ट्रेन से हर दिन करोड़ों लोग सफ़र करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं। इसलिए भारतीय ट्रेन को देश का लाइफ लाइन भी कहा जाता है।
लेकिन ऐसे कई लोग भी है जिन्हें टिकट बुक करते समय यह मालूम नहीं रहता है कि कौन सी सीट बुक करनी है या कौन से सीट बुक नहीं करनी है। ऐसे भी लोग भी होते हैं जिनको ये नहीं मालूम कि कितने तरह की सीट होती है। अगर आपको नहीं मालूम है तो फिर आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए। आइए जानते हैं।
ट्रेन में कितने प्रकार की होती है सीट?
ट्रेन की सीट के बारे में बात करने से पहले हम आपको बता दें कि स्लीपर क्लास (SL) में मुख्य रूप से पांच तरह की सीट होती है।
- अपर बर्थ
- मिडिल बर्थ
- लोअर बर्थ
- साइड लोअर बर्थ
- साइड अपर बर्थ
अपर बर्थ (Upper Berth)
सबसे पहले हम अपर सीट के बारे में बात करते हैं। आपको पहले ही बता चुके हैं कि स्लीपर क्लास में पांच तरह की सीट होती है। अपर सीट स्लीपर क्लास कोच में सबसे ऊपर होती है। बुगुर्ग व्यक्ति अगर ट्रेन में टिकट बुक करते हैं तो उन्हें ये सीट बहुत कम दी जाती है, क्योंकि उन्हें ऊपर चढ़ने में परेशानी होती है। इसलिए बुकिंग के समय यह सीट अधिकतर युवाओं को रेफर की जाती है।
मिडिल बर्थ (Middle Berth)
मिडिल सीट उसे बोलते हैं जो अपर बर्थ और लोअर बर्थ के बीच में होती है। टिकट बुक करते समय बहुत कम लोग ही मिडिल बर्थ को बुक करना चाहते हैं, क्योंकि इस सीट पर बैठने में बहुत परेशानी होती है। अगर कोई सोने के लिए लोअर बर्थ लगा लें तो व्यक्ति को और भी दिक्कत होती है। रेलवे द्वारा यह सीट 30-40 वर्ष के लोगों को अधिक रेफर की जाती है।
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लोअर बर्थ (Lower Berth)
आपको बता दें कि जो सीट सबसे नीचे होती है उसे लोअर बर्थ कहते हैं। भारतीय रेलवे द्वारा लोअर सीट को बुगुर्ज लोगों को अधिक रेफर की जाती है, क्योंकि अपर या मिडिल बर्थ पर उन्हें चढ़ने या उतरने में बहुत परेशानी होती है। (ऐसी दिखती है भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन)
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साइड अपर और साइड लोअर बर्थ (Side Upper & Side Lower Berth)
स्लीपर क्लास में उपर बर्थ, मिडिल और लोअर बर्थ के साथ-साथ साइड अपर और साइड लोअर बर्थ की भी सुविधा होती है। साइड लोअर भी अधिकतर बुगुर्ज लोगों को अधिक रेफर की जाती है। भारतीय रेलवे द्वारा साइड अपर सीट 30-40 वर्ष के लोग या युवाओं को अधिक रेफर की जाती है।
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AC में कितने प्रकार की सीट होती है?
आपको बता दें कि स्लीपर क्लास की तरह 3rd Ac में सीट होती है। लेकिन 2nd क्लास Ac में मिडिल सीट नहीं होती है। इसके अलावा 2nd क्लास Ac में साइड अपर और साइड लोअर सीट होती है। अगर 1st क्लास AC की बात करें तो उसे सिर्फ दो सीट होती है। इसके अलावा किसी-किसी ट्रेन में चेयर सिटिंग सीट भी होती है। (ट्रेन में सफ़र करने पर फ्री में मिल सकती हैं ये सुविधाएं)
जनरल सीट (General Seat)
अगर बात करें जनरल डिब्बे की सीट के बारे में तो इसमें लोअर और अपर सीट की बुकिंग नहीं होती है। जनरल डिब्बे में एक सीट पर पांच से सात लोग बैठते हैं। इसके अलावा साइड सीट पर भी सिर्फ बैठने की जगह होती है।
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Image Credit:(@sutterstocks,freepik)
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