Banganga River History: भारत का इतिहास जब भी पढ़ा जाता है तो भारत की नदियों का जिक्र ज़रूर होता है। जैसे-सिंधु नदी और प्राचीन भारत का इतिहास समान्तर रूप से पढ़ा जाता है। भारत में ऐसी कई नदियां हैं जिनकी पूजा-पाठ समय-समय पर होती रहती है। कई राज्यों में तो भारत की नदियां जीवनदायी के रूप मानी जाती हैं।
इन्हीं प्रमुख नदियों में से एक नदी है बाणगंगा। भारत की प्राचीन नदी में शामिल बाणगंगा कुछ राज्यों के लिए जीवनदायी भी है। इस लेख में हम आपको बाणगंगा के उद्गम स्थल के साथ-साथ कुछ रोचक जानकारी भी बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप भी ज़रूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं।
बाणगंगा नदी का उद्गम स्थल (Banganga River Origin)
बाणगंगा नदी के उद्गम स्थल के बारे में जिक्र करें तो यह मालूम चलता है कि इसका उद्गम स्थल जयपुर की बैराठ की पहाड़ियों से होता है। यह नदी राजस्थान के तीन प्रमुख शहर जयपुर, भरतपुर और दौसा में बहती है। राजस्थान के साथ-साथ यह नदी उत्तर प्रदेश में भी बहती है। अगर बात करें इस नदी की लम्बाई के बारे में तो यह लगभग 380 किमी लंबी है।
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बाणगंगा नदी की पौराणिक कथा (Banganga River Methodology)
गंगा, यमुना, कावेरी या ब्रह्मपुत्र नदी की तरह बाणगंगा नदी की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। जी हां, कहा जाता है कि महाभारत के अनुसार अज्ञातवास के समय बैराठ में समय बिताया था। इस दौरान पांडवों ने अपने दिव्य शस्त्र बैराठ के जंगल में ही छिपाया था।
एक अन्य कहानी है कि वनवास पूरा होने के बाद अर्जुन ने शुद्ध होने के लिए गंगा मैया का आह्वाहन किया और अंत में तीर चलाया तब गंगा नदी प्रकट हुई और इसी कारण इस नदी नाम बाणगंगा पड़ा। आपको बता दें कि हर साल नदी के किनारे बाणगंगा मेला भी आयोजित किया जाता है। इस नदी को कई लोग 'अर्जुन की नदी' के नाम से जानते हैं। (महानंदा नदी के बारे में जानें)
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बाणगंगा नदी की सहायक नदियां
बाणगंगा नदी की सहायक नदियों के बारे में जिक्र करें तो यह मालूम चलता है कि गुमटी नाला, सूरी नदी, पालसन नदी और संवान नदी इसकी सहायक नदी हैं। बाणगंगा नदी बहती हुई उत्तर प्रदेश के आगरा के समीप यमुना में मिल जाती है। यह नदी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में भी बहती है।
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बाणगंगा नदी की विशेषता
आपको बता दें कि यह नदी सिर्फ नदी नहीं बल्कि राजस्थान के लिए जीवनदायी नदी भी है। इस प्रमुख नदी पर जयपुर का फेमस बांध जमवा रामगढ़ बांध का भी निर्माण किया गया है। इस नदी द्वारा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पानी उपलब्ध किया जाता है। (भारत की 10 सबसे बड़ी और पवित्र नदियां)
कहा जाता है कि लगभग 1527 का प्रसिद्ध युद्ध खानवा का युद्ध इसी नदी के किनारे लड़ा गया था। आपको बता दें कि खानवा का युद्ध बाबर और बाबर एवं मेवाड़ के राणा सांगा के मध्य लड़ा गया।
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Image Credit:(@wikimedia,natureconservancy)
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