Vat Purnima Vrat Puja Vidhi 2024: वट पूर्णिमा व्रत के दिन इस विधि से करें पूजा होगा, जानें मंत्र और समाग्री लिस्ट

Vat Purnima Vrat 2024 Puja Vidhi Samagri and Mantra: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है ज्येष्ठ पूर्णिमा जिसे वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।  

vat purnima vrat  ki puja vidhi
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हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है ज्येष्ठ पूर्णिमा जिसे वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं एवं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि वट पूर्णिमा व्रत की विधि, सामग्री और मंत्र।

वट पूर्णिमा व्रत 2024 की पूजा सामग्री

vat purnima vrat  ke mantra

वट पूर्णिमा व्रत की पूजा के लिए सामग्री के तौर पर सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का बना हुआ एक हाथ पंखा, सूत का लाल धागा, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, सवा मीटर का एक कपड़ा, दो सिंदूरी जल से भरा हुआ पात्र, रोली, गुड़-चना आदि शामिल करें।

वट पूर्णिमा व्रत 2024 की पूजा विधि

वट पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर इसके बाद नए वस्त धारण करें और सोलह श्रृंगार करें। फिर दो बांस की टोकरी ले लें। एक टोकरी में सात तरह के अनाज रखकर कपड़े से ढक दें और दूसरी टोकरी में माता सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें।

इसके बाद दोनों टोकरियों के साथ वट वृक्ष के पास जाकर पूजा करें। फिर वट वृक्ष पर लाल सूत या कलावा बांधें। वट पूर्णिमा पर सफेद सूत नहीं बांधा जाता है। इसके बाद वट वृक्ष की 7 परिक्रमा लगाएं और सत्यवान-सावित्री की कथा सुनें। श्रृंगार का सामान दान करें।

इसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं, बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और आरती गाकर वहां मौजूद आसपास की सबी सुहागिनों के बीच गुड़ और चना बाटें। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। क्लेश दूर होता है।

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वट पूर्णिमा व्रत 2024 के पूजा मंत्र

vat purnima vrat  ki samagri

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते। पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले। तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर वट पूर्णिमा व्रत के दिन किस विधि से करनी चाहिए पूजा, क्या है पूजा की समाग्री और पूजा के दौरान कौन से मंत्रों का करें जाप। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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