वट सावित्री पूजा में बरगद के पेड़ में 7 बार ही क्यों बांधा जाता है कच्चा सूत?
Nikki Rai
06-06-2024, 06:02 IST
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सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत विशेष रखता है। पति की लंबी आयु के लिए विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है। इस पूजा के दौरान वट वृक्ष पर 7 बार कच्चा सूट लपेटा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसे 7 बार ही क्यों बांधा जाता है? आइए जानें वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ में 7 बार क्यों बांधा जाता है कच्चा सूत?
क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, वट सावित्री का व्रत रखने से पति के ऊपर मंडरा रही हर संकट टल जाती है और दांपत्य जीवन भी सुखमय, खुशहाल बना रहता है।
कब है वट सावित्री पूजा 2024?
इस साल पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं 6 जून 2024 को वट सावित्री का व्रत रखेंगी।
कच्चा सूत क्यों बांधा जाता है?
सुहागिन महिलाएं वट सावित्री के दिन बरगद पेड़ की पूजा के साथ उसकी सात बार परिक्रमा करती हैं। इसके अलावा व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ में सात बार कच्चा सूत भी लपेटती हैं।
7 बार ही क्यों लपेटा जाता है?
व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ में सात बार कच्चा सूत भी लपेटती हैं। कहते हैं कि वट वृक्ष में सात बार कच्चा सूत लपेटने से पति-पत्नी का संबंध सात जन्मों तक बना रहता है।
अकाल मृत्यु टल जाती है
वट सावित्री का व्रत रखने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है। बरगद के पेड़ पर कलावा बांधने से पति को लाभ मिलता है।
वट सावित्री का कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। तब से ही इस दिन ये व्रत का विधान है।
त्रिदेवताओं की कृपा
मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है।
वट सावित्री पूजा में बरगद के पेड़ में इन वजहों से 7 बार सूत बांधा जाता है। स्टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहां क्लिक करें herzindagi.com