नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, तीज या करवाचौथ जैसे पावन अवसरों पर देवी मां की पूजा विशेष रूप से सौभाग्य और समृद्धि के लिए की जाती है। ऐसे में जब घर में माता रानी की स्थापना होती है, तो एक महत्वपूर्ण पूजा सामग्री होती है। सुहाग की टोकरी, जिसमें देवी जी के लिए 16 श्रृंगार की वस्तुएं रखी जाती हैं। यह न सिर्फ देवी माँ की प्रसन्नता के लिए आवश्यक है, बल्कि मान्यता है कि 16 श्रृंगार चढ़ाने से अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु, और परिवार की समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हालांकि आज के समय में बाजार में मिलने वाली सुहाग की टोकरी में जो चीजें होती हैं, वे आधुनिक और सीमित रूप में दी जाती हैं। बहुत सी महिलाओं को यह जानकारी नहीं होती कि देवी माँ की पूजा में पारंपरिक और पूर्ण सोलह श्रृंगार की सूची क्या होती है और उसका महत्व क्या है।
पंडितों और शास्त्रों के अनुसार, देवी मां को 16 श्रृंगार चढ़ाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। यह श्रृंगार सिर्फ बाह्य रूप से नहीं, बल्कि देवी के रूप में नारी शक्ति को सम्मान देने का माध्यम है। आइए जानें, वह कौन-सी 16 वस्तुएं हैं जिन्हें माता रानी की सुहाग की टोकरी में रखना बेहद जरूरी है।
देवी जी के 16 श्रृंगार की सामग्री इस प्रकार हैं:
- बिंदी : यह आध्यात्मिक केंद्र का प्रतीक है और ऊर्जा का संचार करती है।
- सिंदूर: सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक। देवी को विवाहित रूप में सम्मान देने हेतु।
- महावर: यह मंगलता और पवित्रता का प्रतीक है, देवी के चरणों की शोभा बढ़ाता है।
- काजल: नजर दोष से रक्षा करता है और देवी की दिव्य दृष्टि को दर्शाता है।
- नथ: शुद्धता, सुंदरता और स्त्रीत्व का प्रतीक।
- झुमके: श्रवण शक्ति और सज्जा का प्रतीक, देवी की दिव्यता को दर्शाता है।
- हार: सौंदर्य, वैभव और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक।
- चूड़ियां: मंगलता, सौभाग्य और ऊर्जा की प्रतीक।
- बाजूबंद: शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक, शौर्य का भी प्रतीक।
- अंगूठी: यह देवी के संपूर्ण श्रृंगार को पूर्णता देती है और स्त्रीत्व का प्रतीक मानी जाती है।
- कमरबंद: देवी की शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक।
- पायल: देवी के चरणों की पवित्रता और गूंज का प्रतीक।
- बिछुए: सतत सौभाग्य और नारी धर्म का प्रतीक।
- मेहंदी: सौंदर्य और सौभाग्य की निशानी, शुभता लाती है।
- इत्र: शुद्धता, ताजगी और दिव्यता का प्रतीक।
- चुनरी या साड़ी: यह सम्मान, श्रद्धा और सौंदर्य का प्रतीक है। बिना वस्त्र अर्पण के श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
देवी जी की सुहाग की टोकरी में ये सभी 16 वस्तुएं शामिल होनी चाहिए। से नवरात्रि में कन्या पूजन, देवी स्थापना या दुर्गा अष्टमी पर विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। श्रद्धा और शुद्धता से अर्पण करने पर माता रानी प्रसन्न होती हैं और सौभाग्य, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करती हैं। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इस लेख को शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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