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क्या है पोस्टपार्टम हेमरेज, जानें एक्सपर्ट से पीपीएच के लक्षण और कारण

डिलीवरी के दौरान या बाद में किसी भी महिला को PPH हो सकता है। हर महिला में इसके अलग-अलग लक्षण और कारण देखने को मिलते हैं। 
Editorial
Updated:- 2022-04-04, 16:20 IST

पीपीएच यानी पोस्ट पार्टम हेमरेज एक कॉम्लीकेशन है, जो महिलाओं को डिलीवरी के दौरान और बाद में हो सकती है। आमतौर पर यह डिलीवरी होने के बाद ही होती है। इसके अधिकतर मामले सिजेरियन डिलीवरी में देखें गए है। आज हम इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे कि PPH क्या है? क्या इस कंडीशन से बचा जा सकता है? हमने इन सवालों के सही जवाब जानने के लिए गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा गुप्ता से बातचीत की है। उन्होंने बताया है कि भारत में हर 10,000 में 100 महिलाओं में डिलीवरी के दौरान या बाद में PPH के मामले देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं पोस्ट पार्टम हेमरेज से जुड़ी सभी तरह की जानकारी।

क्या है PPH

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पीपीएच यानी पोस्ट पार्टम हेमरेज यानी डिलीवरी के बाद बहुत अधिक ब्लीडिंग होना। डिलीवरी के बाद यूट्रस प्लेसेंटा को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है, लेकिन कुछ केस में यह सिकुड़ना बंद कर देता है, जिस कारण ब्लीडिंग होने लगती है। इसे प्राइमरी पीपीएच कहा जाता है। जब प्लेसेंटा के छोटे-छोटे टुकड़े यूट्रस में जुड़े रह जाते हैं, तो बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। इस स्थिती में अधिक खून बहने से महिला की मृत्यु भी हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार 24 घंटे के अंदर 1000 मिलीलीटर से अधिक रक्त का रिसाव होता है, तो इसे गंभीर पीपीएच माना जाता है।

दो तरह का होता है पीपीएच

डॉक्टर शिखा गुप्ता ने बताया है कि पीपीएच दो तरह से होता है। पहला जिसे प्राइमरी पीपीएच कहा जाता है- इस कंडीशन में डिलीवरी के 24 घंटे में ब्लड लॉस होता है। दूसरी कंडीशन में प्रसव के 24 घंटे के बाद या 6 हफ्ते बीतने तक बहुत अधिक ब्लड लॉस होता है।

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किस स्थिति में माना जाता है पोस्ट पार्टम हेमरेज

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नॉर्मल डिलीवरी के बाद 500 मिलीलीटर से ज्यादा ब्लीडिंग वहीं सिजेरियन डिलीवरी के दौरान 1000 मिलीलीटर से ज्यादा खून बहने को पीपीएच का मामला माना जाता है। वहीं मरीज का हीमोग्लोबिन कम हो तो 300 मिलीलीटर को भी पीपीएच माना जाता है।

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इस सिचुएशन में हो सकता है खतरनाक

प्रसव के दौरान लंबे समय तक लेबर और पहले भी कई डिलीवरी हो चुकी हो, इंफेक्शन और मल्टीपल प्रेग्नेंसी( एक समय में गर्भ में एक से अधिक बच्चों का होना), गर्भ में बच्चे का वजन अधिक होने से भी गर्भाशय में बहुत अधिक खिंचाव आ जाता है जिसकी वजह से पीपीएच हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हीमोग्लोबिन की कमी भी खतरनाक हो सकता है। ( प्रेग्नेंसी के लिए हेल्दी डाइट)

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लक्षण

पीपीएच के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार ये कुछ सामान्य लक्षण है जिसका ध्यान रखना चाहिए।

  • अधिक ब्लीडिंग जो कंट्रोल न हो सके
  • ब्लड प्रेशर गिरना
  • हार्ट रेट बढ़ना
  • वजाइना और पेरिनियल रीजन के टिशूज में दर्द
  • रेड ब्लड सेल काउंट का कम होना

ब्लीडिंग का कारण

postpartum hemorrhage

डिलीवरी के बाद सामान्य ब्लीडिंग होती है। क्योंकि गर्भाशय, प्लेसेंट को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है। कुछ केस में सर्वाइकल या वजाइनल टिशू का फट जाना या ब्लड वेसल्स का फट जाना, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर जैसे कारण हो सकते है। इसके अलावा गर्भाशय का फटना और जिन्होंने पहले सिजेरियन सर्जरी करवाई है। (एवोकाडो खाने के फायदे)

प्रेगनेंसी के दौरान कैसे रखें ध्यान

पीपीएच जैसी गंभीर स्थिती से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी डाइट लें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लें। साथ ही एनीमिया और हाइपरटेंशन से बचाव करें इससे पीपीए का खतरा कम हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान अपने हीमोग्लोबिन का ध्यान रखें। एक्सपर्ट के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का हीमोग्लोबिन 11.5 होना चाहिए। (हीमोग्लोबिन की कमी के कारण)

डिलीवरी के दौरान या कुछ दिन बाद अगर PPH नहीं हुआ है, तो इसका ये अर्थ नहीं कि खतरा टल गया है। सेकेंडरी PPH डिलीवरी के 12 हफ्तो तक कभी भी हो सकता है। अगर ब्लड लॉस ज्यादा हो रहा तो डॉक्टर से सलाह लें। उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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