टेंशन करना छोड़ दें तो जिंदगी हो जाएगी बेहतर

किसी प्रॉब्लम के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने से आपके लिए नई प्रॉब्लम्स भी खड़ी हो सकती हैं। अच्छी बात ये है कि आप आसानी से पा सकती हैं इस मुश्किल का हल।

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अक्सर आपने फील किया होगा कि आपने जैसे ही किसी प्रॉब्लम के बारे में सोचना शुरू करती हैं, वैसे ही सॉल्यूशन मिलने के बजाय आपको और भी ज्यादा परेशानी महसूस होने लगती है। आपने गौर किया होगा कि जब आपके हसबैंड आपको पूरे दिन कॉल करने के लिए वक्त नहीं निकाल पाएं तो आपके दिल में पहला खयाल यही आता है कि वह आप पर ध्यान नहीं दे रहे या अब वह आपके लिए पहले की तरह फील नहीं करते। हकीकत यह है कि इस तरह के नेगेटिव थॉट्स आपके जरूरत से ज्यादा सोचने की वजह से उपजते हैं।

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हाल ही में 45,000 स्टडीज के एक सर्वे के आधार पर अमेरिका के केलिफोर्निया में रिसर्चर्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि महिलाएं किसी भी इशु पर पुरुषों की तुलना में ज्यादा सोचती हैं। इससे साइंटिफिक फैक्ट्स के जरिए भी साबित किया जा सकता है। महिलाओं के शरीर के कुछ हिस्सों में खून का दौरा ज्यादा होता है, जिससे वे ज्यादा समय तक फोकस बनाए रखने, सेल्फ कंट्रोल और पुरुषों के मुकाबले स्थितियों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने में सक्षम होती हैं। लेकिन इसी योग्यता के होने से महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा सेंसिटिव भी हो जाती हैं।

ऐसी स्थितियों में जब आप न तो अपनी शारीरिक संरचना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती और न ही दूसरे लोगों को बदल सकती हैं, तब आप अपनी ज्यादा सोचने की टेंडेंसी को कंट्रोल करने के लिए कुछ आसान से उपाय कर सकती हैं-

रहे पॉजिटिव अप्रोच

अगर चिंता पैदा करने वाली स्थितियां आपको बुरा सोचने पर मजबूर करती हैं मसलन मम्मी को घर आने में देरी होने पर आप डरने लगें कि कहीं उनका एक्सीडेंट तो नहीं हो गया, तो इन्हीं स्थितियों में आप देरी की कुछ सामान्य वजहें सोच सकती हैं मसलन वह बिजी हों, किसी जरूरी काम में फंस गई हों या आपको एक अच्छा सरप्राइज देने की तैयारी कर रही हों। इंपॉर्टेंट बात यह है कि आपको गलत सोचने की नेचुरल टेंडेंसी को बदलकर खुद को अच्छा सोचने के लिए प्रेरित करना है। याद रखें कि आप जैसा सोचेंगी, आपकी जिंदगी भी वैसी ही होगी। जाहिर है आप आप बिल्कुल नहीं चाहेंगी कि आप अपनी जिंदगी में नेगेटिव रहें। इसीलिए अपना नजरिया बदलें।

प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी का बेहतर इस्तेमाल

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Image courtesy : Imagesbazaar.com

ब्लड सर्कुलेशन तेज होने के कारण आप ज्यादा सोचने पर मजबूर होती हैं, जो आपको ध्यान बेहतर तरीके से केंद्रित करने में भी सक्षम बनाता है। इस प्रकृति प्रदत्त खूबी का इस्तेमाल आप समस्याओं का हल निकालने में कर सकती हैं। मसलन कम बजट को आप कैसे बेहतर तरीके से मैनेज कर सकती हैं या ऑफिस से थक कर आने के बाद पति के साथ कैसे हंसी-खुशी के पल बिता सकती हैं। प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन मिलना आसान नहीं है, लेकिन लगातार प्रैक्टिस करने से आप कुछ अच्छे सॉल्यूशन जरूर निकाल पाएंगी।

स्थितियों को स्वीकार करना सीखें

कई बार हालात इतने जटिल होते हैं कि उसका हल निकालना आपके लिए भी संभव नहीं होता। ऐसे में स्थितियां बेहतर बनाने की माथापच्ची करने के बजाय चीजें अपने हाल पर छोड़ देना बेहतर है। यानी यथास्थिति को को स्वीकार करना। इससे आप खुद को अनावश्यक रूप से बोझिल होने से बचा लेंगी।

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अपनी सोच को लेकर रहें अवेयर

जब आपको इस बात का अहसास होगा कि आप आवश्यकता से अधिक सोच रही हैं तो आप खुद-ब-खुद अपनी स्थितियों का मूल्याकंन करते हुए स्वयं को नियंत्रित कर लेंगी। सजग रहने पर आप जब भी ऐसी स्थितियों में खुद को पाएंगी, तब आप खुद को रोकने में सक्षम होंगी।

काम आएंगे सजेशन्स

आमतौर पर आप अकेले ही समस्याओं से जूझती रहती हैं लेकिन एक पुरानी कहावत है बोझ बांट लेने से हल्का हो जाता है। अपने विश्वस्त परिजनों या सहेली से आप अपनी समस्या पर चर्चा कर सकती हैं और उसकी राय ले सकती हैं। मुमकिन है कि आपको कुछ ऐसे समाधान मिल जाएं जिस पर आपका पहले ध्यान न गया हो।

क्रिएटिव चीजों में लगाएं ध्यान

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इंतजार के लम्हों में अगर आप कुछ क्रिएटिव काम करती हैं तो आपका समय भी अच्छा बीतेगा और आप नकारात्मक सोचने से भी बचेंगी मसलन आप इस समय में अपने दोस्तों, परिवार के साथ आउटिंग पर जा सकती हैं, कोई अच्छी फिल्म देख सकती हैं, अपनी पसंदीदा किताब पढ़ सकती हैं, स्केच बना सकती हैं या फिर एक्सरसाइज भी कर सकती हैं।

बदलें एंबियंस, बदल जाएगा मूड

जब आपको कोई चीज परेशान कर रही हो, तो उस जगह से हट जाएं। आप हरे-भरे बगीचे या ऐसे स्पेस में भी जा सकती हैं जहां आपको सुकून मिलता हो। अध्ययन बताते हैं कि किसी नए स्थान पर जाने से निरर्थक विचार प्रक्रिया पर विराम लग जाता है। कुछ नई हॉबी अपनाने से भी आप खुद को बेवजह सोचने से रोक सकती हैं मसलन आप डांस, कढ़ाई- बुनाई, गीत-संगीत सीखने में भी अपना समय दे सकती हैं।

सोच बदलने के लिए विजुअल क्लू

आप किसी कागज पर बड़े अक्षरों में स्टॉप लिख कर उसे अपनी डेस्क या बाथरूम के शीशे पर लगा सकती हैं या फिर गुलाबी, हरे, पीले रंग के कागज को सांकेतिक तौर पर ऐसी जगहों पर चिपका सकती हैं। इन्हें देखने पर आपको तुरंत ही याद आएगा कि आपको जरूरत से ज्यादा नहीं सोचना है।

परफेक्शनिस्ट होना जरूरी नहीं

चीजें हमेशा आपकी योजनाओं के अनुसार नहीं होतीं। परिस्थितियों के साथ हर कोई तालमेल बिठाना सीखता है। ऐसे में अपनी इस प्रवृत्ति पर काबू पाएं कि सबकुछ पूरी तरह वैसा ही हो, जैसे आप चाहती हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आपको अपने काम से संतुष्टि मिले और आप रोजमर्रा के जीवन में प्रगति करें।

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