पोस्टपार्टम में अक्सर नई मां हो जाती हैं डिप्रेशन की शिकार, इन टिप्स की मदद से पार्टनर कर सकते हैं रिकवरी में मदद

पोस्टपार्टम पीरियड यानी डिलीवरी के बाद नई मां को कई चैलेंजेस से गुजरना पड़ता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन इन्हीं में से एक है। इस समय पर पार्टनर के सपोर्ट की भूमिका अहम हो जाती है। इस बारे में एक्सपर्ट सुचेता पाल से जानते हैं।
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मां बनना किसी भी महिला की जिंदगी का एक खूबसूरत पड़ाव होता है। प्रेग्नेंसी और पोस्टपार्टम के दौरान महिलाएं कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती हैं। पोस्टपार्टम पीरियड यानी डिलीवरी के बाद नई मां को कई चैलेंजेस से गुजरना पड़ता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन इन्हीं में से एक है। इस समय बच्चे की देखभाल और अपने शरीर में हो रहे बदलावों के चलते महिलाओं को लाइफ को बैलेंस करने में काफी वक्त लगता है और उन्हें पूरे हक के साथ ये वक्त मिलना चाहिए। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में अक्सर खुलकर बात नहीं की जाती है लेकिन कई नई मां इसका शिकार हो जाती है। इस समय पर पार्टनर का साथ बहुत अहम होता है और इस सपोर्ट से महिलाएं आसानी से पोस्टपार्टम डिप्रेशन को मैनेज करके रिकवर हो सकती हैं। इस बारे में मैटरनल फिटनेस एजुकेटर सुचेता पाल जानकारी दे रही हैं।

पोस्टपार्टम के दौरान मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने और रिकवरी में इस तरह से पार्टनर्स कर सकते हैं मदद

postpartum recovery tips by expert

  • एक्सपर्ट का कहना है कि पोस्टपार्टम पीरियड को अक्सर फोर्थ ट्राइमिस्टर भी कहा जाता है। यह नई मां को मेंटल, फिजिकल और इमोशनल बदलावों का समय होता है।
  • इस समय पर सभी का पूरा ध्यान नवजात शिशु पर होता है। लेकिन, मां की सेहत भी कम मायने नहीं रखती है।
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, 10-15 प्रतिशत महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजरती हैं। कई स्टडीज में सामने आया है कि भारत में यह आंकड़ा 22 प्रतिशत तक हो सकता है।
  • Journal of Affective Disorders में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, इस समय पर पोस्टपार्टम डिप्रेशन और एंग्जायटी से निकलने के लिए पार्टनर का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। आपको अपने एक्शन से नई मां को इस बात का एहसास दिलवाना होगा कि आप उनके साथ है।
  • नींद की कमी के कारण स्ट्रेस और एंग्जायटी होने लगती है। पार्टनर रात में दूध पिलाने (अगर बोतल से दूध पिलाया जा रहा है या पंप से दूध पिलाया जा रहा है), बच्चे को डकार दिलाने या सुबह-सुबह डायपर बदलने का काम संभालकर मदद कर सकते हैं। एक घंटे की अतिरिक्त नींद भी बहुत बड़ा अंतर ला सकती है।
  • 'तुम बहुत अच्छा कर रही हो' या 'मैं इसे संभाल लूंगा, तुम आराम करो'.... जैसे शब्द एक मां के आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं।
  • बाल रोग विशेषज्ञ के पास जाने से लेकर डायपर बैग पैक करने तक, नई मां अक्सर दिमाग में एक चेकलिस्ट लेकर चलती हैं। आप इसमें उनकी मदद कर सकते हैं।

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  • पोस्टपार्टम मूड स्विंग्स के दौरान उन्हें जज न करें बल्कि प्यार से गले लगाकर उनकी बात समझने की कोशिश करें।
  • वह कैसा महसूस कर रही हैं…उनके दिल-दिमाग में क्या चल रहा है, ये बातें उनसे जरूर पूछें।
  • नई मां की मेंटल हेल्थ के बारे में जानने की कोशिश करें। आप साथ में एक शॉर्ट आर्टिकल पढ़ सकते हैं या एक छोटा वीडियो देखें।
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पोस्टपार्टम केवल बेबी के देखभाल के बारे में नहीं है। इस समय पर मां की सेहत का ख्याल रखना भी बहुत जरूरी है। एक साथ मिलकर आप इस वक्त को बेहतर बना सकते हैं। उम्‍मीद है कि आपको लेख में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। इसे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचाने में हमारी मदद करें। लेख अच्‍छा लगा हो तो शेयर और लाइक जरूर करें। अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्‍स में लिख कर दें। साथ ही ऐसे और भी यूटिलिटी से जुड़े लेख पढ़ने के लए हरजिंगदी को फॉलो करें।

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