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सेहत का खजाना है गत्यात्मक वक्रासन, जानें फायदे और तरीका

हेल्दी रहने के लिए जरूरी है रोजाना योगासन करना। लेकिन आज हम आपको गत्यात्मक वक्रासन के बारे में बताएंगे, जिसे रोजाना करने से यकीनन आपको फायदा हो सकता है। 
Editorial
Updated:- 2024-09-26, 19:10 IST

आज के समय में लोग इतना बिजी रहने लगे हैं कि उनके पास टाइम ही नहीं होता। अपनी हेल्थ पर ध्यान दिया जाए और कुछ ऐसी एक्सरसाइज पर ध्यान दिया जाए। रोजाना योग और मेडिटेशन करने के अनेक फायदे हैं। कोशिश करें गत्यात्मक वक्रासन को अपनी एक्सरसाइज रूटीन में शामिल करें।

गत्यात्मक मेरु वक्रासन जैसे कई ऐसे योगासन हैं, जिनका रोजाना कुछ मिनटों का अभ्यास ही आपको हेल्दी रखने में सहायक हो सकता है। गत्यात्मक मेरु वक्रासन, जिसे डायनामिक स्पाइनल ट्विस्ट भी कहा जाता है, एक ऐसा योगासन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। 

यह आसन तंत्रिका तंत्र को स्टिमुलेट करता है और शारीरिक लचीलेपन को बढ़ावा देता है। इस लेख में योग शिक्षक रजनीश शर्मा गत्यात्मक मेरु वक्रासन यानी डायनामिक स्पाइनल ट्विस्ट के फायदे बता रहे हैं।

गत्यात्मक मेरु वक्रासन किसे कहते हैं?

gatyatmak meru vakrasana

गत्यात्मक मेरु वक्रासन को योग के उन आसनों में गिना जाता है, जो रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और मजबूत बनाते हैं। यह आसन धीरे-धीरे शरीर को मोड़ने और उसकी गति को नियंत्रित करने की प्रक्रिया पर केंद्रित है। 

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मेरु वक्रासन का डायनामिक वर्जन होने के कारण इसे शरीर को धीरे-धीरे घुमाते हुए किया जाता है, जिससे आसन की प्रभावशीलता और बढ़ जाती है। इस आसन का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी सुधारना है।

कैसे करें गत्यात्मक मेरु वक्रासन?

gatyatmak meru vakrasana (2)

  • सबसे पहले योग मैट पर बैठ जाएं, दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाएं।
  • पीठ सीधी रखें और हाथों को जांघों के पास रखें।
  • अपने पूरे शरीर को रिलैक्स करें और धीमी गति से गहरी सांस लें।
  • अब अपने दाहिने पैर को घुटने से मोड़ें।
  • बाईं जांघ के ऊपर रखें। बायां पैर सीधा रहेगा।
  • अपनी दाहिनी हथेली को पीछे की ओर जमीन पर रखें। 
  • बाएं हाथ को सीधे दाहिने घुटने के पास रखें।
  • अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए शरीर को दाहिनी ओर घुमाएं।
  • घुमाते समय अपनी गर्दन को भी घुमाएं और पीछे की ओर देखें।
  • थोड़ी देर इस स्थिति में रखें और गहरी सांस लें।
  • अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस शुरुआती स्थिति में आएं।
  • अब इसी प्रक्रिया को दूसरी दिशा में दोहराएं। 
  • बाएं पैर को मोड़ें और शरीर को बाईं ओर घुमाएं।
  • इस आसन को दोनों दिशाओं में 5-10 बार करें।

गत्यात्मक मेरु वक्रासन के लाभ

रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाएं

गत्यात्मक मेरु वक्रासन का मुख्य उद्देश्य रीढ़ की हड्डी को लचीला और स्वस्थ बनाना है। यह आसान रीढ़ की हड्डी के सभी हिस्सों को गतिशीलता प्रदान करता है, जिससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है।

इससे रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियां और जोड़ों में ब्लड सर्कुलेशन को भी सुधरता है, जो पीठ के दर्द और जकड़न को कम करता है।

कमर और पीठ के दर्द से राहत

gatyatmak meru vakrasana in hindi

जिन लोगों को पीठ या कमर दर्द की समस्या होती है, उनके लिए यह आसन बेहद लाभकारी है। शरीर को मोड़ने और उसकी गति को नियंत्रित करने से पीठ की मांसपेशियों में आराम मिलता है। यह आसन कमर के निचले हिस्से की जकड़न को दूर करने और स्पाइन को मजबूत करने में सहायक है।

डाइजेस्टिव सिस्टम को सुधारें

इस आसन का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए फायदेमंद है। जब आप अपने पेट और पेट के आसपास के हिस्से को घुमाते हैं, तो इससे आंतों और पेट पर दबाव पड़ता है, जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है। गत्यात्मक मेरु वक्रासन पेट की गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

दिमाग की शांति और ध्यान 

इस आसन का अभ्यास करते समय श्वास और गति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे दिमाग संतुलन और ध्यान क्षमता में सुधार होता है।

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नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है। यह आसन मानसिक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति अधिक एकाग्र और शांत महसूस करता है।

मांसपेशियों की मजबूती

गत्यात्मक मेरु वक्रासन से शरीर की मुख्य मांसपेशियों, खासकर पेट, पीठ और कमर की मांसपेशियों में मजबूती आती है। यह आसन शरीर को टोन करने और मांसपेशियों में खिंचाव लाने में मदद करता है, जिससे शरीर की फिटनेस में सुधार होता है।

कंधों और गर्दन का लचीलापन

यह आसन गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को भी गतिशील बनाता है। इससे इन क्षेत्रों में तनाव कम होता है और गर्दन के दर्द को दूर करने में मदद मिलती है। कंधों और गर्दन के लचीलेपन से पूरे ऊपरी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

नोट- अगर आपको कोई बीमारी है, तो इस आसान को करने से बचें और एक्सपर्ट की सलाह लें। 

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