हिंदू धर्म में सभी तिथियों का विशेष महत्व है। ऐसी ही प्रमुख तिथियों में से एक है एकादशी तिथि। हर एक महीने में शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी तिथि कहा जाता है और इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ विष्णु जी का पूजन किया जाता है।
प्रत्येक महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं जिनमें पूजा पाठ और व्रत उपवास का अलग महत्व होता है। ऐसी ही एकादशी तिथियों में से एक प्रमुख है आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी। वैसे तो साल में 24 एकादशियां होती हैं और महीने में दो एकादशियां होती हैं लेकिन योगिनी एकादशी में पूजन विशेष रूप से किया जाता है। आइए अयोध्या के पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें जून के महीने में कब पड़ेगी योगिनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
योगिनी एकादशी 2022 की तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त
- इस बार जून के महीने में पड़ने वाली योगिनी एकादशी 2022 का व्रत 24 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा। इसे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, भी कहा जाता है।
- योगिनी एकादशी तिथि आरंभ: 23 जून, गुरुवार, रात्रि 09 बजकर 41 मिनट पर
- योगिनी एकादशी तिथि समापन : 24 जून, शुक्रवार रात्रि 11 बजकर 12 मिनट तक
- चूंकि उदया तिथि में एकादशी 24 जून को है इसलिए इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा।
- योगिनी एकादशी व्रत पारण का समय: 25 जून, शनिवार को प्रातः काल
योगिनी एकादशी 2022 का महत्व
ऐसी मान्यता है कि योगिनी एकादशी के दिन जो लोग भक्ति भाव से विष्णु जी का पूजन करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पांडव भाइयों में भीम को छोड़कर सभी भाई हर माह दो एकादशी व्रत रखते थे।
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ की योगिनी एकादशी व्रत के महत्व को बताने का निवेदन किया और उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि जो भी व्यक्ति योगिनी एकादशी का व्रत करता है उसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मृत्योपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी व्रत के पुण्य और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए यह व्रत सभी लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी है।
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योगिनी एकादशी पूजा विधि
- योगिनी एकादशी की पूजा और व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रातः जल्दी उठना चाहिए और साफ़ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति को साफ़ करके उसमें चंदन लगाएं।
- विष्णु जी को पुष्प, चंदन, अक्षत, तुलसी दलअर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- विष्णु जी को भोग अर्पित करते समय उसमें तुलसी दल अवश्य रखें।
- ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु का माता लक्ष्मी समेत पूजन करता है उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार योगिनी एकादशी में व्रत और पूजन सभी भक्तों को पुण्य फलों की प्राप्ति कराता है और मोक्ष का मार्ग खोलता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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