वुमन राइट एक्टिविस्ट और वुमेन पावर कनेक्ट की चेयरपर्सन रंजना कुमारी का कहना है कि वह नन्हीं आसिफा के साथ क्रूरता से अंजाम दिए गए रेप और हत्या की घटना से स्तब्ध हैं। इस अपराध की उन्होंने कड़ी निंदा की है। उनका कहना है, 'पूरा देश रेप संस्कृति से जूझ रहा है। जिन पर अपराध रोकने का जिम्मा है, वे खुद अपराध में शामिल हैं, उसे बढ़ावा दे रहे हैं। यह घटना भयावह है, दर्दनाक है। नन्ही आसिफा के शरीर के साथ क्या-क्या नहीं हुआ, उसे कैद रखने के लिए जिस तरह से मंदिर का इस्तेमाल किया गया।
बच्ची के शरीर के साथ इतनी क्रूरता दिखाई, इसके जरिए वे देश को क्या संदेश देना चाहते हैं और उस पर उनके समुदाय के वकील चार्जशीट नहीं दाखिल होने देना चाहते। आरोपियों की तरफ से जयश्री राम के नारे लग रहे हैं, देश का झंडा फहराया जा रहा है, ये कौन लोग हैं, किस तरह की बातें करते हैं। नन्हीं आसिफा के साथ दिनभर में तीन-तीन बार रेप कर रहे थे आरोपी। उसके साथ इतनी क्रूरता बरती गई कि उसकी आंतें फट गईं। इस घटना के बारे में जानकर मैं कई रातों से सो नहीं पा रही हूं। मैं बहुत क्षुब्ध हूं।'
उन्नाव का मामला भी कुछ ऐसा ही है। एक महिला होने के नाते मुझे यह घटना कचोट रही है। मुझे कोई उम्मीद नहीं दिखती। देश के कर्णधार ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे और शासन-प्रशासन इसी तरह एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहेंगे, क्योंकि उनकी जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दुख की बात ये है कि बीजेपी, जो बेटी बचाओ के साथ सत्ता में आई, आज इस मामले पर चुप्पी साधे हुई है। मैं यह साफ करना चाहती हूं कि कठुआ में अगर पीड़ितों को न्याय नहीं मिला और हम इसी तरह खामोश बने रहे तो ऐसी घटनाएं कहीं भी हो सकती हैं।'
बच्चियों की सुरक्षा के मामले में किसी पर यकीन न करें
रंजना कुमारी ने बच्चियों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था, ''लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं तो बच्चियों की सुरक्षा के मामले में आप कानून बनाने वालों और पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते। इसके लिए आपको खुद सोचने की जरूरत है। हर तरफ माहौल काफी बिगड़ा हुआ है। एक तथ्य यह भी है कि बच्चियों के साथ होने वाले रेप और यौन हिंसा के 90 फीसदी मामले दर्ज ही नहीं होते। बच्ची की सुरक्षा की बात हो तो रिश्तेदारों पर भी भरोसा मत कीजिए। दिल्ली पुलिस का कहना है कि 95 फीसदी मामलों में रेप परिवार वाले, रिश्तेदार या पड़ोसी करते हैं। ऐसे में आपको अपनी बच्ची के लिए पूरी तरह एलर्ट रहने की जरूरत है। बच्चियों का उत्साह बढ़ाएं, उन्हें हिम्मती बनाएं। उन्हें सिखाएं कि अगर कोई गलत हरकत करता है तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चियों के साथ संवाद कायम करिए। इस तरह की घटनाओं पर देश की महिला की जिम्मेदारी है कि वह अपने स्तर पर प्रयास करे, जो आप महसूस करती हैं, वह कहें, पीएम को चिट्ठी लिखें, पर खामोश नहीं रहें। इस घटना से आप पर फर्क पड़ना चाहिए। रेप कल्चर को खत्म करने के लिए आपको भी भरसक प्रयास करने की जरूरत है।
आंखों का तारा थी आसिफा
कुछ साल पहले पुजवाला की दो बेटियां एक हादसे में मारी गईं थीं। तब अपनी पत्नी के कहने पर उन्होंने आसिफा को गोद लिया था जो उनके रिश्तेदार की बेटी थी। आसिफा को उसकी मां चहकने वाली चिड़िया कहती थीं, जो हिरन की तरह इधर से उधर दौड़ती रहती थी। जब वे लोग सफर करते थे, तब आसिफा भैसों और घोड़ों का ध्यान रखती थी। आसिफा का इस पूरे समुदाय से गहरा नाता था। वे सभी लोगों से काफी घुली-मिली हुई थी।
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जब पहली बार पता चला आसिफा के साथ हुई बर्बरता के बारे में
17 जनवरी की सुबह यूसुफ पुजवाला अपने घर के बाहर बैठे हुए थे जब उनका एक पड़ोसी भागता हुआ उनके पास आया और उनके सामने उनकी बेटी की दुखद खबर सुनाई। इस पड़ोसी ने बताया कि उसने उनकी आठ साल की बेटी आसिफा बानो को खोज लिया है, उसकी लाश कुछ सौ मीटर दूर झाड़ियों में पड़ी है। इस खबर को सुनने के बाद आसिफा के पिता पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। यह बात सुनकर यूसुफ समझ गए थे कि उनकी बेटी के साथ कुछ अनहोनी हुई है। उनकी पत्नी नसीमा बीबी का रो-रोकर बुरा हाल था। पुजवाला गड़रिया समुदाय से हैं, जिन्हें गुज्जर कहा जाता है और ये हिमालय की पहाड़ियों में अपनी बकरियां और भैंसें चराते हैं।
ऐसे गायब हुई थी आसिफा
10 जनवरी को आसिफा लापता हो गई थी। आसिफा का परिवार जम्मू शहर से 72 किमी दूर पूर्व दिशा में एक गांव में रह रहा था। उस दोपहर आसिफा अपने घोड़ों को वापस लेने गई थी। घोड़े लौट आए लेकिन आसिफा नहीं लौटी। इस पर नसीमा ने अपने पति को खबर दी। आसिमा के पिता और उनके कुछ पड़ोसी उसकी तलाश में निकल पड़े। लालटेन और टॉर्च लेकर ये लोग पूर रात जंगलों में आसिफा को खोजते रहे लेकिन वह कहीं नहीं मिली। दो दिन बाद 12 जनवरी को परिवार ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। लेकिन इस मामले में पुलिस ने मदद नहीं की।
इस खबर के फैलने के बाद गुज्जरों ने प्रदर्शन किया और हाईवे जाम कर दिया। इस पर मजबूर होकर पुलिस ने कठुआ में चार्जशीट दाखिल की और अफसरों को आसिफा की तलाश में लगाया। इन अफसरों में से एक दीपक खजूरिया भी था, जिसे इसी मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। पांच दिन बाद आसिफा का शव बरामद हुआ। नसीमा ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि आसिफा को टॉर्चर किया गया था, उसके पैर टूटे हुए थे, पैर काले पड़ चुके थे। उसके हाथ और उंगलियां चोटिल नजर आ रहे थे, जख्म काफी गहरे दिखाई दे रहे थे।
जांचकर्ताओं ने क्या बताया
23 जनवरी को आसिफा की बॉडी बरामद होने के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने क्राइम ब्रांच को जांच सौंप दी। जांचकर्ताओं के अनुसार आसिफा को एक स्थानीय मंदिर में कई दिन तक रखा गया था और बेहोश रखने के लिए उसे नशीली दवाएं दी गई थीं। चार्जशीट में कहा गया कि आसिफा के साथ कई दिन तक रेप किया गया, टॉर्चर किया गया और आखिर में उसकी हत्या कर दी गई। उसे गला दबा कर मार दिया गया और उसके बाद उसके सिर पर दो बार पत्थर से मारा गया।
आरोप है कि 60 साल के रिटायर्ड पुलिस अफसर सांजी राम ने इस अपराध की साजिश रची और अन्य पुलिस अफसरों सुरेंद्र वर्मा, आनंद दत्ता ने उनका साथ दिया। सांजी राम का बेटा और उनका भतीजा भी मामले में आरोपी हैं। जांचकर्ताओं ने कहा है कि तथाकथित रूप से खजूरिया और दूसरे पुलिस अफसरों, जिन्हें शिकायत दर्ज की थी, परिवार के साथ आसिफा को खोजने गए थे, ने आसिफा के खून और मिट्टी से सने कपड़ों के निशान फॉरेंसिक लैब में भेजने से पहले मिटा दिए थे।
अंतिम संस्काम में भी हुआ था विवाद
आसिफा के अंतिम संस्कार में भी उसके माता-पिता को काफी मुश्किल हुई। हिंदु राइट-विंग एक्टिविट्स ने आसिफा को उस जमीन पर दफनाए जाने से रोक दिया, जो गुज्जरों ने कुछ साल पहले खरीदी थी और हिंसा भड़काने की धमकी दी। इस पर मजबूर होकर परिवार को सात मील दूर दूसरे गांव में बच्ची को दफनाया गया।
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