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'पहले दरिंदगी और फिर प्राइवेट पार्ट में....', गुजरात में 6 साल की बच्ची संग हैवानियत; क्या अब भी हम कह सकेंगे हमारे देश में 'कन्याओं' को पूजा जाता है?

गुजरात के राजकोट में निर्भया जैसी दरिदंगी सामने आई है। यहां एक 30 साल के शख्स ने एक 6 साल की मासूम बच्ची संग रेप किया और फिर उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी। बेटियों को देवी मानकर पूजने वाले हमारे देश में ऐसी घटनाएं न केवल हमें झकझोर कर रख देती हैं, बल्कि मन में ये सवाल भी पैदा करती हैं कि क्या वाकई हम बेटियों को देवी तो छोड़िए इंसान भी मानते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-12-12, 11:15 IST

हम कितने गर्व से कहते हैं न कि हमारे देश में बेटियों को देवी माना जाता है...हमारे देश में बेटी पैदा होने पर लक्ष्मी आई है ऐसा कहा जाता है...हमारे देश में नवरात्रि में कन्याओं को पूजा जाता है...लेकिन फिर कोई ऐसी घटना सामने आ जाती है कि इन सारी बातों पर सवालिया निशान लग जाता है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में गुजरात के राजकोट जिले से सामने आया है। यहां एक 6 साल की बच्ची के साथ निर्भया जैसी घटना हुई है। बच्ची फिलहाल जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है। चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला?

गुजरात में 6 साल की बच्ची संग रेप का मामला आया सामने

Gujrat rajkot girl raped

गुजरात के राजकोट में एक 6 साल की बच्ची संग रेप का मामला सामने आया है। यहां 30 साल के एक शख्स ने 6 साल की बच्ची का अपहरण कर रेप करने की कोशिश की और फिर बच्ची के प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी। घटना 4 दिसंबर की बताई जा रही है। बच्ची के माता-पिता खेत पर काम करने के लिए गए थे। इस दौरान आरोपी बच्ची को उठाकर ले गया और मुंह दबाकर उसके साथ हैवानियत की। इसके बाद उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी। जब बच्ची के माता-पिता घर पहुंचे और उन्होंने बच्ची को घर पर नहीं देखा, तो उसकी तलाश शुरू हुई। ढूंढने पर बच्ची घटनास्थल पर खून से लथपथ मिली। इसके बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती करवाया गया और फिर आरोपी की तलाश शुरू हुई। पुलिस ने आरोपी की पकड़ लिया। आरोपी खुद एक 12 साल की बेटी और 2 बेटों का पिता है।

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क्या कभी सुरक्षित महसूस कर पाएंगी बेटियां?

women should raise voice in rape cases
सुरक्षित महसूस कर पाना...ये शब्द कितने अहम हैं इनका जवाब आपको आसानी से कोई भी लड़की दे सकती है। बेशक लड़कों के लिए यह नॉर्मल सी बात है, लेकिन हम लड़कियों के लिए ये मानो किसी खजाने से कम नहीं है। भला हमारे लिए इससे बेहतर सुबह क्या होगी, जब हम सड़कों पर बेखौफ निकल पाएंगे...जब रात को घर जाते वक्त हमें अपनी लोकेशन शेयर करने की जरूरत नहीं होगी...जब हमें हमारे मन के कपड़े पहनने की आजादी होगी और किसी की नजरें हमें छलनी नहीं करेंगी...जब हमें घर के अंदर रहने की सलाह नहीं दी जाएगी...जब हमारे कपड़ों, चरित्र पर कमेंट नहीं किए जाएंगे और जब ऐसे दरिंदे हमारी इज्जत को तार-तार करने के लिए ताक लगाए नहीं बैठे होंगे। इन सब से ऊपर जब नन्ही बच्चियां जिन्हें शायद रेप, दरिंदगी और दुष्कर्म जैसे शब्दों का मतलब भी नहीं पता, वो ऐसे हैवानों का शिकार नहीं होंगी।

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मैं न चाहते हुए भी ये लिखने को मजबूर हूं कि सिर्फ उम्र, जगह और चेहरे बदल रहे हैं, लेकिन बेटियों की सुरक्षा बस एक मजाक बन गई है। इस तरह की घटनाएं न केवल महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि हमारी संस्कृति को भी शर्मसार करती हैं। कन्याओं का पूजन करने वाला यह देश अगर बेटियों की हिफाजत ही नहीं कर पा रहा है, तो शायद अब हमें कुछ घड़ी रुककर अपने अंदर झांकने की जरूरत है।

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