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छत्रपति संभाजी महाराज का नाम कैसे पड़ा 'छावा'? जानिए रोचक कहानी

छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज ने अपने शासनकाल में 120 युद्ध लड़े थे और सभी में जीत हासिल की थी। उनके जीवन पर आधारित फिल्म छावा रिलीज होने वाली है।     
Editorial
Updated:- 2025-01-29, 19:37 IST

14 फरवरी 2025 को विक्की कौशल स्टारर फिल्म छावा रिलीज होने वाली है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया जा चुका है और लोग ट्रेलर देखकर काफी उत्साहित हो गए हैं। इस फिल्म में विक्की कौशल ने छत्रपति संभाजी महाराज का किरदार निभाया है। ट्रेलर में एक डायलॉग सुनाई देता है,'शेर नहीं रहा, लेकिन छावा अभी भी जंगल में घूम रहा है।’ आपको बता दें कि छत्रपति शिवाजी हाराज को शेर और उनके बड़े बेटे छत्रपति संभाजी महाराज को छावा कहा जाता है। छावा का मतलब होता है शेर का बच्चा। 

आज हम इस आर्टिकल में आपको छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में बताएंगे और उनका नाम 'छावा' कैसे पड़ा उसके बारे में भी बताएंगे। 

कौन थे छत्रपति संभाजी महाराज?

मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपति शिवाजी महाराज ने रखी थी। वह एक वीर और साहसी योद्धा थे। शिवाजी महाराज ने सईबाई से विवाह किया था और उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई थी। छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे का नाम छत्रपति संभाजी महाराज था। जब वह 2 वर्ष के थे, तब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद, उनका पालन-पोषण उनकी दादी जीजाबाई ने किया था। 

जब संभाजी केवल 9 साल के थे, तब उन्होंने पहली बार औरंगजेब को आगरा में देखा था। बचपन से ही वह अपने शत्रु की कूटनीति और क्रूरता को जानते थे। जब शिवाजी औरंगजेब को चकमा देकर आगरा के किले से भाग निकले थे, तब संभाजी उनके साथ ही थे। उस समय, शिवाजी जी ने अपने बेटे को मथुरा में एक मराठी परिवार के यहां छोड़ दिया था और उनके मरने की अफवाह फैला दी थी। 

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संभाजी जी को शिवाजी ने किले में कैद कर दिया था

about chhatrapati sambhaji maharaj

हालांकि, कुछ दिनों के बाद संभाजी महाराष्ट्र पहुंच गए थे। संभाजी हमेशा से आक्रामक थे, इसलिए उनके पिता ने उन्हें पन्हाला के किले में कैद कर दिया था। जब छत्रपति शिवाजी की मौत हुई, तब भी संभाजी पन्हाला के किले में ही कैद थे। उस समय, रायगढ़ में शिवाजी के मंत्रियों और सरदारों ने संभाजी के सौतेले भाई राजाराम को छत्रपति बनाने का फैसला किया था। 

जब यह बात मराठा सेनापति हम्मीराव मोहिते को पता चली, तो उन्होंने संभाजी को पन्हाला किले से आजाद कर दिया। मोहिते की मदद से संभाजी ने रायगढ़ किले पर कब्जा कर लिया और राजाराम, उनकी मां समेत कई लोगों को जेल में डाल दिया था। इसके बाद, संभाजी छत्रपति के रूप में 1680 ईस्वी में मराठा सिंहासन पर बैठे। सबसे पहले, उन्होंने मुगलों के शहर बुरहानपुर पर धावा बोला और उसे नष्ट कर दिया। इसके अलावा, संभाजी ने औरंगजेब के बेटे अकबर को सुरक्षा भी प्रदान की थी। 

औरंगजेब ने घात लगाकर पकड़वाया था 

जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति संभाजी महाराज ने बीजापुर और गोलकुण्डा पर विजय प्राप्त कर ली है, तो उसने बड़ी तादाद में मुगल सेना इकट्ठा करके संभाजी के ऊपर धावा बोल दिया। 1687 में मुगलों और मराठों के बीच भयंकर युद्ध हुआ और इसमें सेनापति हम्मीराव मोहिते की मृत्यु हो गई। लेकिन, संभाजी महाराज ने विजय प्राप्त की। फिर, 1689 में छत्रपति संभाजी महाराज एक बैठक करने संगमेश्वर पहुंचे थे, तो वहां पर पहले से ही मुगल सरदार मुक़र्रब खान की सेना मौजूद थी। मुगल सेना ने घात लगाकर संभाजी पर हमला कर दिया । इस हमले में कई लोगों की मृत्यु हुई और संभाजी महाराज और उनके मंत्री कवि कलश को कैद कर लिया गया। 

छत्रपति संभाजी महाराज और उनके मंत्री को कैद करके बहादुरगढ़ ले जाया गया। वहां उन्हें 40 दिनों तक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी गई। जब संभाजी महाराज औरंगजेब के सामने पेश हुए, तो मुगल बादशाह ने घुटनों के बल बैठकर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। औरंगजेब ने संभाजी को इस्लाम स्वीकार करने का प्रस्ताव दिया और इसके बदले उन्हें जीवनदान देने की बात कही। जिस पर संभाजी ने कहा कि अगर बादशाह अपनी बेटी भी दे देंगे, तो भी मैं इस्लाम नहीं स्वीकार करूंगा। 

कैसे हुई संभाजी महाराज की मृत्यु?

यह सुनकर औरंगजेब ने संभाजी के नाखून उखाड़ने और गर्म सलाखों से उनकी आंखें फोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद, तुलापुर में इंद्रायणी और भीमा नदी के संगम स्थल पर ले जाकर छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या कर दी और उनके शरीर के टुकड़े करके कुत्तों को खिला दिया गया। 

छत्रपति संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य हिल गया। कहा जाता है कि औरंगजेब ने संभाजी को देखकर कहा था कि अल्लाह ने हमारे जनाने में संभा जैसा बेटा पैदा क्यूं नहीं किया? 

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छत्रपति संभाजी महाराज को छावा क्यों कहा जाता है? 

chhaava film

दरअसल, छावा का मतलब मराठी में शेर का बच्चा होता है। संभाजी महाराज स्वभाव से काफी क्रोधी और पराक्रमी थे। उन्होंने अपने 9 साल के शासनकाल में 120 युद्ध लड़े थे और सभी में जीत हासिल की थी। वहीं, मराठी साहित्यकार शिवाजी सावंत ने अपनी नॉवेल छावा में छत्रपति शिवाजी महाराज को शेर और उनके बेटे संभाजी को शेर का बच्चा यानी छावा कहा था। यह उपन्यास सबसे ज्यादा पॉपुलर रहा था। इसके बाद, पूरे महाराष्ट्र में छत्रपति संभाजी महाराज को छावा कहकर पुकारा जाने लगा। 

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Image Credit - IMDb, Social Media 

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