
हमारी भारतीय संस्कृति में शादी के समय जन्मपत्री या कुंडली देखने की प्रथा सदियों से चली आ रही है और लड़के और लड़की की कुंडली मिलाने के बाद ही विवाह की कोई भी रस्म शुरू होती है। बच्चे के जन्म लेते ही उसके जन्म समय, तिथि, नक्षत्र और ग्रहस्थिति को देखकर उसके भविष्य की रूपरेखा भी तैयार की जाती है। अक्सर लोगों के मन में एक यह सवाल उठता है कि क्या हर किसी के लिए कुंडली बनवाना जरूरी है? क्या बिना कुंडली के भी जीवन सफल और सुचारू रूप से भी चल सकता है? एक ऐसा ही प्रश्न प्रेमानंद जी महाराज से उनकी एक भक्त ने पूछा। इस प्रश्न का उत्तर प्रेमानंद जी महाराज ने बड़ी ही सहजता दे दिया है। आप भी जानें उनके जवाब के बारे में।
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जन्मपत्री बनवाना सदियों पुरानी परंपरा है। पुराने समय में जीवन, ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार व्यवस्थित माना जाता था। विवाह से पहले गुण-मिलान, नाड़ी-दोष और ग्रह-स्थिति को देखकर शुभ मुहूर्त तय किया जाता था। लेकिन प्रेमानंद महाराज जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कुंडली बनवाना जरूरी है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बिना जन्मपत्री बनवाए हुए शादी नहीं कर सकते हैं।

प्रेमानंद जी कहते हैं कि यदि आपको कुंडली बनवानी हो तो बहुत अच्छी बात है, नहीं बनवानी हो तब भी जीवन रुकता नहीं है। आज के समय में प्रेम-विवाह अधिक बढ़ चुके हैं और बहुत से लोग कुंडली मिलान के बिना ही विवाह कर लेते हैं। ऐसे में प्रेमानंद ही मजाकिया अंदाज में कहते हैं कि 'कौन देख रहा है आजकल गुण मिलान? कितने गुण मिले, ये सब किसे याद रहता है?' कुंडली मिलान से ज्यादा जरूरी है कि मन का मिलान हो और विचार मिलने चाहिए।
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प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जीवन की समस्याओं का हल कुंडली में नहीं, बल्कि हमारे अच्छे विचारों में होता है। यही नहीं किसी भी व्यक्ति का चरित्रवान होना जरूरी है, नहीं रो कुंडली मिलने या न मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। यदि पति-पत्नी दोनों विनम्र हैं, यदि दोनों एक-दूसरे की बातों को समझते हैं, यदि दोनों अपना स्वभाव संतुलित रखते हैं, तो विवाह सहज रूप से सफल होता है। ऐसे में कुंडली का मिलना या न मिलना कोई मायने नहीं रखता है। प्रेमानंद जी कहते हैं कि पत्नी कभी कटु बोल दे, तो पति थोड़ा नम्र हो जाए। पति कभी क्रोधित हो जाए, तो पत्नी धैर्य रखे। यही जीवन को मंगलमय बनाता है। इसका मतलब यही हुआ कि किसी भी व्यक्ति की कुंडली नहीं बल्कि व्यवहार और प्रेम ही विवाह को सफल बनाते हैं।

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प्रेमानंद महाराज जी के अनुसार, रिश्तों में तकरार और मतभेद होना स्वाभाविक है। लेकिन समस्या तब बनती है जब संवाद टूट जाता है और स्वभाव में कटुता बढ़ जाती है। यदि पत्नी किसी कारण असंतुष्ट है, तो उसे समझना और शांत करना पति की जिम्मेदारी है। इसी प्रकार यदि पति नाराज है, तो पत्नी को धैर्य रखना चाहिए। यही सफल वैवाहिक जीवन का सार है।
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अगर आप किसी वजह से कुंडली मिलान नहीं कर पा रही हैं, तो सफल शादी के लिए आपके विचारों का मिलना जरूरी होता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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