केरल के वायनाड में 30 जुलाई 2024 को भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइडिंग की स्थिति बन गई। इसके कारण कई लोगों के घर उजड़ गए, तो कई बच्चों ने अपने परिवार खो दिए। वायनाड में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। पहाड़ी इलाके में भूस्खलन होना कोई बड़ी बात नहीं है। वायनाड के इस घटना से पहले भी पहाड़ी इलाके से लैंडस्लाइड की भयावह खबरे आ चुकी हैं। हालांकि, इस बार वायनाड की लैंडस्लाइडिंग घटना ने यहां रहने वालों को अंदर से झकझोर कर रख दिया है। इसके मौत के आंकड़े लागातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में, सवाल ये उठता है कि भारत का यह दक्षिणी हिस्सा आखिर लैंडस्लाइड से लगातार क्यों प्रभावित हो रहा है? आइए आपके सवालों के जवाब हम देते हैं।
वायनाड में यह भयावह घटना होने से दो हफ्ते पहले से ही यहां लगातार भारी बारिश हो रही थी, जो कि अधिक भूस्खलन की एक वजह मानी जा सकती है। बारिश के अलावा, केरल वन अनुसंधान संस्थान (केएफआरआई) की एक रिपोर्ट में लैंडस्लाइडिंग की असली वजह चट्टानों के खनन को भी बताया गया था। यही नहीं, वायनाड में लैटराइट मिट्टी की प्रचुरता है, जो कि बेहद कमजोर और कटने वाली होती है। यह भी इस क्षेत्र में भूस्खलन का एक महत्वपूर्ण कारक है। जंगलों की लगातार कटाई से भी जलवायु परिवर्तन होता है और बारिश अधिक होने लगती है। इस तरह वायनाड इतनी भयावह स्थिति होने के कई कारण हैं।
पहाड़ी इलाकों में चट्टानों के खनन या पहाड़ों को तोड़ने के लिए विस्फोट किया जाता है। इस तरह के विस्फोट से काफी दूर तक कंपन पैदा होता है। ऐसे में, इस कंपन से पहाड़ को तोड़ने में तो आसानी होती है, लेकिन इस कंपन का प्रभाव कई किलोमीटर के इलाकों तक होता है। भारी विस्फोट के कारण धरती हिलती है और फिर इसमें हल्की सी एक दरार भी पैदा हो जाती है। इसके बाद जब किसी क्षेत्र में भारी बारिश होती है, तो इन्हीं दरारो में पानी जमकर एक बड़ा सैलाब बना देता है।
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केरल में लगातार लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ती जा रही है। इसका एक कारण जंगलो की कटाई भी है। केरल वैसे तो चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन पिछले कई सालों से इस क्षेत्र में जंगल तेजी से काटे गए हैं। इसकी वजह से राज्य में जलवायु काफी परिवर्तन हुआ। इससे बारिश का पैटर्न भी बदल गया। इस कारण से भी ढलान वाले इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
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वायनाड, पश्चिमी घाट की ढलान पर बसा है। इन इलाकों में कई घाटियां और पहाड़ियां हैं। ये ढलाने बिल्कुल खड़ी हैं। इस कारण भी ऐसे इलाके में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती है। मानसून के मौसम में केरल का वायनाड भारी बारिश बर्दाश्त नहीं कर पाता है। कई बार इस जगह पर औसत से ज्यादा बारिश हो जाती है, जिससे इस क्षेत्र की मिट्टी सैचुरेट होकर कटने लगती है। दरअसल, इस जिले में लैटराइट मिट्टी की अधिकता है, जो बेहद कमजोर और कटने वाली होती है। ये मिट्टी बारिश से सैचुरेट होकर भूस्खलन की घटनाओं बढ़ा देती है।
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Image credit- Herzindagi
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