5, 10, 100 ही नहीं, लाखों के भी होते हैं स्टांप पेपर, जानें क्यों होती है अलग-अलग वैल्यू और इनके काम

स्टांप पेपर का इस्तेमाल कानूनी दस्तावेज के रूप में किया जाता है। स्टांप पेपर की वैल्यू 5 रुपये से लेकर लाखों की होती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि स्टांप पेपर अलग-अलग वैल्यू के क्यों होते हैं और इनका कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
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हर व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी स्टांप पेपर बनवाने की जरूरत पड़ती है। रेंट एग्रीमेंट से लेकर प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने और अन्य कानूनी कामों के लिए स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार बिजनेस डीड्स के लिए भी लोग स्टांप पेपर बनवाते हैं। दरअसल, स्टांप पेपर पर तैयार डॉक्यूमेंट्स की लीगल वैल्यू ज्यादा मानी जाती है। बिना स्टांप पेपर के डॉक्यूमेंट्स को कानूनी तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है।

क्या होता है स्टांप पेपर?

what is stamp paper

स्टांप पेपर ऐसे तो एक A4 साइज का एक कागज होता है, जिस पर रेवेन्यू स्टांप लगा होता है। यह राजस्व विभाग जारी करता है और स्टांप पेपर बिल्कुल एक नोट की तरह काम करते हैं। लेकिन, यह नोट यानी करेंसी की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। स्टांप पेपर बनवाने के लिए सरकार को शुल्क देना होता है और इसे हम स्टांप ड्यूटी के रूप में देते हैं।

केंद्र सरकार की तरफ से इंडियन स्टांप एक्ट 1899 में बनाया गया था और इसी के तहत स्टांप ड्यूटी देनी होती है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार के भी स्टांप ड्यूटी के अलग-अलग नियम होते हैं। ऐसे में कई बार अलग-अलग राज्यों में अलग स्टांप ड्यूटी हो सकती है। स्टांप पेपर को सरकार का रेवेन्यू सोर्स भी माना जाता है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि स्टांप पेपर केवल आम जनता के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी जरूरी होता है।

कितनी तरह का होता है स्टांप पेपर?

स्टांप पेपर दो तरह के होते हैं ज्यूडिशियल स्टांप पेपर और नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर। आइए, यहां जानते हैं दोनों कब और क्यों इस्तेमाल किए जाते हैं।

  • ज्यूडिशियल स्टांप पेपर: इन स्टांप पेपर का कोर्ट में एप्लीकेशन या दावा फाइल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, जब कोर्ट में दावा करना होता है तो कोर्ट में लगने वाली फीस की वैल्यू के ज्यूडिशियल स्टांप पेपर खरीदने होते हैं। उन्हीं पर केस की डिटेल्स लिखी जाती हैं।

  • नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर: इन स्टांप पेपर का इस्तेमाल किसी भी लीगल ट्रांजेक्शन पर राज्य सरकार की फीस का भुगतान करने के लिए होता है। जी हां, आप जितने भी लीगल ट्रांजेक्शन करते हैं, उन पर राज्य सरकार का फीस करने का अधिकार होता है। इसके बिना डॉक्यूमेंट को लीगल नहीं माना जाता है।


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अलग-अलग वैल्यू के क्यों होते हैं स्टांप पेपर?

stamp paper different value reason

हर राज्य सरकार अपने नियमों के अनुसार स्टांप पेपर की फीस तय करती है। यह 5, 10, 100 रुपये से लेकर लाखों में हो सकती है। जिसे लोग अपनी जरूरत के अनुसार लेते हैं। आइए, यहां जानते हैं अलग-अलग वैल्यू के स्टांप पेपर के आमतौर पर क्या काम होते हैं।

  • 50 रुपये के स्टांप पेपर का ज्यादातर इस्तेमाल एफिडेविट के रूप में किया जाता है।

  • 100 रुपये के स्टांप पेपर का इस्तेमाल पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए होता है।

  • रेंट एग्रीमेंट या अन्य किसी समझौते के लिए 500 रुपये का स्टांप पेपर इस्तेमाल किया जाता है।

  • बिजनेस या अन्य पार्टनरशिप के लिए 2 हजार रुपये का स्टांप पेपर बनता है। हालांकि, यह फीस हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है।

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स्टांप पेपर की अलग-अलग वैल्यू के पीछे साफ और आसान यह लॉजिक है कि जिस डॉक्यूमेंट के लिए जितनी फीस सरकार द्वारा निर्धारित की गई है, उतनी ही स्टांप पेपर की वैल्यू होती है। अगर आप तय रकम के स्टांप पेपर पर अपना डॉक्यूमेंट नहीं तैयार करवाते हैं तो वह लीगल रूप से वैलिड नहीं माना जाता है।

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Image Credit: Jagran.com, Indiamart and Justdial

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