herzindagi
banke bihari mandir in vrindavan

बांके बिहारी मंदिर में क्यों डाला जाता है बार-बार पर्दा, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कथा  

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में बार-बार ठाकुर जी के आगे पर्दा किया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण।  
Editorial
Updated:- 2022-12-15, 16:04 IST

Banke Bihari Temple: वृंदावन का बांक बिहारी मंदिर दुनियाभर में प्रख्यात है। दूर-दूर से करोड़ों श्रद्धालु श्री बांके बिहारी के दर्शनों की लालसा लिए वृंदावन पहुंचते हैं। श्री बांके बिहारी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति अपने सभी दुख-दर्द भूल जाता है और उन्हें एक टक बस निहारता ही रहता है।

बांके बिहारी मंदिर में एक चीज जो अन्य मंदिरों के मुकाबले अलग है वो है वहां कि पर्दा प्रथा। अगर आपने कभी गौर किया हो तो बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन हमेशा टुकड़ों में कराये जाते हैं। यानी कि बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डाला जाता है जिससे कोई भी ठाकुर जी को ज्यादा देर तक न देख सके।

जब हमने इस बारे में हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने हमें इसके पीछे का एक बड़ा ही रोचक किस्सा बताया जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। इस किस्से के मुताबिक, बार-बार पर्दा करने के पीछे वो पौराणिक कथा है जो किसी को भी भक्तिभाव से भर देती है।

  • कथा के अनुसार, आज से 400 साल पहले तक बांके बिहारी के मंदिर के आगे पर्दा डालने की प्रथा नहीं थी। भक्त जितनी देर तक चाहे उतनी देर तक मंदिर में रुक सकते थे और ठाकुर जी के दर्शन कर सकते थे।

इसे जरूर पढ़ें: Astrology: शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर दिख सकते हैं ये दुष्प्रभाव

  • एक दिन मंदिर में बांके बिहारी के रूप का बखान सुन एक वृद्धा आई जो विधवा और निसंतान थी। वृद्धा आई तो बांके बिहारी के दर्शनों के साथ-साथ अपनी संतान (संतान प्राप्ति के लिए पाठ) प्राप्त की इच्छा के लिए थी लेकिन जब उन्होंने बांके बिहारी के मनमोहक रूप को देखा तो वह एक टक देखती ही रह गईं।

banke bihari

  • ठाकुर जी के रूप को देख वृद्धा न सिर्फ अपने सारे दुख-दर्द भूल गईं बल्कि उन्होंने बांके बिहारी को ही अपना बेटा मान लिया। वृद्धा अकेली थीं और अपार संपत्ति की मालकिन भी थीं। तो उन्होंने सोचा कि अपनी सारी संपत्ति वह बांके बिहारी के नाम पर कर दें।

यह विडियो भी देखें

shri banke bihari

  • माना जाता है कि उस मैय्या का प्रेम और भक्ति भाव देख कन्हैया (कन्हैया की अष्टयाम सेवा के नियम) भी खुद को उनका पुत्र मानने से न रोक पाए और उनके अकेलेपन को देखते हुए उन्होंने उनके साथ जाने का निर्णय लिया। जैसे ही वृद्धा अपने घर के लिए जाने लगी तभी बांके बिहारी भी उनके पीछे पीछे चल दिए।

इसे जरूर पढ़ें:Vastu Tips: घर की इस दिशा में रखें मिट्टी के बर्तन, आर्थिक तंगी से मिल सकता है छुटकारा

  • जब अगले दिन मंदिर के पुजारी और अन्य लोगों को पता चला तो उन्होंने प्रभु को खोजना शुरू किया और खोजते-खोजते वह वृद्धा के घर पहुंच गए जहां उन्हें बांके बिहारी मिले। तब सभी ने बांके बिहारी से प्रार्थना की कि वह वृंदावन वापिस लौट चलें।
  • तब कहीं जाकर बांके बिहारी जी मंदिर में लौटकर आए और तभी से हर 2 मिनट के अंतराल पर बिहारी जी के सम्मुख पर्दा डालने की परंपरा की शुरुआत हुई।

तो ये थी बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डालने के पीछे की रोचक कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Freepik, Pexels

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।