kamakhya devi temple unique custom

भक्त की भक्ति या देवी का चमत्कार; कामाख्या मंदिर में खौलते तेल में हाथ डालकर निकाला जाता है प्रसाद पर नहीं पड़ता कोई घाव

कामख्या देवी मंदिर में पुजारी द्वारा खौलते तेल में हाथ डाला जाता है और माता का भोग तैयार किया जाता है, इसके बाद उसी भोग को प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है। हैरानी की बात ये है कि जब मंदिर के पुजारी खौलते तेल में हाथ डालते हैं तो इससे न हो उन्हें घाव लगता है और न किसी प्रकार का दर्द होता है। 
Editorial
Updated:- 2025-12-11, 21:45 IST

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी में नीलाचल पर्वत पर स्थित है, जिसे देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर सिर्फ अपनी तांत्रिक साधनाओं और शक्ति पूजा के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी अनोखी और चमत्कारिक परंपराओं के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। इन्हीं चमत्कारों में से एक है यहां का प्रसाद वितरण जिसके लिए मंदिर के पुजारी खौलते हुए तेल में हाथ डालकर माता का भोग बनाते हैं और फिर उसी भोग को प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से। 

खौलते तेल में हाथ डालने की अनोखी परंपरा

कामाख्या मंदिर में भक्तों को दिया जाने वाला विशेष प्रसाद बेहद गर्म होता है जिसे अक्सर 'महानिर्मल्य' कहा जाता है। इस प्रसाद को वितरित करने की विधि इतनी अद्भुत है कि यह आस्था और विज्ञान दोनों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। प्रसाद को तैयार करने के लिए एक बड़े बर्तन में तेज गर्म तेल या घी लिया जाता है। कुछ वर्णनों के अनुसार, यह तेल इतना गर्म होता है कि उसमें बुलबुले उठ रहे होते हैं, यानी यह खौल रहा होता है।

kamakhya devi mandir ka rivaj

मंदिर के पुजारी या सेवारत साधक जो इस विशेष कार्य के लिए तैयार होते हैं, पूजा और विशेष मंत्रों का जाप करने के बाद इसी खौलते हुए तेल या घी में अपना हाथ डालते हैं। पुजारी जलते हुए तेल से प्रसाद निकालकर तुरंत भक्तों को वितरित कर देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि पुजारी के हाथ पर कोई घाव, छाला या जलन का निशान नहीं पड़ता।

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भक्त और मंदिर से जुड़े लोग इस घटना को माता कामाख्या का साक्षात चमत्कार मानते हैं जो उनकी असीम शक्ति और पुजारी की अटूट आस्था का प्रतीक है। भक्तों का मानना है कि यह तांत्रिक शक्तिपीठ है और स्वयं कामाख्या देवी अपने पुजारी को ऐसी दिव्य शक्ति प्रदान करती हैं जिससे उन्हें अग्नि का कोई भय नहीं रहता। यह देवी की कृपा का प्रमाण माना जाता है।

kamakhya devi ki parampara

माना जाता है कि जो पुजारी यह कार्य करते हैं, वे वर्ष भर कठोर साधना, तपस्या और व्रत का पालन करते हैं। उनका पवित्र आचरण और दृढ़ विश्वास ही उन्हें इस अलौकिक कार्य को करने की शक्ति देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे भक्तों की आस्था को मजबूत करने वाला एक दिव्य संकेत माना जाता है।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
कामाख्या देवी मंदिर में मां किस रूप में विराजमान हैं?
कामाख्या देवी मंदिर में मां योनि के रूप में विराजमान हैं।
कामाख्या देवी किसका अवतार है?
कामाख्या देवी माता सटी का ही एक आंगिक रूप हैं।
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