जज के घर मिले 15 करोड़, जानें कौन करता है हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई? पद से हटाए जाने को लेकर क्या हैं नियम

दिल्ली के हाईकोर्ट यशवंत वर्मा के घर से अयोग्य 15 करोड़ रुपये बरामद हुए, जिसके बाद से उनसे न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए हैं। उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब ऐसे में पहला सवाल यह आता है कि जजों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कौन करता है। इसके साथ ही उन्हें पद से हटाने को लेकर क्या प्रोसेस है।
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Who Can Take Action Against High Court Judge:दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर नोटों का जखीरा मिलने के बाद से यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े तथ्य 22 मार्च को सार्वजनिक किए थे। बता दें इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिक वर्मा को कुछ समय के लिए न्यायिक कार्यों से दूर कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की कॉलिजियम में जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की मांग की है। वहीं इस मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है। अब ऐसे यह सवाल आता है कि अगर कोई जज दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कौन करता है। साथ ही उन्हें पद से हटाए जाने को लेकर क्या नियम हैं।

जज को पद से हटाए जाने को लेकर संविधान में क्या हैं नियम?

Impeachment Motion in Parliament

सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124(4) में निर्धारित की गई है। वहीं संविधान का अनुच्छेद 218 के अनुसार, यह प्रावधान है हाईकोर्ट के जज पर भी लागू होता है। अनुच्छेद 124(4) के अनुसार, किसी जज को संसद की ओर से तय प्रक्रिया के जरिए किसी जज को उसके पद से उसके प्रमाणित कदाचार और अक्षमता के आधार पर हटाया जाता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए महाभियोग का आधार और प्रक्रिया का स्तर काफी हाई होता है।

न्यायाधीश जांच अधिनियम-1968

किसी जज पर महाभियोग चलाने के लिए न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के अनुसार तय किया जाता है। इस अधिनियम की धारा 3 के तहत, महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए, लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों और राज्य सभा में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी होता है।

क्या है महाभियोग प्रस्ताव?

who takes legal action against high court judges

हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का अधिकार मुख्य रूप से संसद को है। यदि संसद को लगता है कि किसी जज ने गंभीर अनियमितताएं की हैं, तो उस जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। यह प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जाता है। प्रस्ताव को पारित करने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। इसके बाद, एक जांच समिति गठित की जाती है, जिसमें उच्चतम न्यायालय का एक न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और एक कानूनी विशेषज्ञ शामिल होते हैं।

यह समिति आरोपों की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट देती है। यदि समिति आरोपों को सही मानती है, तो संसद में महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा होती है और दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाता है।

जज को पद से हटाने का आदेश कौन देता है?

अगर जांच रिपोर्ट में जज पर लगाया गया आरोप सही साबित होता है, तो संबंधित सदन जांच समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करता है। इसके बाद दोनों सदनों की ओर से राष्ट्रपति से आरोपी जज को हटाने की सिफारिश की जाती है।

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Image credit- Freepik

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