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हाईकोर्ट जज के घर में नकदी मिलने पर मचा बवाल...घर में कितना कैश रख सकते हैं आप? एडवोकेट से जानिए

हाल ही में एक हाईकोर्ट जज के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना ने देशभर में हंगामा मचा दिया है। अब ऐसे में यह सवाल दिमाग में आया कि घर में कितनी नकदी रखना कानूनी रूप से सही है? क्या यह किसी भी व्यक्ति के लिए निर्धारित है, या फिर हर किसी के लिए अलग-अलग नियम हैं?
Editorial
Updated:- 2025-03-24, 14:28 IST

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने पर पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना इस बात को लेकर सवाल उठाती है कि एक सामान्य नागरिक के लिए कितनी नकदी घर में रखना उचित है, और कानून इसके बारे में क्या कहता है? भारतीय कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति की सीमा में जितनी चाहे उतनी नकदी रखने की स्वतंत्रता है, लेकिन यह तभी तक सही है जब तक वह कैश का स्रोत कानूनी हो और उस पर कोई टैक्स बकाया न हो। अगर किसी व्यक्ति के घर पर एक मोटा नगदी मिलता है और बिना कोई कारण बताए बड़ी रकम का खुलासा नहीं करता, तो वह अवैध माना जा सकता है। खासतौर पर जब यह बड़ी राशि किसी सरकारी अधिकारी के घर से मिले, तो इस पर गंभीर जांच शुरू होती है, जैसा कि हालिया घटना में हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से जानते हैं कि एक आम आदमी अपने घर में कितना कैश रख सकता है।

कितना कैश घर में रखना उचित?

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भारत में नकदी रखने के मामले में कोई स्पष्ट सीमा नहीं है, लेकिन आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के पास 2 लाख से अधिक नकदी है और यह आयकर रिटर्न से मेल नहीं खाती, तो यह जांच के दायरे में आ सकती है। विशेष रूप से अगर यह राशि बिना उचित स्रोत के हो, तो उसे अवैध माना जा सकता है। हालांकि, यदि कैश का सोर्स कानूनी है और उस पर कोई टैक्स बकाया नहीं है, तो आप घर में कितनी भी नकदी रखना कानूनी है। इसके बाद भी अगर आप अपने घर में भारी मात्रा में कैश रखते हैं, तो उसका सोर्स आपको क्लियर करना होगा।

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कब नकदी को माना जाता है अघोषित कैश?

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अगर जांच के दौरान व्यक्ति सही या क्लियर जवाब नहीं दे पाता है, तो उसे अघोषित कैश में गिना जाता है और उस पर 78 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है। इसमें 60 फीसदी टैक्स रेट, 25 फीसदी सरचार्ज और 4 फीसदी हेल्थ एंड एजुकेशन सेस लगेगा। इसके अलावा इनकम टैक्स 1961 का सेक्शन 270A के अनुसार, कम आय रिपोर्ट करने पर जुर्माना देय कुल कर का 200 प्रतिशत तक हो सकता है। इसके साथ ही ब्लैक मनी एक्ट, 2015 में जानबूझकर कर चोरी करने पर जुर्माने के साथ-साथ 3 से 10 साल तक की जेल भी हो सकती है।

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Image credit- Freepik

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