कौन हैं विट्ठल भगवान जिन्होंने ईंट को बनाया है अपना आसन

आज हम आपको भगवान विट्ठल के बारे में बड़ी ही रोचक बातें बताने जा रहे हैं।

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Who Is Vitthal God: आज हम आपको अपने इस लेख में भगवान के एक ऐसे अवतार के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका अंदाज ही एक दम निराला है। कथा कहें या दिलचस्प रहस्य, जो भी हो लेकिन आज भगवान श्री हरि विट्ठल के बारे में जानकर आप भी भावविभोर हो सकते हैं।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि भगवान विट्ठल मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में पूजे जाते हैं और वहां के राजा कहलाते हैं। भगवान विट्ठल 'पंढरपुर के विट्ठल' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। गौर करने बात ये है कि यह किसी आसन पर विराजमान नहीं बल्कि एक ईंट पर खड़े हैं।

  • छठीं शताब्दी में पुंडलिक नाम का एक भक्त हुआ करता था जिसका जन्म पंढरपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। शांत, सरल और सहज स्वभाव के पुंडलिक श्री कृष्ण (श्री कृष्ण का नाम गोविंद क्यों है) के अनन्य भक्त थे।
  • पुंडलिक की भक्ति इतनी मनोरम थी कि श्री कृष्ण उनकी सभी बातें द्वारका राज्य स्थित अपने भवन में बैठे-बैठे सुनते थे। एक दिन श्री कृष्ण ने पूर्ण श्रृंगार किया और अपने भक्त पुंडलिक से मिलने के लिए जाने लगे।
  • तभी माता रुक्मणि ने श्री कृष्ण को रोकते हुए पूछा कि आखिर वो कहां जा रहे हैं तो श्री कृष्ण ने कहा कि मैं अपने भक्त के दर्शन करने जा रहा हूं। माता रुक्मणि के मन में विचार आया कि उस भक्त की भक्ति कितनी गहरी होगी जिसके लिए स्वयं श्री कृष्ण इतना श्रृंगार कर उससे मिलने जा रहे हैं।
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  • लिहाजा माता रुक्मणी ने श्री कृष्ण के साथ चलने का आग्रह किया और श्री कृष्ण भी तुरंत मान गए। श्री कृष्ण और माता रुक्मणि पुंडलिक के घर पहुंचे और उसे पुकारने लगे। उस वक्त पुंडलिक अपने पिता के पैर दबा रहे थे।
  • पिता की सेवा में व्यस्त पुंडलिक ने श्री कृष्ण से अनुरोध किया कि वह अभी पितृ सेवा में लीन हैं तो श्री कृष्ण ईंट पर खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा करें। पुंडलिक का प्रेम भाव ऐसा था कि भगवान भी मान गए और ईंट पर खड़े होकर पुंडलिक की प्रतीक्षा करने लगे।
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  • खड़े हुए देर हो गयी थी तो श्री कृष्ण ने कमर पर हाथ रख लिया और दूसरी ओर श्री कृष्ण के साथ-साथ माता रुक्मणि भी ईंट पर खड़ी होकर प्रतीक्षा करने लगीं। जब सेवा से निवृत्त होकर पुंडलिक प्रभु से मिलने बाहर आए तब तक श्री कृष्ण और माता रुक्मणि (माता रुक्मणि और श्री कृष्ण की प्रेम कथा) मूर्ति रूप में स्थापित हो गए थे।
  • पुंडलिक ने श्री कृष्ण और माता रुक्मणि के मूर्ति रूप को अपने घर में स्थापित किया और उनकी सेवा-पूजा में जुट गए। बता दें कि, ईंट को मराठी में विट कहते हैं। लिहाजा ईंट पर खड़े श्री कृष्ण का नाम विट्ठल पड़ गया।

तो ये थी भगवान विट्ठल से जुड़ी कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Shutterstock, Pinterest

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