मंदिर जाना और भगवान के सामने माथा टेकना खूब सुकून देता है। कई बार मंदिर में पुजारी भगवान के सामने रखा प्रसाद, फूल या चुनरी भक्तों को आशीर्वाद के तौर पर देते हैं। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि मंदिर से मिलने वाली हर वस्तु में सकारात्मक ऊर्जा होती है। यही वजह है कि मंदिर से प्रसाद के रूप में मिलने वाले भोग, फूल माला या चुनरी को भक्त और श्रद्धालु माथे-आंखों से लगाते, गले में पहनते और चूमकर अपने पास रख लेते हैं। लेकिन, असली जद्दोजहद मंदिर से लौटने के बाद होती है।
मंदिर से लौटने के बाद प्रसाद हम ग्रहण कर लेते हैं, फूल या माला को भी सूखने के बाद खाद बनाकर पेड़-पौधों में डाल देते हैं। वहीं, प्रसाद में मिलने वाली चुनरी का लोगों को इस्तेमाल समझ नहीं आता है, तो वह इसे इधर-उधर रख देते हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है कि आखिर मंदिर से प्रसाद के रूप में मिलने वाली चुनरी को इधर-उधर रखना चाहिए? अगर इधर-उधर नहीं रखना चाहिए, तो मंदिर से मिली चुनरी का क्या करना चाहिए। हमारे इस सवाल का जवाब हमें पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी ने दिया है।
मंदिर से मिली चुनरी का क्या करें?
मंदिर से प्रसाद के रूप में मिलने वाली चुनरी कोई साधारण कपड़ा नहीं होता है। यह भगवान के स्पर्श से होकर आता है। ऐसे में प्रसाद में मिली चुनरी को हमेशा श्रद्धा और सम्मान के साथ रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है जब घर के किसी व्यक्ति पर कोई संकट या बीमारी आती है, तब उसके सिर पर मंदिर से मिली चुनरी फेरनी चाहिए और उसके माथे और आंखों से लगानी चाहिए। इसके अलावा भी आप मंदिर से चुनरी का कई जगह इस्तेमाल कर सकती हैं।
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अलमारी-तिजोरी में रखें
मंदिर से मिली चुनरी को भगवान का आशीर्वाद समझकर आप अपनी अलमारी या तिजोरी में भी रख सकती हैं। इससे सुख-समृद्धि घर में बनी रहती है।
मंदिर में रखें
प्रसाद के तौर पर मिली चुनरी को घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति पर न चढ़ाएं। लेकिन, इसे मंदिर में सम्मानपूर्वक जगह दें। ऐसा इसलिए, क्योंकि घर का मंदिर ही सबसे पवित्र और शुद्ध जगह होती है, जहां प्रसाद में मिली चुनरी को रखा जा सकता है।
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नई गाड़ी पर बांधें
अगर आप घर में नया दो पहिया या चार पहिया वाहन लेते हैं, तो उस पर भी मंदिर से प्रसाद के रूप में मिली चुनरी को बांध सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। (मंदिर में प्रसाद के साथ क्यों मिलता है पवित्र जल?)
पूजा-पाठ में करें इस्तेमाल
घर में पूजा-पाठ के दौरान भी आप मंदिर से प्रसाद के रूप में मिली चुनरी का इस्तेमाल कर सकती हैं। आप चुनरी या पटके से अपना सिर ढक सकती हैं। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा हमेशा आपके इर्द-गिर्द रहती हैं। अगर चुनरी छोटी है, तो आप उसे बच्चे को भी बांध सकती हैं।
मंदिर में करें दान
अगर आप प्रसाद के रूप में मिली चुनरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं, तो उसे सम्मानपूर्वक घर के पास के किसी मंदिर में दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से प्रसाद का अपमान नहीं होगा।
प्रसाद की चुनरी फट जाए, तो क्या करें?
अगर प्रसाद के रूप में मिली चुनरी फट जाती है या इस्तेमाल के लायक नहीं रहती है, तो उसे सम्मान पूर्वक किसी पवित्र स्थान पर रखना उचित हो सकता है। लेकिन, ध्यान रहे कि प्रसाद के रूप में मिली चुनरी को जलाने या जल में विसर्जित करने से बचना चाहिए।
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