
तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में केवल एक पौधा नहीं बल्कि देवी तुल्य और साक्षात मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। तुलसी को विशेष रूप से भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार की पत्नी के रूप में पूजा जाता है इसीलिए तुलसी विवाह में उनका विवाह शालिग्राम से कराया जाता है। तुलसी की पूजा करना, उन्हें जल चढ़ाना और उनकी परिक्रमा करना भारतीय घरों की परंपरा से कही ज्यादा अधिक एक पुण्य कर्म है। इसी आस्था के तहत, कई भक्त तुलसी माता को चुनरी या ओढ़नी भी चढ़ाते हैं। लेकिन क्या ऐसा करना सही है? आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हिंदू धर्म में किसी भी विवाहित महिला या देवी को वस्त्र ओढ़ाना सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का तरीका माना जाता है। तुलसी को 'तुलसी माता' या 'वृंदा देवी' कहकर संबोधित किया जाता है। उन्हें चुनरी ओढ़ाने का अर्थ है उन्हें एक सुहागिन देवी के रूप में आदर देना और उनकी पूजा करना।

तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। मान्यता है कि जहां तुलसी का वास होता है वहां लक्ष्मी जी निवास करती हैं। लक्ष्मी जी को वस्त्र अर्पित करने से घर में धन, समृद्धि और ऐश्वर्य बना रहता है। चुनरी पौधे को पवित्रता और सुरक्षा का भाव भी प्रदान करती है।
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यह इस बात का प्रतीक है कि भक्त देवी की देखभाल कर रहे हैं और उनकी मर्यादा को बनाए रख रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में, तुलसी का संबंध यूं तो सभी ग्रह से है लेकिन इसका मुख्य नाता बुध ग्रह और बृहस्पति ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। इन्हीं ग्रहों से जुड़ी चुनरी तुलसी को पहनाई जाती है।
अगर बुध ग्रह को प्रसन्न करना हिया उर उनकी शुभता पानी है तो हरे रंग की चुनरी ओढ़ानी चाहिए। वहीं, बृहस्पति यानी कि गुरु ग्रह की कृपा पाने के लिए तुलसी माता को पीले रंग की चुनरी अर्पित करना शुभ माना जाता है। लेकिन चुनरी सिर्फ महिलाएं अर्पित कर सकती हैं।
भारतीय परंपरा और शास्त्रों में वर्णित तथ्य के अनुसार, किसी भी विवाहित महिला को सम्मान देने के लिए जब उन्हें माला या किसी भी प्रकार का वस्त्र चढ़ाया जाता है या फिर पूजा के दौरान वस्त्र अर्पित किये जाते हैं किसी भी देवी को वह सिर्फ स्त्री ही करती है, पुरुष को इसका अधिकार नहीं।

धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से तुलसी पर चुनरी चढ़ाना एक शुद्ध, शुभ और स्वीकृत परंपरा है। अगर यह कार्य श्रद्धा और साफ मन से किया जाए तो यह निश्चित रूप से शुभ फलदायी होता है। इसके अलावा, चुनरी चढ़ाने से जुड़े कुछ और भी नियम मौजूद हैं।
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चुनरी चढ़ाते समय ध्यान रखें कि वस्त्र साफ, नया या धुला हुआ हो। पुरानी, फटी या गंदी चुनरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। चुनरी का रंग लाल, पीला या नारंगी शुभ माना जाता है। इसके अलावा, हरे रंग की चुनरी भी चढ़ा सकते हैं। चुनरी को हफ्ते में एक बार अवश्य बदलें।
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