भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करने वाले भक्त उन्हें लड्डू गोपाल भी कहकर पुकारते हैं। लड्डू गोपाल की पूजा और सेवा एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा के अनुसार हर सुबह उन्हें स्नान कराते, वस्त्र पहनाते, भोग लगाते और रात के समय सुलाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि लड्डू गोपाल की बच्चे की तरह सेवा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है। लेकिन, आज कल देखने को मिल रहा है कि लोग लड्डू गोपाल की सेवा के नाम पर उन्हें जगह-जगह घूमाने ले जाते हैं। केवल घुमाने ही नहीं, लड्डू गोपाल को टोकरी या डलिया में बैठाकर खरीददारी, मेले और मंदिर में ले जाते हैं।
लड्डू गोपाल को इस तरह टोकरी या डलिया में बैठाकर हर जगह लेकर जाने के पीछे लोगों का मत होता है कि वह अपने बालक को घर में अकेला नहीं छोड़ सकते हैं, तो फिर लड्डू गोपाल को कैसे छोड़ दें। लेकिन, लड्डू गोपाल को इस तरह से हर जगह लेकर कितना सही है या नहीं, यह आज हम इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं। वास्तु और ज्योतिषी के अनुसार यह एक संवेदनशील विषय है, क्योंकि इसे लेकर अलग-अलग मत देखने को मिलते हैं। कुछ का मानना है कि लड्डू गोपाल को हर जगह लेकर जाना शुभ नहीं है, लेकिन कुच का कहना है कि यह पूरी तरह से व्यक्ति की आस्था और श्रद्धा पर निर्भर करता है।
अगर आपके मन में भी बार-बार यह सवाल आता है कि क्या लड्डू गोपाल को हर जगह लेकर जाना चाहिए या नहीं, तो इसका जवाब हमें पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी ने दिया है।
इन कारणों की वजह से लड्डू गोपाल को बाहर नहीं लेकर जाना चाहिए
शुद्धता की कमी
घर से बाहर लड्डू गोपाल को नहीं लेकर जाने के पीछे की सबसे पहली वजह शुद्धता की कमी होती है। ट्रेन, बस या गाड़ी आप किसी भी सवारी से ट्रैवल करें लेकिन उस तरह की साफ-सफाई और शुद्धता कायम नहीं रख सकती हैं, जितनी मंदिर या लड्डू गोपाल के कक्ष में होती है।
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सफर के दौरान आप बाथरूम भी जाना पड़ता है, ऐसे में आप चाहे जितने मर्जी हाथ-पैर और मुंह धो लें लेकिन उस तरह की शुद्धता कायम नहीं रख सकती हैं, जो सुबह स्नान करने के बाद रहती है।
सफर के दौरान आप भोजन भी करते हैं और वहीं झूठे में लड्डू गोपाल को रख देते हैं, जो बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है। कई बार घर से निकलने के बाद जो भोजन हम करते हैं, वही लड्डू गोपाल को भी खिलाते हैं लेकिन, यह अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि, घर से बाहर की रसोई में पके भोजन में उस तरह की शुद्धता नहीं रखी जाती है, जो आप खुद करते समय रखती हैं।
स्थापित करने के बाद नहीं हटाना चाहिए
लड्डू गोपाल को एक बार मंदिर में स्थापित करने के बाद उस स्थान से हटाना नहीं चाहिए। क्योंकि, लड्डू गोपाल को जब हम घर में भाव और भक्ति के साथ लेकर आते हैं, तब उनके साथ रिद्धि-सिद्धि और अन्य देवी-देवता भी आते हैं। ऐसे में लड्डू गोपाल को बार-बार बाहर लेकर जाने से रिद्धि-सिद्धि भी चले जाते हैं।
लड्डू गोपाल को केवल उनके बैठने वाले स्थान से उठाकर कभी-कभी पालने में बैठाया जा सकता है। अगर लड्डू गोपाल को जगह-जगह लेकर जाएंगी, तो उनका भाव खत्म हो जाता है और वह केवल एक मूर्ति की तरह ही रह जाते हैं।
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सेवा में रहता है अंतर
अगर आप किसी कथावाचक या साधु-संत को हाथ में लड्डू गोपाल लेकर चलते देखती हैं और सोचती हैं कि यह लेकर जा रहे हैं तो हम भी लेकर जा सकते हैं। लेकिन, ऐसा करना सही नहीं होता है। क्योंकि, साधु-संत या किसी कथावाचक की तरह आप कड़े नियमों का पालन नहीं कर सकती हैं। वह लोग सात्विक भोजन ही लड्डू गोपाल को कराते हैं, कई बार तो पूरी-पूरी सामग्री और रसोइया भी साथ लेकर चलते हैं। ऐसे में अगर आप पूरी व्यवस्था लड्डू गोपाल के लिए कर सकती हैं, तभी उन्हें अपने साथ लेकर जाना चाहिए।
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