रेनबो आमतौर पर बारिश के बाद दिखाई देते हैं, जब हवा में पानी की बूंदें होती हैं। हालांकि, उन्हें झरनों, फव्वारों और यहां तक कि आपके बगीचे में पानी के पाइप से भी देखा जा सकता है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि रेनबो कैसे और कब बनता है, क्या है इसके पीछे का विज्ञान आइए जानते हैं।
आसमान में रेनबो यानी इंद्रधनुष, सूरज की रोशनी और पानी की बूंदों के मिलने से बनता है। यह तब बनता है, जब सूरज की रोशनी बारिश की बूंदों से होकर गुजरती है और दर्शक की आंखों में बिखरती है। पानी की बूंदे छोटे प्रिज्म की तरह काम करती हैं और सूरज के प्रकाश को रिफ्लेक्ट और फैलाती हैं। प्रकाश बूंद के अंदर से रिफ्लेक्ट होकर अपने अलग-अलग रंगों में बंट जाता है और जब यह बूंद से बाहर निकलता है, तो इंद्रधनुष बनता है।
इंद्रधनुष हमेशा सूरज के विपरीत दिशा में बनता है और एंटी सोलर पॉइंट के आस-पास एक गोलाकार चाप बनाता है। एंटीसोलर पॉइंट, सूरज के ठीक विपरीत आपके सिर की छाया पर होता है। रने डॅकार्ट ने 1637 में यह पता लगाया था कि रेनबो सूरज की रोशनी के बारिश की बूंदों से रिफ्लेक्ट होने पर बनता है।
रेनबो हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है और दर्शक की पीठ के पीछे सूरज होना चाहिए, तभी यह दिखाई देता है। यह तब भी बन सकता है, जब बारिश की रिमझिम बूंदों के बीच धूप हो और आप सूर्य की तरफ मुंह करके देखें। विशाल झरनों के पास भी आम तौर पर दिन के वक्त रेनबो दिखाई देता है। कई बार ऐसा भी होता है कि एक नहीं बल्कि दो-दो रेनबो दिखाई देते हैं। ॉ
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आसमान में कभी-कभी एक नहीं बल्कि दो रेनबो दिखाई देते हैं, जिसे डबल रेनबो या इंद्रधनुष कहते हैं। ऐसा तब होता है, जब सूरज की रोशनी बारिश की बूंदों में दो बार रिफ्लेक्ट होती है। जब रेनबो से निकलने के बाद रंगीन रोशनी सफेद में बदलती है, तो उसका संपर्क बारिश की दूसरी बूंदों से हो जाता है और प्रकाश फिर से अलग-अलग रंगों में अलग हो जाता है। इस बार बनने वाला रेनबो उल्टा दिखता है, जिसमें लाल रंग सबसे नीचे और बैंगनी रंग सबसे ऊपर होता है। इस तरह आसमान में एक सीधा और एक उल्टा रेनबो दिखता है।
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रेनबो में दिखने वाले अलग-अलग रंगों की वजह है, रंगों की अलग-अलग तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ)। इंसान की आंखें सिर्फ उन्हीं रंगों को देख पाती हैं, जिनकी वेवलेंथ अच्छी होती है। नासा के मुताबिक, इंसानी आंखें 380 से 700 नैनोमीटर वेवलेंथ तक के रंग देख सकती हैं। वायलेट की वेवलेंथ 380 नैनोमीटर और लाल की 700 नैनोमीटर होती है। जिस रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है, उसे हमारी आंखें सबसे पहले देखती हैं। इसलिए, रेनबो में हमेशा रंगों का क्रम एक जैसा दिखाई देता है। रेनबो में सबसे ऊपर लाल, फिर नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी, और सबसे नीचे बैंगनी रंग होता है। आम तौर पर, इन रंगों को VIBGYOR कहते हैं।
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