राष्ट्रीय भूकंप सूचना केंद्र के अनुसार हर साल दुनिया भर में 20 हजार से ज्यादा भूकंप आते हैं। भारत भी हर साल कई बार भूकंप के झटकों को महसूस करता है। एक दौर ऐसा था जब भारत का श्री नगर 7 ऐसे पुलों से जुड़ा हुआ था, जिसे पूरी तरह से लकड़ी से बनाया गया था। आगे चल के यह लकड़ी का पुल कश्मीरी वास्तुकला की पहचान बन गई। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको कश्मीर के एक ऐसे वास्तुकला के बारे में बताएंगे, जिसे खास रूप से भूकंपरोधी वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
ताक वास्तुकला पर टिकी हैं कश्मीर की ये प्रसिद्ध इमारतें
हेरिटेज होम हो या फिर अजीम-ओ-शान मस्जिद, कश्मिर की ये इमारतें प्राचीन तकनीक ताक वास्तुकला पर टिकी है। ताक वास्तुकला एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मिट्टी और लकड़ी का उपयोग किया जाता है। दीवारों के लिए लकड़ी के बीम और स्तंभों का उपयोग किया जाता है, जो कि मिट्टी या ईंटों से भरी हुई होती है। इस तकनीक में संरचना लचीली होती है, जो दीवारों को लचीला बनाती, जिससे भूकंप आने पर वह झटकों को सह सके।
ताक निर्माण में दीवारों को छोटे-छोटे खंडों में बांट दिया जाता है और उन्हें लकड़ी के फ्रेमवर्क के द्वारा जोड़ा जाता है। ऐसा करने से इमारत और भवन की संरचना मजबूत और स्थिर हो जाती है। ताक वास्तुकला के अनुसार बने हुए इमारतों में ताक वास्तुकला की झलक मिलती है, जिसमें नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और खिड़कियां शामिल होती है।
ताक वास्तुकला के क्या फायदे हैं?
भूकंप प्रतिरोध
लकड़ी के फ्रेमवर्क और विभाजित दीवारों के कारण ताक वास्तुकला में बने इमारत भूकंप-प्रतिरोधी होते हैं।
स्थानीय सामग्रियों का उपयोग
ताक निर्माण में स्थानीय सामग्री, यानी जो आसपास मौजूद हो जैसे मिट्टी और लकड़ी का उपयोगकिया जाता है, जो कि पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है।
सांस्कृतिक धरोहर
ताक वास्तुकला न सिर्फ सौंदर्य पूर्ण और पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह कश्मीरी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।
भारतीय कारीगरी का सबूत
इस भूकंप रोधी मकानों के उदाहरण के बारे में जानें तो श्रीनगर का प्रसिद्ध खानकाया मौला है, जहां मुगल शासक अकबरके जमाने की दुआओं की आवाजें आज भी गूंज रही है। यदि हम कश्मीरी इमारतें और मस्जिदों की बात करें तो पगोड़ा यानी मल्टी टायर्ड टावर की तरह 2-3 मंजिलों वाली छत, जिनकी चोटियां बहुत ऊंची होती है। इन इमारतों की खासियत ही यह है कि ये भूकंप के झटके से झूल जाएगी, लेकिन गिरती नहीं। इसका कारण है इन इमारतों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया वास्तुकला।
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Image Credit: Image Credit: thehimalayanarchitect.com, cdnuploads.aa.com
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