हमारे देश में आज भी ऐसे हैं आदिवासी इलाके जहां पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अपने घर से बाहर रहना पड़ता है और ऐसे में महिलाएं अपनी साफ- सफाई का भी ध्यान नहीं रख पाती हैं। इस परेशानी को हल करने के लिए सरकार ने हाल ही में 'पीरियड होम' या जिसे 'पीरियड हट्स' भी कहते हैं वह इन इलाकों में महिलाओं के लिए बनवाया है।
इन होम से पीरियड्स में आदिवासी महिलाओं को कई प्रकार से लाभ मिलता है। लेकिन आखिर ये पीरियड होम है क्या इसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे।
आपको भले ही यह सुनकर विश्वास ना हो पर अधिकतर आदिवासी आबादी वाले गांव जैसे फासीतोला, इरंडी, परसवाड़ी, काकड़वेली, मेंडा आदि कई जगहों पर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान घर से बाहर रहना होता है। इस प्रथा को कुर्मा कहा जाता है।
सिर्फ यही नहीं पीरियड्स में आदिवासी महिलाओं को पानी पीने के लिए हैंडपंप छूने की भी उन्हें स्वतंत्रता नहीं होती है। यह प्रथा इन गांवों में सालों से निभाई जा रही है। इन प्रथाओं के कारण पीरियड्स में महिलाओं को संक्रमण और बीमारियों भी हो जाती है क्योंकि वह पीरियड्स में खुद का सही से ख्याल भी नहीं रख पाती हैं।
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महिलाओं को पीरियड के दौरान किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए सरकार की तरफ से पीरियड होम को इन गांवों में बनाया गया है। इन पीरियड होम को बनाने के लिए प्लास्टिक की पुरानी बोतलों और रेत का इस्तेमाल भी किया गया है।(कहीं आप भी सच तो नहीं मानती पीरियड्स से जुड़ी इन 5 बातों को?)
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आपको बता दें कि जो कमरे इन घरों में बनाएं गए हैं वह बड़े हैं जिसमें लगभग 10 महिलाएं आराम से रह सकती हैं। कमरे के अलावा इस होम में शौचालय, एक अलमारी, बिस्तर, गद्दे, पंखे और सौर ऊर्जा से चलने वाली बिजली की सुविधा भी दी गई है।
पीरियड्स के दौरान घर से बाहर रहने की वाली प्रथा में महिलाएं पीरियड होम में आराम से रुक सकती हैं और उन्हें कहीं बाहर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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गांव की आदिवासी महिलाएं पहले कुर्मा घर में रहती थी। इन घरों में बिजली, बेड, शौचालय की सुविधा नहीं होती थी। यहां तक की नहाने के लिए महिलाओं को नदी किनारे जाना होता था या कुर्मा घर की दीवार के पास नहाना होता था।(Period Customs: भारत के इस गांव में है अजीब प्रथा, पीरियड्स होने पर महिलाओं को निकाल दिया जाता है गांव से बाहर)
इस प्रथा के अनुसार पीरियड के दौरान महिलाएं खेत में तो काम करने जा सकती हैं लेकिन अपने घर में नहीं जा सकतीं। किसी से मेल-मुलाकात नहीं कर सकती हैं लेकिन पीरियड होम में उन्हें कई सारी सुविधाएं मिल रही हैं जिसका कई आदिवासी महिलाएं लाभ भी उठा रही हैं।
इस पहल से आदिवासी महिलाएं पीरियड्स में आरामदायक और सुविधाजनक जगह पर रह सकेंगी। आपको यह पहल कैसी लगी हमें कमेंट करके बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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