झूठ बोलना और अपनी बात मनवाना शायद बहुत से लोगों की आदत होगी। यकीन मानिए हमारे आस-पास ही ऐसे कई लोग मिल जाते हैं जो अपना काम निकलवाने के लिए चीज़ों को मैनिपुलेट कर दें। ध्यान देने वाली बात ये है कि कई बार झूठ इतनी सफाई से बोला जाता है कि उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन हो जाता है। पर क्या ऐसे तरीके भी होते हैं जो बताएं कि कौन किस तरह से झूठ बोलता है? साइकोलॉजी झूठ और झूठ बोलने वाले के स्वभाव के बारे में कुछ बातें बताती है।
झूठ कैसे हो सकते हैं और कितनी तरह के हो सकते हैं इसके बारे में जानने के लिए हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। उन्होंने हमें साइकोलॉजी के हिसाब से झूठ को कैसे डिफाइन किया जा सकता है और एक झूठे इंसान को किस तरह से देखा जा सकता है उसके बारे में कुछ बातें बताईं।
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डॉक्टर भावना का कहना है कि झूठ पकड़ने के कुछ तरीके हो सकते हैं क्योंकि जो लोग झूठ बोलते हैं वो कुछ साइकोलॉजिकल ट्रेट्स दिखाते हैं, जैसे-
यहां एक बात समझने की जरूरत है कि अधिकतर लोग झूठ नहीं बोलते हैं और एक रिसर्च बताती है कि अधिकतर झूठ एक जैसे लोगों द्वारा बोले जाते हैं जिनकी संख्या काफी कम होती है। इन्हें साइकोलॉजिकल टर्म में "prolific liars" कहा जाता है। इस स्टडी में रिसर्चर्स ने बताया कि प्रोलिफिक लायर्स और रोजमर्रा की जिंदगी में झूठ बोलने वाले आम लोगों में अंतर क्या हो सकता है।
डॉक्टर भावना ने कई सारी स्टडीज के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि लोग कई बार अपनी टीम के लिए झूठ बोलते हैं ताकि उनका कुछ फायदा हो सके। अगर कोई ग्रुप एक साथ मिलकर झूठ बोल रहा है तो वो गिल्टी कम फील करेगा क्योंकि वो किसी की मदद के लिए झूठ बोल रहा है। ऐसे में झूठ के पकड़े जाने का डर भी कम होता है क्योंकि अगर झूठ पकड़ा जाएगा तो सभी को एक साथ गिल्टी फील होगा।
एक स्टडी बताती है कि झूठ बोलने वाले लगभग 10-16 प्रतिशत लोगों की याददाश्त पर भी इसका असर पड़ा था। दरअसल, कई बार लोग झूठ में इतना इन्वॉल्व हो जाते हैं कि वो सच को लेकर खुद ही कन्फ्यूज हो जाते हैं। कई बार लोग अपने झूठ को ही सच समझने लगते हैं। रिसर्चर्स मानते हैं कि झूठ बोलने से हमारी याददाश्त भी बदल सकती है और हमारी यादें झूठ के हिसाब से ढल सकती हैं।
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अगर आपको ये लग रहा है कि कोई आपसे झूठ बोल रहा है और आप उसे लेकर श्योर नहीं हैं तो उससे सवाल जरूर करें। 'क्यों?' का जवाब देना लोगों के लिए ज्यादा मुश्किल होता है और वो भले ही बेसिक फैक्ट्स के बारे में ज्यादा आसानी से झूठ बोल दें, लेकिन अगर आप उनसे दोबारा उसके बारे में सवाल पूछेंगे तो उनकी हड़बड़ाहट साफ दिखेगी। अगर कोई अपनी बातों को समझाने की कोशिश कर रहा है और बार-बार घबरा रहा है या फिर समझा नहीं पा रहा तो ये दिखाता है कि वो उस बारे में झूठ बोल रहा है।
झूठ बोलना कहीं ना कहीं आपकी साइकोलॉजी पर निर्भर करता है और झूठ को पकड़ने के भी यही तरीके होते हैं। ये जरूरी है कि सभी की बातों पर आंख बंद करके विश्वास ना किया जाए। आपकी इस बारे में क्या राय है हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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