Vat Savitri Vrat 2023 Ki Hindi Mein Jankari: हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का अत्यंत महत्व है। हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (बड़ अमावस्या) पर महिलाएं अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं। ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं वट सावित्री व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त, सामग्री, पूजा विधि और महत्व।
कब है वट सावित्री व्रत 2023? (Kab Hai Vat Savitri Vrat 2023)
- ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का शुभारंभ 18 मई, दिन गुरुवार को रात 9 बजकर 42 मिनट से होगा।
- ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (बड़ अमावस्या) तिथि का समाप्त 19 मई, दिन शुक्रवार को रात 9 बजकर 22 मिनट पर होगा।
- ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वट सावित्री का व्रत 19 मई, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत 2023 पूजा मुहूर्त (Vat Savitri 2023 Shubh Muhurat)
- वट सावित्री व्रत का पूजा मुहूर्त 19 मई, दिन शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से शुरू होगा।
- वट सावित्री व्रत का पूजा मुहूर्त 19 मई, दिन शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर संपन्न होगा।

वट सावित्री व्रत 2023 पूजा सामग्री (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Samagri)
- वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए बांस का पंखा, खरबूज, लाल कलावा, कच्चा सूत (कच्चे सूत के उपाय), मिट्टी का दीपक, घी, धूप-अगरबत्ती।
- फूल, रोली, 14 गेहूं के आटे से बनी हुई पूड़ियां, 14 गेहूं के आटे से बने हुए गुलगुले, सोलह श्रृंगार की चीजें।
- पान,सुपारी, नारियल, थोड़े से भीगे हुए चने, जल का लोटा, बरगद की कोपल, फल, कपड़ा सवा मीटर।
- स्टील की थाली, मिठाई, चावल और हल्दी, हल्दी का पानी मिलाकर थापा के लिए और गाय का गोबर।

वट सावित्री व्रत 2023 पूजा विधि (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi)
- वट सावित्री के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। नए वस्त्र धारण कर पूरा सोलह श्रृंगार करें।
- इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को किसी थाली में सजाकर वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के पास पहुंचे।
- पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं कपड़े से बना दुल्हादुल्हन का जोड़ रखकर पूजा करें।
- कपड़े का जोड़ा उपलब्ध न हो तो मिट्टी से बने दुल्हा दूल्हन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- सबसे पहले बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की तस्वीर रखें।
- फिर रोली, भीगे चने, अक्षत, कलावा (सुख-समृद्धि के लिए इन पेड़ों को बांधें कलावा), फूल, फल सुपारी, पान, मिष्ठान और बाकी चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद बांस के पंखे से हवा करें और फिर वट वृक्ष की परिक्रमा करें।
- इसके लिए कच्चा धागा लेकर वृक्ष के 5 से 7 बार परिक्रमा करें।
- फिर वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनें।
- अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करें। इसके बाद चने का प्रसाद बाटें।
वट सावित्री व्रत 2023 महत्व (Vat Savitri Vrat 2023 Mahatva)
- वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास माना गया है।
- यही कारण है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- वट वृक्ष को ज्ञान, निर्वाण व दीर्घायु का पूरक माना गया है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा से अखंड सौभग्य की प्राप्ति होती है।
- जो सुहागन स्त्री वट सावित्री व्रत का पालन और वट वृक्ष की पूजा करती है उसे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है।
- उस महिला के सभी दुख दूर हो जाते हैं और वैवाहिक जीवन के कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है।
- वट सावित्री का व्रत रखने से पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम, तालमेल और मधुरता बढ़ती है।
तो ये थी वट सावित्री व्रत से जुड़ी समस्त जानकारी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों