लगभग करवा चौथ की तरह ही माताओं को व्रत रखना होता है। इस व्रत में चंद्रमा की जगह तारे को अर्घ्य देना होता है। इसमें अहोई माता की पूजा की जाती है और इसके कुछ विशेष नियम कायदे शास्त्रों में बताए गए हैं। यदि आप पहली बार अहोई अष्टमी का व्रत रख रही हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि इस व्रत को कब खोला जाएगा, व्रत खोलने की विधि क्या होती है और इसके कुछ विशेष नियमों का कैसे पालन करना चाहिए। हमने इस विषय पर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी पंडित एंव ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी से बात की है। वह कहते हैं, " अहोई अष्टमी पर का व्रत संतान के लिए रखा जाता है और इसके कुछ नियम होते हैं, जो बहुत अधिक कठिन नहीं होते हैं। हां, इस व्रत के पारण करने की विधि अलग होती है। " चलिए पंडित जी से जानते हैं कि इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं कब खोलें और इसके सही नियम क्या होते हैं।
अहोई अष्टमी पर पूजा से लेकर व्रत खोलने करने तक का सही समय जानें:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी पर महिलाएं चंद्रमा को नहीं, बल्कि तारे को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। माना जाता है कि तारा माता अहोई का दूत है और उसके दर्शन के बाद व्रत पूर्ण होता है।
ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी कहते हैं, "अहोई अष्टमी का व्रत सिर्फ संतान की लंबी आयु के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के कल्याण के लिए भी किया जाता है। इस दिन माताओं को विशेष रूप से संयम, श्रद्धा और शुद्धता का पालन करना चाहिए। व्रत पारण के समय माता अहोई का आभार अवश्य व्यक्त करें।"
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