Ahoi Ashtami Paran Muhurat 2025

Ahoi Ashtami Paran Muhurat 2025: अहोई अष्‍टमी के व्रत कब खोलें? जानें व्रत की विधि, पारण का मुहूर्त सहित बाकी के नियम

अहोई अष्‍टमी 2025 व्रत पारण विधि और समय: इस साल अहोई अष्‍टमी का व्रत 13 अक्‍टूबर, सोमवार को रखा जाएगा। महिलाएं इस दिन अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चलिए हम आपको व्रत खोलने का सही समय बताते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-10-13, 12:26 IST

लगभग करवा चौथ की तरह ही माताओं को व्रत रखना होता है। इस व्रत में चंद्रमा की जगह तारे को अर्घ्‍य देना होता है। इसमें अहोई माता की पूजा की जाती है और इसके कुछ विशेष नियम कायदे शास्‍त्रों में बताए गए हैं। यदि आप पहली बार अहोई अष्‍टमी का व्रत रख रही हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि इस व्रत को कब खोला जाएगा, व्रत खोलने की विधि क्‍या होती है और इसके कुछ विशेष नियमों का कैसे पालन करना चाहिए। हमने इस विषय पर मध्‍य प्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी पंडित एंव ज्‍योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी से बात की है। वह कहते हैं, " अहोई अष्‍टमी पर का व्रत संतान के लिए रखा जाता है और इसके कुछ नियम होते हैं, जो बहुत अधिक कठिन नहीं होते हैं। हां, इस व्रत के पारण करने की विधि अलग होती है। " चलिए पंडित जी से जानते हैं कि इस वर्ष अहोई अष्‍टमी का व्रत महिलाएं कब खोलें और इसके सही नियम क्‍या होते हैं।

अहोई अष्‍टमी पारण का मुहूर्त 2025:

अहोई अष्‍टमी पर पूजा से लेकर व्रत खोलने करने तक का सही समय जानें:

  • व्रत की तिथि: 13 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:50 बजे से 07:10 बजे तक
  • तारों के दर्शन का समय: लगभग शाम 05:55 बजे
  • व्रत पारण (व्रत खोलने) का समय: शाम 06:05 बजे के बाद

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी पर महिलाएं चंद्रमा को नहीं, बल्कि तारे को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। माना जाता है कि तारा माता अहोई का दूत है और उसके दर्शन के बाद व्रत पूर्ण होता है। 

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अहोई अष्‍टमी पर व्रत खोलने के नियम

  • सबसे पहले शाम के शुभ मुहूर्त में अहोई माता की प्रतिमा या चित्र की पूजा करें। पूजा में अहोई माता के साथ सप्तपुत्री (सात पुत्रों वाली माता) की भी आराधना की जाती है। पूजा में जल, दूध, चावल, हल्दी, रोली, दीया, सिंदूर, फल, और विशेष रूप से दीवार पर बनाई गई अहोई माता की आकृति का ध्यान किया जाता है।
  • पूजा के बाद अहोई माता की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। यह कथा इस व्रत के महत्व और उसकी उत्पत्ति से जुड़ी होती है, जिससे मन और आस्था दोनों शुद्ध होते हैं।
  • जब शाम को आकाश में तारे दिखने लगें, तो अहोई माता का नाम लेकर तारे को अर्घ्य दें। परंपरानुसार, एक छोटा कलश या लोटा जल से भरकर उसमें तारे को देखते हुए जल अर्पित किया जाता है।
  • अर्घ्य देते समय यह संकल्प दोहराएं, "मैं अहोई माता की कृपा से अपनी संतान के दीर्घायु, स्वास्थ्य और कल्याण की कामना करती हूं।"
  • तारे को अर्घ्य देने के बाद आप व्रत का पारण कर सकती हैं। पारण के समय पहले जल ग्रहण करें, फिर फल या मिठाई का सेवन करें। कई स्थानों पर पारण पति या बच्चों के हाथ से करवाना शुभ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी कहते हैं, "अहोई अष्टमी का व्रत सिर्फ संतान की लंबी आयु के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के कल्याण के लिए भी किया जाता है। इस दिन माताओं को विशेष रूप से संयम, श्रद्धा और शुद्धता का पालन करना चाहिए। व्रत पारण के समय माता अहोई का आभार अवश्य व्यक्त करें।"

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