
साल 2017 का उन्नाव रेप केस...एक ऐसा मामला, जिसने पूरे देश में रोष पैदा कर दिया था। नाबालिग के साथ दरिंदगी की ऐसी कहानी, जिसने सिस्टम, हमारी न्याय व्यवस्था, पीड़िता के डर, पीड़िता के परिवार की सुरक्षा और लचर कानून पर सवाल खड़े कर दिए थे। 4 जून 2017 को 17 साल की नाबालिग पीड़िता ने उन्नाव से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप के आरोप लगाए थे। इसके बाद न जाने कितनी मुश्किलों से लड़ते हुए पीड़िता और उसके परिवार ने न्याय की लंबी लड़ाई लड़ी, लंबे वक्त तक इंसाफ न मिलने पर पीड़िता इतना टूट गई थी कि उसने मुख्यमंत्री आवास के सामने खुद को जलाने की भी कोशिश की।
आखिरकार दिसंबर 2019 में कुलदीप को उम्रकैद की सजा हुई, लेकिन 6 सालों बाद उसे सशर्त जमानत दे दी गई है। इसके विरोध में पीड़िता और उसकी मां ने इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया, तो उन्हें वहां से हटा दिया गया। उन्नाव रेप केस पर मैंने उन दिनों में भी लिखा था, जब ये मामला सामने आया था और एक जर्नलिस्ट के तौर पर पीड़िता के इस सफर से कहीं न कहीं मैं भी जुड़ी रही। ऐसे में जब ये खबर सामने आई कि दोषी को तो जमानत मिल गई है और पीड़िता न्याय और अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगा रही है। मेरे मन में पहला सवाल यही उठा कि आखिर ये कैसी न्याय व्यवस्था है? चलिए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या था, क्या कुलदीप सिंह सेंगर जेल से बाहर आ गए हैं और आखिर न्याय का ये कैसा चेहरा है?

दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2017 के उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी गई है हालांकि, वो अभी जेल से बाहर नहीं आ सकता है। दरअसल नाबालिग से रेप के मामले में साल दिसंबर 2019 में जो उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, उसे अब सस्पेंड कर दिया गया है, लेकन पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में अभी भी 10 साल की सजा बरकरार है। इस मामले में भी सेंगर की तरफ से सजा के खिलाफ अपील की गई है। दोषी की उम्रकैद की सजा को निलंबित करने के विरोध में पीड़िता और उनकी मां ने धरना भी दिया। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री ओपी राजभर से सवाल किया गया, तो जवाब देने के बजाय वो हंसते हुए नजर आए।

अगर आप इस पूरे केस के बारे में जानते हैं या अब यहां पढ़कर आप इसके बारे में समझ पाए हैं, तो जरा सोचिए ये पढ़ने में ही कितना थका देने और परेशान करने वाला लग रहा है। पहले रेप, फिर डर के साये में जिंदगी, फिर इंसाफ की लड़ाई में इस तरह टूट जाना कि खुद की जान देने की कोशिश करना, पिता को खो देना, खुद पर जानलेवा हमला और इस सब के बीच लचर न्याय व्यवस्था से हर दूसरे दिन टकराना...लेकिन इतनी लंबी लड़ाई के बाद भी आखिर पीड़िता को क्या मिला...कुछ नहीं। आज एक बार फिर वो खुद को असुरक्षित और छला हुआ महसूस कर रही है। मैं, आप या हम में से कोई भी उसके मन की पीड़ा को नहीं समझ सकता, लेकिन शायद एक सवाल उसके मन में जरूर होगा कि आखिर कब तक लड़नी होगी इंसाफ की लड़ाई?
यह बेहद शर्मनाक है कि हमारे देश में रेप के मामले कम होने के बजाय लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, हमारे देश में हर घंटे 3 लड़कियां रेप की शिकार होती हैं। कभी पीड़िता को मौत के घाट उतार दिया जाता है...कभी दरिंदगी किसी अपने ने की होती है...तो कभी वो डर, शर्म या दबाव के चलते शिकायत भी दर्ज नहीं करवा पाती हैं...अगर कंप्लेंट दर्ज भी हो जाए तो हमारी चलर न्याय व्यवस्था के चलते उन्हें सालों तक इंसाफ की राह देखनी पड़ती है और फिर अगर आरोपी कोई रसूखदार शख्स निकले, तो सजा मिलने के बाद भी ऐसा होता है। आखिर कब तक हमारे देश में लड़कियां डर के साये में जीती रहेंगी, दोषी खुलेआम घूमते रहेंगे और पीड़िता इंसाफ की गुहार लगाती रहेंगी?
Image Courtesy: Freepik, Shutterstock
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